शिमला: हिमाचल प्रदेश के नदी नालों में आपार खनिज संपदा है. इस संपदा का है अवैध तरीके से दिन रात दोहन किया जा रहा है. प्राकृति से छेड़छाड़ कर कुछ लोग अवैध तरीके से मोटा मुनाफा कमा रहे हैं, लेकिन इसका खामियाजा बेकसूर लोग भुगत रहे हैं. नदी, नालों में रेत, बजरी, बोल्डर के अवैध खनन के कारण नदियों का भूतल और जलस्तर काफी नीचे चला गया है. इसके कारण खेतों के सींचने वाली कूहलें भी सूख गई हैं. अवैध खनन की समस्या कांगड़ा में सीमावर्ती इलाकों में लंबे समय से चली आ रही है.
इंदौरा के विधायक मलेंद्र राजन में मानसून सत्र के दौरान सरकार से सवाल किया था कि, 'उद्योग मंत्री बताएंगे कि तीन सालों में जिला कांगड़ा में अवैध खननके कितने मामले दर्ज हुए हैं और इनसे कितना जुर्माना वसूल किया गया है.' अपने जवाब में सरकार ने कहा था कि, 'पिछले तीन सालों में जिला कांगड़ा में अवैध खनन / परिवहन के कुल 8,992 मामले पकड़े गए हैं, आरोपियों से 5,79,15,402 रुपये जुर्माना वसूल किया गया है.'
कांगड़ा के बनेर, चक्की खड्ड में बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है. इस अवैध खनन के कारण रेलवे लाइन को भी कई बार खतरा पैदा हो चुका है. हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में पंजाब और हिमाचल की सीमा पर चक्की नदी पर बना 800 मीटर लंबा रेलवे पुल 2022 में ढह गया था. पंजाब के साथ लगती कांगड़ा की सीमा पर अवैध खनन की समस्या ज्यादा है. खनन माफिया रात में नदियों और खड्डों से अवैध खनन करता है. अवैध खननकारी निजी जेसीबी और पोकलेन मशीनों के अलावा अन्य वाहनों को किराये पर लेकर अवैध खनन करते हैं. इस अवैध खनन सामग्री को पंजाब की सीमा के साथ लगते स्टोन क्रैशर पर बेचा जाता है. इंदैरा, नूरपुर, चक्की खड्ड और अन्य दूसरे नदी नालों में अवैध खनन की बहुत बड़ी समस्या है. विधानसभा में सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक नूरपुर में ही अवैध खनन को लेकर सबसे अधिक जुर्माना (42,46,500) वसूला गया है.
खनन माफियाओं ने भारी मशीनरी से कई फीट तक गहरे गड्ढे कर दिए और दिन रात हजारों ट्रक कच्चा माल अवैध तरीके से निकाला जा रहा है. जहां कभी कूहलें चलती थीं आज वो खेत ही खड्ड से 20 फीट ऊंचे पहुंच गए हैं. चक्की खड्ड में जलशक्ति विभाग की कई परियोजनाएं हैं, लेकिन लगातर जलस्तर गिरने से यह परियोजनाएं अब दम तोड़ने की कगार पर हैं.
पूर्व डीजीपी संजय कुंडू ने बीते साल लोगों से अपील की थी कि, 'वह अवैध रूप से खनन करने वालों की शिकायत पुलिस को दें, पुलिस उनका नाम गुप्त रखेगी, जिससे अवैध खनन करने वालो पर रोक लगाई जा सके.' दूसरी तरफ ऐसे भी आरोप लगते रहे हैं कि कई बार राजनीतिक दबाव के चलते भी अफसरों को पीछे हटना पड़ता है.
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