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हजारों छात्रों के लिए राहत भरी खबर, HPU से एफिलिएटिड कॉलेजिस को मिलेगी नैक की मान्यता

प्रदेश में 18 से ज्यादा कॉलेजिस ऐसे हैं, जिन्हें एचपीयू से स्थाई मान्यता प्राप्त ही नहीं है. अब कॉलेजिस को नैक से नियमों में छूट दी गई है तो ये कॉलेज भी नैक से एक्रीडिटेशन करवाने की प्रक्रिया को पूरा कर सकते हैं.

एचपीयू (डिजाइन फोटो)
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Published : Mar 30, 2019, 6:35 PM IST

शिमला: प्रदेश के कॉलेजिस जो एचपीयू से एफिलिएटिड हैं, वे अब नैक से मान्यता के लिए पात्र होंगे. वे कॉलेज जिनको परमानेंट एफिलिएशन शब्द ना लिख कर मात्र एफिलिएटिड शब्द ही लिखा गया है, उसे नैक परमानेंट एफिलिएशन ही मान कर नैक से एक्रीडिटेशन पाने के लिए पात्र मानेगी.

बता दें प्रदेश में 18 से ज्यादा कॉलेजिस ऐसे हैं, जिन्हें एचपीयू से स्थाई मान्यता प्राप्त ही नहीं है. ऐसे में ये कॉलेज नैक से मान्यता के लिए आवेदन ही नहीं कर पा रहे थे. अब जब कॉलेजिस को नैक से नियमों में छूट दी गई है तो ये कॉलेज भी नैक से एक्रीडिटेशन करवाने की प्रक्रिया को पूरा कर सकते हैं.

HPU (file photo)
एचपीयू (फाइल फोटो)

गौर हो कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय प्रदेश के कॉलेजिस को हजारों रुपये लेने के बाद परमानेंट एफिलिएशन देता है. एचपीयू से ये संबद्धता (एफिलिएशन) लेने के लिए जिन कॉलेजिस के पास बजट नहीं हैं. वे कॉलेज एचपीयू से स्थाई मान्यता ना लेकर अस्थायी मान्यता से ही काम चला रहे हैं, लेकिन नैक से मान्यता नहीं ले पा रहे.

नैक से मान्यता ना मिलने के चलते इन कॉलेजिस को रूसा के तहत मिलने वाली ग्रांट भी नहीं मिल पा रही है. जिसके कारण कॉलेजिस के विकासात्मक कार्य रुके पड़े हैं. इन कॉलेजिस ने कई मर्तबा एचपीयू से भी स्थायी मान्यता की फीस कम करने के साथ ही शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त करने के लिए बजट देने की मांग भी की थी, लेकिन ये बजट उन्हें नहीं मिल पाया और ना ही एचपीयू ने स्थायी मान्यता देने के लिए कॉलेजिस की फीस माफ की गई.

अमरजीत शर्मा, शिक्षा विभाग निदेशक (वीडियो)

मान्यता न ले पाने वाले कॉलेजिस को राहत देने के लिए शिक्षा विभाग ने एचपीयू की कार्यकारिणी परिषद में इस मुद्दे को उठा कर एचपीयू को मान्यता की फीस ना लेने की मांग की थी, लेकिन इस पर एचपीयू की ओर से करोड़ों का बजट सरकार से एचपीयू को दिलवाने की शर्त शिक्षा विभाग के समक्ष रखी गई. जिसके बाद से मामले पर अब तक कोई फैसला नहीं हो पाया. अब जिस मामले का तोड़ एचपीयू और शिक्षा विभाग नहीं निकाल पाए, उसे नैक ने निकाल लिया है.

शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. अमरजीत शर्मा ने बताया कि नैक की आयोजित एक बैठक में ये मामला उठाया गया कि प्रदेश के कॉलेजिस को एचपीयू से स्थायी मान्यता नहीं मिलने के कारण ये कॉलेज नैक से मान्यता ही नहीं ले पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि एचपीयू कॉलेजिस को एफिलिएशन देते समय परमानेंट एफिलिएशन नहीं लिखता है.

एचपीयू कॉलिजिस के मान्यता सर्टिफिकेट में सिर्फ एफिलिएशन या अस्थायी एफिलिएशन लिखता है. जिसके चलते जिन कॉलेजिस को परमानेंट एफिलिएशन नहीं मिली है, वे नैक से मान्यता नहीं ले पा रहे. इस समस्या के हल के रूप में नैक ने कहा है कि अगर कॉलेजिस को एचपीयू से एफिलिएशन प्राप्त है फिर चाहे उस पर परमानेंट एफिलिएशन लिखा हो या नहीं नैक उन्हें मान्यता देगा. ये कॉलेज नैक से मान्यता के लिए आवेदन कर सकते हैं और इनके आवेदन मान्य होंगे.

शिमला: प्रदेश के कॉलेजिस जो एचपीयू से एफिलिएटिड हैं, वे अब नैक से मान्यता के लिए पात्र होंगे. वे कॉलेज जिनको परमानेंट एफिलिएशन शब्द ना लिख कर मात्र एफिलिएटिड शब्द ही लिखा गया है, उसे नैक परमानेंट एफिलिएशन ही मान कर नैक से एक्रीडिटेशन पाने के लिए पात्र मानेगी.

बता दें प्रदेश में 18 से ज्यादा कॉलेजिस ऐसे हैं, जिन्हें एचपीयू से स्थाई मान्यता प्राप्त ही नहीं है. ऐसे में ये कॉलेज नैक से मान्यता के लिए आवेदन ही नहीं कर पा रहे थे. अब जब कॉलेजिस को नैक से नियमों में छूट दी गई है तो ये कॉलेज भी नैक से एक्रीडिटेशन करवाने की प्रक्रिया को पूरा कर सकते हैं.

HPU (file photo)
एचपीयू (फाइल फोटो)

गौर हो कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय प्रदेश के कॉलेजिस को हजारों रुपये लेने के बाद परमानेंट एफिलिएशन देता है. एचपीयू से ये संबद्धता (एफिलिएशन) लेने के लिए जिन कॉलेजिस के पास बजट नहीं हैं. वे कॉलेज एचपीयू से स्थाई मान्यता ना लेकर अस्थायी मान्यता से ही काम चला रहे हैं, लेकिन नैक से मान्यता नहीं ले पा रहे.

नैक से मान्यता ना मिलने के चलते इन कॉलेजिस को रूसा के तहत मिलने वाली ग्रांट भी नहीं मिल पा रही है. जिसके कारण कॉलेजिस के विकासात्मक कार्य रुके पड़े हैं. इन कॉलेजिस ने कई मर्तबा एचपीयू से भी स्थायी मान्यता की फीस कम करने के साथ ही शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त करने के लिए बजट देने की मांग भी की थी, लेकिन ये बजट उन्हें नहीं मिल पाया और ना ही एचपीयू ने स्थायी मान्यता देने के लिए कॉलेजिस की फीस माफ की गई.

अमरजीत शर्मा, शिक्षा विभाग निदेशक (वीडियो)

मान्यता न ले पाने वाले कॉलेजिस को राहत देने के लिए शिक्षा विभाग ने एचपीयू की कार्यकारिणी परिषद में इस मुद्दे को उठा कर एचपीयू को मान्यता की फीस ना लेने की मांग की थी, लेकिन इस पर एचपीयू की ओर से करोड़ों का बजट सरकार से एचपीयू को दिलवाने की शर्त शिक्षा विभाग के समक्ष रखी गई. जिसके बाद से मामले पर अब तक कोई फैसला नहीं हो पाया. अब जिस मामले का तोड़ एचपीयू और शिक्षा विभाग नहीं निकाल पाए, उसे नैक ने निकाल लिया है.

शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. अमरजीत शर्मा ने बताया कि नैक की आयोजित एक बैठक में ये मामला उठाया गया कि प्रदेश के कॉलेजिस को एचपीयू से स्थायी मान्यता नहीं मिलने के कारण ये कॉलेज नैक से मान्यता ही नहीं ले पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि एचपीयू कॉलेजिस को एफिलिएशन देते समय परमानेंट एफिलिएशन नहीं लिखता है.

एचपीयू कॉलिजिस के मान्यता सर्टिफिकेट में सिर्फ एफिलिएशन या अस्थायी एफिलिएशन लिखता है. जिसके चलते जिन कॉलेजिस को परमानेंट एफिलिएशन नहीं मिली है, वे नैक से मान्यता नहीं ले पा रहे. इस समस्या के हल के रूप में नैक ने कहा है कि अगर कॉलेजिस को एचपीयू से एफिलिएशन प्राप्त है फिर चाहे उस पर परमानेंट एफिलिएशन लिखा हो या नहीं नैक उन्हें मान्यता देगा. ये कॉलेज नैक से मान्यता के लिए आवेदन कर सकते हैं और इनके आवेदन मान्य होंगे.

Intro:प्रदेश के जिन कॉलेजों को एचपीयू से संबद्धता प्राप्त है अब वह कॉलेज नैक से मान्यता के लिए पात्र है। कॉलेज जिनको परमानेंट एफिलिएशन शब्द ना लिख कर मात्र एफिलेटेड शब्द ही लिखा गया है तो उसे नैक परमानेंट एफिलिएशन ही मान कर उन कॉलेजों को नैक से अक्रिडिकेशन पाने के लिए पात्र मानेगी। प्रदेश में 18 से अधिक कॉलेज ऐसे है जिन्हें एचपीयू से स्थाई मान्यता ही नहीं है ऐसे में यह कॉलेज नैक से मान्यता के लिए आवेदन ही नहीं कर पा रहे थे। अब जब कॉलेजों को नैक से नियमों में उन छूट दी गयी है तो यह कॉलेज भी नैक से अक्रिडिकेशन करवाने की प्रक्रिया को पूरा कर सकते है।


Body:बात दे कि प्रदेश विश्वविद्यालय प्रदेश के कॉलेजों को हजारों रुपये लेने के बाद परमानेंट एफिलिएशन देता है। एचपीयू से यह संबद्धता लेने के लिए कॉलेजों के पास बजट ही नहीं है ऐसे में कॉलेज एचपीयू से स्थाई मान्यता ना लेकर अस्थायी मान्यता से ही काम चला रहे है लेकिन नैक से मान्यता नहीं ले पा रहे है। नैक से मान्यता ना मिलने के चलते इन कॉलेजों को रूसा के तहत मिलने वाली ग्रांट भी नहीं मिल पा रही है,जिसकी वजह से कॉलेजों के विकसात्मक कार्य रुके पड़े है। इन कॉलेजों ने कई मर्तबा एचपीयू से भी स्थायी मान्यता की फीस कम करने के साथ ही शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त करने के लिए बजट देने की मांग भी की थी लेकिन यह बजट उन्हें नहीं पाया और ना ही एचपीयू ने स्थायी मान्यता देने के लिए कॉलेजों की फीस माफ की। कॉलेजों को राहत देने के लिए शिक्षा विभाग ने एचपीयू की कार्यकारिणी परिषद में इस मुद्दे को उठा कर एचपीयू को मान्यता की फीस ना लेने की मांग की थी लेकिन इस पर एचपीयू की ओर से करोड़ो का बजट सरकार से एचपीयू को दिलवाने की शर्त शिक्षा विभाग के समक्ष रखी गयी थी जिसके बाद से मामला जस का तस बिना फ़ैसले के वहीं खड़ा है। अब जिस मामले का तोड़ एचपीयू ओर शिक्षावविभाग नहीं निकाल पाए है उसे नैक ने निकाल लिया है।



Conclusion:शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ.अमरजीत शर्मा का कहना है कि नैक की आयोजित एक बैठक में उन्होंने प्रदेश के कॉलेजों के एचपीयू से स्थायी मान्यता नहीं मिली है जिस वजह से यह कॉलेज नैक से मान्यता ही नहीं ले पा रहे है। उन्होंने कहा कि एचपीयू कॉलेजों को एफिलिएशन देते समय या परमानेंट एफिलिएशन नहीं लिखता है मात्र एफिलिएशन लिखता है या अस्थायी एफिलिएशन लिखता है जिसके चलते कॉलेजों को यह जिन्हें परमानेंट एफिलिएशन नहीं मिली है वो नैक से मान्यता नहीं ले पा रहे है।इस समस्या के हल के रूप में नैक ने कहा है कि अगर कॉलेजों को एचपीयू से एफिलिएशन प्राप्त है फिर चाहे उस पर परमानेंट एफिलिएशन लिखा हो या नहीं नैक उन्हें मान्यता देगा। यह कॉलेज नैक से मान्यता के लिए आवेदन कर सकते है और इनके आवेदन मान्य होंगे।
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