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किन्नौर: जिला में बेसहारा पशुओं के रहने के लिए नहीं कोई विकल्प - बेसहारा पशु

रिकांगपिओ बाजार व एनएच-5 पर जगह-जगह बेसहारा पशु देखने को मिल रहे है, जिनके पास रहने के लिए कोई गौशाला नहीं है और न ही कोई खाने का विकल्प है. जिसके चलते सैकड़ों पशुओ को ठंड व भूखे रहना पड़ रहा है.

किन्नौर की ठंड में बेसहारा पशुओं का नही कोई निवास
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Published : Nov 9, 2019, 11:29 PM IST

किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर में ठंड ने दस्तक दे दी है. ऐसे में रिकांगपिओ बाजार व एनएच-5 पर जगह-जगह बेसहारा पशु देखने को मिल रहे हैं. जिनके पास रहने के लिए कोई गौशाला नहीं है और न ही कोई खाने का विकल्प है.

बता दें कि इन दिनों जिला भर में सैकड़ों पशु सड़कों पर दिखाई दे रहे हैं और इन पशुओं को अपनाने के लिए कोई तैयार नहीं है, बेसहारा पशुओं में अधिकतर गाय हैं. गाय जब तक दूध देती है तब तक मालिक इनसे पूरा फायदा ले लेते हैं और जब गाय दूध देना छोड़ देती है तो लोग इन्हें सड़कों पर बेसहारा छोड़ देते हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

पिछले वर्ष भी जिला भर में बर्फबारी के दौरान ठंड से कई पशु सड़कों पर मृत पाए गए थे. वहीं, इस साल भी जिला मुख्यालय के आसपास बेसहारा पशु देखे जा सकते हैं. अगर जिला की बात की जाए तो बेसहारा पशुओं की संख्या सैकड़ों में है.

प्रदेश सरकार ने पशुओं के लिए गौशाला बनाने की कई बार घोषणाएं की हैं, जिसके लिए धन उगाही भी की जा रही है, लेकिन अभी तक किन्नौर में एक भी गौशाला का निर्माण नहीं हुआ है. ऐसे में बेसहारा पशुओं को कोई ठिकाना नहीं होने के कारण वो खुले आसमान के नीचे ठंड में रहने को मजबूर हैं.

किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर में ठंड ने दस्तक दे दी है. ऐसे में रिकांगपिओ बाजार व एनएच-5 पर जगह-जगह बेसहारा पशु देखने को मिल रहे हैं. जिनके पास रहने के लिए कोई गौशाला नहीं है और न ही कोई खाने का विकल्प है.

बता दें कि इन दिनों जिला भर में सैकड़ों पशु सड़कों पर दिखाई दे रहे हैं और इन पशुओं को अपनाने के लिए कोई तैयार नहीं है, बेसहारा पशुओं में अधिकतर गाय हैं. गाय जब तक दूध देती है तब तक मालिक इनसे पूरा फायदा ले लेते हैं और जब गाय दूध देना छोड़ देती है तो लोग इन्हें सड़कों पर बेसहारा छोड़ देते हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

पिछले वर्ष भी जिला भर में बर्फबारी के दौरान ठंड से कई पशु सड़कों पर मृत पाए गए थे. वहीं, इस साल भी जिला मुख्यालय के आसपास बेसहारा पशु देखे जा सकते हैं. अगर जिला की बात की जाए तो बेसहारा पशुओं की संख्या सैकड़ों में है.

प्रदेश सरकार ने पशुओं के लिए गौशाला बनाने की कई बार घोषणाएं की हैं, जिसके लिए धन उगाही भी की जा रही है, लेकिन अभी तक किन्नौर में एक भी गौशाला का निर्माण नहीं हुआ है. ऐसे में बेसहारा पशुओं को कोई ठिकाना नहीं होने के कारण वो खुले आसमान के नीचे ठंड में रहने को मजबूर हैं.

Intro:किन्नौर की ठंड में बेसहारा पशुओ का नही कोई निवास,बाज़ार में कूड़ेदानों के कूड़ा खाकर जी रहे बेसहारा पशु,प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन ने आज तक नही दी इन पशुओ को रहने का कोई विकल्प,बर्फबारी व ठंड में नही मिलता इनको चारा, हर वर्ष किन्नौर में ठंड से मर रहे कई पशु।


जनजातीय जिला किंन्नौर में ठंड ने दस्तक से दी है ऐसे में इन दिनों रिकांगपिओ बाज़ार समेत एनएच पांच पर जगह जगह बेसहारा पशु देखने को मिल रहे है जिनके पास रहने के लिए कोई गऊशाला नही है और न ही कोई खाने का विकल्प है।



Body:बता दे कि जिला भर में सेकड़ो पशु इन दिनों सड़को पर दिखाई दे रहे है और इन पशुओं को कोई अपनाने को तैयार नही जब गाय दूध देती है तब तक मालिक इनसे पूरा फायदा ले लेते है और जब गाय दूध देना छोड़ देती है तो इन गाय को लोग सड़कों पर छोड़ रहे है ऐसे में इन पशुओ के पास बाजार व सड़को पर चारा ढूढने के अलावा रहने की व्यवस्था भी नही है क्यों कि सड़कों पर इन दिनो सर्दियों में न कोई घास है न ही पीने का पानी,और दूसरी ओर अब बर्फ़बारी के चलते ठंड भी शुरू हो गयी है ऐसे में बेसहारा पशुओ को ठंड में ठिठुरने पर मजबूर होना पड़ रहा है ।
पिछले वर्ष भी जिला भर में बर्फबारी के दौरान ठंड से कई पशु सड़को पर मृत पाए गए थे,और बर्फबारी में रात को पशुओ को कोई चारा भी नही मिलता न ही कोउ मालिक इन पशुओ को अपने घर ले जाते है।



Conclusion:प्रदेश सरकार द्वारा पशुओ के गौशाला बनाने के लिए कई बसर घोषणाए की गई जिसके लिए धन उगाई भी की जा रही है लेकिन अभी तक किन्नौर में एक भी गऊशाला का निर्माण नही हुआ जिसके चलते सेकड़ो पशुओ को ठंड व भूखे मरने पड़ रहा है और बाजार में पशुओ को कूड़ेदान में कूद खाने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
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