शिमला: साठ हजार करोड़ रुपए के कर्ज में डूबे हिमाचल प्रदेश के लिए राहत के संकेत नहीं दिख रहे हैं. सरकारी खजाने को सांस मिलती रहे और सालाना कर्ज की लिमिट अधिक हो, इसके लिए जयराम सरकार ने सालाना लोन लिमिट बढ़ाने से जुड़ा बिल सदन में रखा.
सोमवार को विधानसभा के बजट सत्र में जयराम सरकार ने कर्ज की सीमा बढ़ाने से संबंधित संशोधन विधेयक सदन में रखा. हिमाचल प्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंध संशोधन विधेयक 2021 के रूप में पेश विधेयक का विपक्षी दल कांग्रेस ने विरोध किया. हालांकि राज्य सरकार के लिए राहत की बात ये है कि केंद्र सरकार ने सेंट्रल टैक्सिस की प्रतिपूर्ति के लिए हिमाचल को ऐसी छूट दी है.
अब राज्य सरकार की सालाना लोन लिमिट 7000 करोड़ रुपए हो जाएगी. नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने के इस विधेयक का विरोध किया. मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि हिमाचल पहले ही कर्ज में डूबा है और सरकार लोन लिमिट को स्टेट जीडीपी का पांच फीसदी करने जा रही है. पहले ये तीन प्रतिशत था.
नेता प्रतिपक्ष मुकेश ने कहा कि हिमाचल प्रदेश वर्ष 2005 से इस एक्ट का पालन कर रहा है, परंतु लोन लिमिट को बढ़ाना प्रदेश हित में नहीं है. उन्होंने सदन में बिल के इंट्रोडक्शन के दौरान ही इसका विरोध करते हुए वापिस लेने की मांग उठाई. मुकेश अग्निहोत्री का कहना था कि जयराम सरकार बेतहाशा लोन ले रही है और अब इसकी सालाना लिमिट भी बढ़ाई जा रही है.
साल के अंत तक बजट प्रोजेक्ट प्रोजेक्शन 7000 करोड़
उन्होंने कहा कि सीएम जयराम ठाकुर स्वयं ये बता चुके हैं कि इस साल के अंत तक बजट प्रोजेक्ट प्रोजेक्शन 7000 करोड़ हो जाएगी. ऐसे में लोन की सीमा भी बढ़ गई तो यह 8500 करोड़ रुपए को भी पार कर जाएगी.
इसी विधेयक पर माकपा विधायक राकेश सिंघा और कांग्रेस विधायक आशा कुमारी भी अपनी बात रखना चाहती थी, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार ने यह कहते हुए बोलने का मौका नहीं दिया कि नेता प्रतिपक्ष की ओर से विषय आ गया है और अभी इस बिल पर चर्चा नहीं हो रही है.
विधेयक में दो फीसदी बढ़ोतरी का प्रस्ताव
मुख्यमंत्री की तरफ से सदन में पेश किए गए राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंध संशोधन विधेयक 2021 के अनुसार इसकी धारा 5 में संशोधन किया जा रहा है. इसमें राज्य की कुल लोन सीमा को बढ़ाया जा रहा है. संशोधन के अनुसार अब राजकोषीय घाटा 3 फीसदी स्तर से अधिक हो सकेगा, लेकिन यह राज्य सकल घरेलू उत्पाद के 5 फीसदी से अधिक नहीं होगा. बिल में सरकार ने कहा है कि केंद्र सरकार ने 26 फरवरी 2020 को राज्यों को केंद्रीय करों की क्षतिपूर्ति के लिए दो फीसदी अतिरिक्त लोन का प्रावधान किया है.
सीएम ने पूर्व सरकारों पर फोड़ा ठीकरा
इस विधेयक को सदन में पेश करते हुए सीएम जयराम ठाकुर ने प्रदेश पर कर्ज के बोझ को पूर्व की कांग्रेस सरकारों की देन बताया. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के आरोपों का जवाब भी दिया.
उन्होंने कहा कि लोन को लेकर इस समय हिमाचल का जो हाल है, उसके लिए कांग्रेस की पूर्व सरकारें दोषी हैं. वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार जब सत्ता से गई तो 50000 करोड़ का लोन छोड़ गई थी. सीएम ने कहा कि राज्य सरकार ने बेहतर वित्तीय प्रबंधन को अपनाते हुए कम लोन लिया है. अब लोन अधिक इसलिए लिया जा रहा है ताकि विकास की गति बरकरार रहे.
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