शिमला: हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन ही विपक्ष ने सदन में जमकर हंगामा किया. नियम 67 के तहत सदन में कोरोना संकट पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और मंत्रियों के इस्तीफे तक की मांग कर डाली. नियम 67 के तहत चर्चा में भाग लेते नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि कोरोना के दौरान सरकार ने कोई ठोस उपाय नहीं किए हैं.
मुकेश अग्निहोत्री ने आरोप लगाते हुए कहा कि जयराम सरकार गाड़ियां खरीद रही है, सरकार की ओर से चेयरमैन बनाए जा रहे हैं, प्रदेश में आर्थिक आपदा के लिए सभी कैबिनेट मंत्री जिम्मेदार हैं. हिमाचल में जीएसटी संग्रह का क्या है, जीएसटी का अभी 3200 करोड़ नहीं दिया गया है, हिमाचल प्रदेश में पर्यटन व औद्योगिक क्षेत्र को नष्ट कर दिया गया है. अगर प्रदेश में डीसी ही सब कुछ हैं, तो हम यहां बैठकर क्या कर रहे हैं. जयराम सरकार ने हिमाचल को एक प्रयोगशाला बना दिया गया है.
अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार द्वारा लोगों को प्रदान किए जाने वाले राशन की कीमतों में बढ़ोतरी की गई है. बिजली के बिलों में वृद्धि की गई है, बस किराया 50 फीसदी बढ़ाया गया है, पेट्रोल और डीजल के दाम में बढ़ोतरी हुई है.
हिमाचल में आत्महत्या करने वालों का आंकड़ा बढ़ा है. करीब चार लाख लोग बेरोजगार हुए हैं. पीपीई किट और सेनिटाइजर के नाम पर लूट हुई है. इससे पहले प्रश्नकाल के बाद सदन में कुछ देर के लिए हंगामा भी हुआ.
सीएम जयराम ठाकुर ने साप्ताहिक कार्यसूची की जानकारी दी तो विपक्ष ने नारेबाजी शुरू कर दी. नियम 67 के तहत चर्चा मांगी. इसी को लेकर नोकझोंक शुरू हो गई. बाद में नियम 67 के तहत चर्चा की अनुमति दी गई.
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा यह सरकार दिल्ली की एक्सटेंशन सरकार है. उन्होंने सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि कोरोना संकट काल के दौरान सरकार ने लोगों को राहत देने के स्थान पर आफत देने का काम किया और इस कोरोना संकट काल के दौरान महंगाई बढ़ाई.
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