शिमला: मुख्यमंत्री शहरी आजीविका गारंटी योजना में एक अप्रैल 2021 से लेकर 1300 लोगों का पंजीकरण किया गया है. इनमें से 50 प्रतिशत से अधिक पंजीकरण 7 मई 2021 के बाद लाॅकडाउन के दौरान किए गए हैं.
लॉकडाउन में उपयोगी साबित हुई ये योजना
शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि अभी लाॅकडाउन के दौरान इस योजना के तहत 500 से अधिक व्यक्ति कार्य कर रहे हैं. जबकि 800 से अधिक लोगों को जाॅब कार्ड प्रदान किए गए हैं. मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करने में, विशेषकर लाॅकडाउन के दौरान, मुख्यमंत्री शहरी आजीविका गारंटी योजना उपयोगी और प्रभावी साबित हुई है. मंत्री ने इस योजना को शहरी मनरेगा की परिभाषा दी.
5000 लोगों ने किया पंजीकरण
सुरेश भारद्वाज ने कहा कि शहरी लोगों को रोजगार प्रदान करने के लिए पिछले साल लाॅकडाउन के दौरान यह योजना शुरू की गई थी. इस साल मार्च महीने तक इस योजना में 5000 लोगों को पंजीकृत किया जा चुका है, जिनमें से 4800 को जाॅब कार्ड जारी किए जा चुके हैं.
करीब 4500 लोगों को मिला रोजगार
सुरेश भारद्वाज ने कहा कि मार्च माह तक करीब 4500 लोगों को रोजगार दिया है जबकि पिछले वित्त वर्ष के दौरान इस योजना पर तीन करोड़ रुपये व्यय किए गए थे. इस वित्त वर्ष के लिए राज्य बजट में चार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करने के लिए इस योजना को मनरेगा की भांति लागू किया गया था. इस योजना के प्रचार-प्रसार पर भी विशेष ध्यान दिया गया था, ताकि अधिक से अधिक लोग लाभान्वित हो सकें.
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