शिमला: शिक्षा के मोर्चे पर कई मंचों से सम्मानित हिमाचल प्रदेश में हायर एजुकेशन का हाल बेहाल है. आलम ये है कि राज्य के 104 कॉलेजों में नियमित प्रधानाचार्य नहीं हैं. ऐसे में कॉलेज प्रवक्ताओं को डीडीओ (ड्राइंग एंड डिस्बर्सिंग ऑफिसर) की पावर दी गई है. ये जूनियर स्केल में होते हैं. प्रदेश में कुल 144 कॉलेजों में 104 में ये हाल है.
प्रमोशन विवाद 5 साल से अनसुलझा: दरअसल, कॉलेज प्रधानाचार्य से जुड़ा प्रमोशन विवाद 5 साल से अनसुलझा है. पूर्व की जयराम सरकार से ये विवाद चला आ रहा है. ये गौर करने वाली बात है कि हिमाचल प्रदेश में पूर्व सरकार के समय ही नेशनल एजुकेशन पॉलिसी लागू करने की बात हुई. किसी भी कॉलेज में नियमित प्रिंसिपल न होने से डीडीओ पावर किसी जूनियर प्रवक्ता को दी जाती है. दिलचस्प बात है कि कई कॉलेजों में ऐसे भी कार्यवाहक प्रिंसिपल हैं, जिनकी सर्विस ही अध्यापन में 5 साल की है.
कॉलेज प्रिंसिपल के 76 पद खाली: हुआ यूं कि इसी महीने में शिमला में कॉलेज प्रधानाचार्यों की मीटिंग हुई थी. इस बैठक में कुछ जिलों से ऐसे कार्यवाहक प्रिंसिपल भी आए थे, जो कॉलेज में अध्यापन में यानी सेवा में ही 2013 से लेकर 2017 की अवधि में आए. इसका अर्थ ये हुआ कि कई जगह ऐसे अध्यापकों को प्रिंसिपल की पावर देनी पड़ रही है, जिनकी सेवा अवधि ही पांच साल की है. हिमाचल प्रदेश में प्रमोशन के जरिए भरे जाने वाले कॉलेज प्रिंसिपल के 76 पद खाली हैं.
मई 2018 से विवाद: इसके अलावा कॉलेज प्रिंसिपल के 25 पद डायरेक्ट रिक्रूटमेंट के जरिए भरे जाने हैं. ये पद हिमाचल प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग भरेगा. राज्य सरकार के लिए अभी बड़ा मसला प्रमोशन के जरिए भरे जाने वाले प्रिंसिपल के 76 पद हैं. वास्तव में मई 2018 में एक विवाद पैदा हुआ. यूजीसी का नया रेगुलेशन आया था, जिसमें प्रिंसिपल पद पर प्रमोशन के लिए सीनियोरिटी के अतिरिक्त रिसर्च पेपर या सेमिनार के अंक भी जोड़ दिए गए. सीनियोरिटी के मामले में एक अदालती फैसला अभी सुरक्षित रखा गया है.
जरूरी कदम उठाने को कहा: वहीं,प्रमोशन के मामले में राज्य सरकार से हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट ने दिशा-निर्देश मांगे हैं. यही वो विवाद है, जिसमें प्रमोशन न होने के कारण कॉलेजों को नियमित प्रिंसिपल नहीं मिल पा रहे हैं. राज्य सरकार ने प्रमोशन को लेकर विभाग को जरूरी कदम उठाने को कहा है.
अदालत में जवाब दाखिल होगा: इस सिलसिले में ये दर्ज करना भी जरूरी है कि हाईकोर्ट ने भी इस मामले में प्रदेश सरकार से उसके दिशा-निर्देश की जानकारी मांगी है. अदालत के निर्देश के बाद शिक्षा विभाग ने विधि विभाग और कार्मिक विभाग से राय ली है. अब अदालत में जवाब दाखिल होगा. देखना है कि प्रदेश के कॉलेजों को नियमित प्रधानाचार्य मिल पाते हैं या नहीं.
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