शिमला: हिमाचल प्रदेश में वैरिकोज वेन्स (varicose veins) बीमारी का इलाज अब बिना चीड़-फाड़ के संभव है. बिना किसी दर्द के अब मरीज वैरिकोज वेन्स बीमारी से छुटकारा पा सकते हैं. आईजीएमसी शिमला के रेडियोलॉजी विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. मानसी वर्मा और डॉ. मुकेश सूर्या ने 10 महीने में 53 वैरिकोज वेन्स से ग्रसित मरीजों का बिना चीड़-फाड़ के सफल इलाज किया है और ये मरीज अब पूरी तरह से फिट हैं. आईजीएमसी रेडियोलॉजी विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. मानसी वर्मा ने बताया कि अब वैरिकोज वेन्स का इलाज बिना चीड़-फाड़ और दर्द के करना संभव है.
'ज्यादा देर तक खड़े रहने का नतीजा है वैरिकोज वेन्स': डॉ. मानसी ने वैरिकोज वेन्स के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह बीमारी अधिक समय तक खड़े रहने से होती है. जो लोग ज्यादा समय तक खड़े रहते हैं उनके पैरों की नसें फूलने लगती है. डॉ. मानसी ने बताया कि 32 से 50 वर्ष की आयु के लोग इस बीमारी से ज्यादा ग्रसित हैं और महिलाओं में ये बीमारी ज्यादा नजर आती है. उन्होंने बताया कि दुकानदार, पुलिस कर्मचारी, ट्रैफिक पुलिस, टीचर और होटल में काम करने वाले लोगों में यह समस्या अधिक देखी गई है, क्योंकि इनका ज्यादातर काम खड़े रहकर होता है. वजन बढ़ने के कारण भी वैरिकोज वेन्स की शिकायत होती है.
OPD में हर हफ्ते में आते हैं 15 से 20 मरीज: डॉ. मानसी ने बताया कि आईजीएमसी शिमला में वैरिकोज वेन्स का इलाज जुलाई 2022 से शुरू हुआ है. तब से लेकर आज तक वैरिकोज वेन्स के 53 मरीजों का सफल इलाज किया जा चुका है. डॉ. मानसी ने बताया कि 1 सप्ताह में 15 से 20 वैरिकोज वेन्स के मरीज उनके पास इलाज के लिए आते हैं और अभी तक सभी मरीजों का सफल इलाज हुआ है.
आईजीएमसी रेडियोलॉजी विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. मुकेश सूर्या ने बताया कि वैरिकोज वेन्स के मरीज सर्जरी के होते हैं. सबसे पहले सर्जरी के चिकित्सक उन्हें जांचते हैं. उसके बाद इन मरीजों को रेडियोलॉजी के पास भेजा जाता है और रेडियोलॉजी में इन मरीजों का बिना चीड़-फाड़ के इलाज किया जाता है. डॉ. मुकेश ने बताया कि पहले सर्जरी में ऑपरेशन कर के इसका इलाज किया जाता था. ऑपरेशन के दौरान इन खराब नसों को ब्लॉक कर दिया जाता था. लेकिन वैरिकोज वेन्स में ऑपरेशन के कारण मरीज को काफी दर्द सहना पड़ता था और यह काफी ज्यादा मंहगा भी था. जिससे मरीज को काफी परेशानी उठानी पड़ती थी.
अब है ये व्यवस्था: डॉ. मुकेश सूर्या ने बताया कि अब नई तकनीक से मरीज का इलाज किया जाता है. इसमें अल्ट्रासाउंड करके मरीज में वैरिकोज वेन्स की स्थिति देखी जाती है और खराब नसों को ठीक किया जाता है. डॉ. मुकेश सूर्या ने बताया कि इसमें 1 लाख तक का खर्चा होता है, लेकिन आईजीएमसी में हिमकेयर व आयुषमान कार्ड पर इसका इलाज बिल्कुल निशुल्क होता है. उन्होंने कहा कि आईजीएमसी शिमला में वैरिकोज वेन्स के मरीज अपने पैरों पर चल कर आते हैं और उसी दिन कुछ घंटो में ठीक होकर अपने पैरों पर ही चलकर घर जाते हैं. डॉ. मुकेश सूर्या ने बताया कि इस इलाज से मरीज को कोई परेशानी या दर्द नहीं होता है और इस आधुनिक तकनीक से इलाज का सक्सेस रेट भी 98 फीसदी होता है.
क्या है वैरिकोज वेन्स: वैरिकोज वेन्स शरीर की बढ़ी हुई नसें होती हैं. चिकित्सकों के अनुसार शरीर के दूषित रक्त को हृदय तक पहुंचाने का काम करने वाली नसें जब फूलने लगती है और उनमें रक्त प्रवाह बंद हो जाता है, तो ऐसी ही नसों में वैरिकोज वेन्स होता है. वैसे तो शरीर की कोई भी नस वैरिकोज वेन्स हो सकती है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा प्रभाव पैरों में देखा गया है. ज्यादा देर खड़े रहने या घूमने से पैरों की नसों पर दबाव पड़ता है जिसके कारण यह समस्या होती है. वैरिकोज वेन्स त्वचा की सतह के नीचे उभरती हुई नीली और फूली हुई नसों की तरह दिखाई देती हैं. जिससे पैरों में दर्द और चलने में असुविधा होती है. कभी-कभी यह समस्या काफी गंभीर रूप ले लेती है. वैरिकोज वेन्स कई बार शरीर में रक्त प्रवाह को भी प्रभावित करती है. इसलिए समय पर वैरिकोज वेन्स का इलाज जरूरी है.
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