ETV Bharat / state

वो धीर हैं वो वीर हैं! हिमाचल के एक और लाल मेजर जनरल अतुल कौशिक के सीने पर सजा विशिष्ट सेवा मेडल

मेजर जनरल अतुल कौशिक विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित. अमृतसर में आयोजित सेना के गरिमापूर्ण समारोह में मिला सम्मान.

author img

By

Published : Mar 5, 2019, 10:12 PM IST

शिमला: जिले के संजौली कॉलेज से बीएससी और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई करते हुए ही सेना में बतौर अधिकारी पहुंचे मेजर जनरल अतुल कौशिक ने एक बार फिर हिमाचल का नाम पूरे देश में रोशन किया है.
अतुल कौशिक अपने ड्यूटी के दौरान कई बार जम्मू कश्मीर और उत्तरी पूर्वी राज्यों में आतंकियों और घुसपैठियों का मुकाबला बहादुरी से सामना कर चुके हैं. हिमाचल के जाबांज अधिकारी अतुल कौशिक को सेना में सराहनीय सेवाएं देने के लिए विशिष्ट सेवा मेडल से नवाजा गया है.

बीते दिनों अमृतसर में आयोजित सेना के गरिमापूर्ण समारोह में सेना की उत्तरी कमांड के प्रमुख परम वशिष्ठ सेवा मेडल, अति वशिष्ठ सेवा मेडल और सेना मेडल से सम्मानित लेफ्टिनेंट जनरल सुरेंद्र सिंह ने उन्हें राष्ट्रपति की ओर से विशिष्ट सेवा मेडल प्रदान किया. सुबह साढ़े आठ साल जम्मू कश्मीर में आतंकवाद व सीमा पार से घुसपैठ का मुकाबला करने के दौरान बहादुरी व अदम्य साहस के लिए अतुल कौशिक को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ की ओर से तीन बार प्रशंसापत्र भी दिए जा चुके हैं.

undefined

आतंक व घुसपैठ का मुकाबला करने के साथ राष्ट्रीय रायफल का कुशल नेतृत्व करने के लिए उन्हें सेना मेडल से भी नवाजा जा चुका है. आतंकियों का मुकाबला करते हुए वह एक बार बुरी तरह से चोटिल भी हो चुके हैं. हालांकि वह घुसपैठियों को खदेड़ने में कामयाब रहे, लेकिन उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. उन्हें वुड्स मेडल भी मिल चुका है. घायल होने के बाद सेना से सेवानिवृत होने के बजाय उन्होंने सेना का साथ न छोड़ने का फैसला किया.
सिरमौर के नाहन में जन्मे मेजर जनरल अतुल कौशिक की शुरूआती शिक्षा नाहन के बाद शिमला के नामी स्कूल से हुई. प्रदेश विवि में कानून की पढ़ाई करने के दौरान ही उन्हें 1983 में सेना में कमिशन मिल गया. तब से लेकर अब तक अनगिनत सैन्य कार्यवाईयों में भाग ले चुके मेजर जनरल अतुल कौशिक इन दिनों हाई अल्टीटयूड वॉरफेयर स्कूल गुलबर्ग व सोनाबर्ग के प्रमुख हैं और सियाचिन ग्लेशियर समेत तमाम हिमालययी युद्ध क्षेत्रों में जंग के तौर तरीकों से जवानों को लैस कर रहे हैं.

undefined

बहादुरी व अदम्य साहस के लिए कई मेडल हासिल कर चुके मेजर जनरल अतुल कौशिक को पर्वतारोहण का भी शौक है. पिछले साल ही उन्होंने अपनी टुकड़ी के साथ जोजिला दर्रे के पास 19 हजार फुट ऊंची चोटी को फतह किया. इसके अलावा सिक्किम से लेकर नेपाल के दोमोदर कुंड तक वह कई चोटियों को फतह कर चुके हैं. वह सिक्किम व नागालैंड में भी घुसपैठियों का मुकाबला कर चुके हैं.

शिमला: जिले के संजौली कॉलेज से बीएससी और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई करते हुए ही सेना में बतौर अधिकारी पहुंचे मेजर जनरल अतुल कौशिक ने एक बार फिर हिमाचल का नाम पूरे देश में रोशन किया है.
अतुल कौशिक अपने ड्यूटी के दौरान कई बार जम्मू कश्मीर और उत्तरी पूर्वी राज्यों में आतंकियों और घुसपैठियों का मुकाबला बहादुरी से सामना कर चुके हैं. हिमाचल के जाबांज अधिकारी अतुल कौशिक को सेना में सराहनीय सेवाएं देने के लिए विशिष्ट सेवा मेडल से नवाजा गया है.

बीते दिनों अमृतसर में आयोजित सेना के गरिमापूर्ण समारोह में सेना की उत्तरी कमांड के प्रमुख परम वशिष्ठ सेवा मेडल, अति वशिष्ठ सेवा मेडल और सेना मेडल से सम्मानित लेफ्टिनेंट जनरल सुरेंद्र सिंह ने उन्हें राष्ट्रपति की ओर से विशिष्ट सेवा मेडल प्रदान किया. सुबह साढ़े आठ साल जम्मू कश्मीर में आतंकवाद व सीमा पार से घुसपैठ का मुकाबला करने के दौरान बहादुरी व अदम्य साहस के लिए अतुल कौशिक को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ की ओर से तीन बार प्रशंसापत्र भी दिए जा चुके हैं.

undefined

आतंक व घुसपैठ का मुकाबला करने के साथ राष्ट्रीय रायफल का कुशल नेतृत्व करने के लिए उन्हें सेना मेडल से भी नवाजा जा चुका है. आतंकियों का मुकाबला करते हुए वह एक बार बुरी तरह से चोटिल भी हो चुके हैं. हालांकि वह घुसपैठियों को खदेड़ने में कामयाब रहे, लेकिन उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. उन्हें वुड्स मेडल भी मिल चुका है. घायल होने के बाद सेना से सेवानिवृत होने के बजाय उन्होंने सेना का साथ न छोड़ने का फैसला किया.
सिरमौर के नाहन में जन्मे मेजर जनरल अतुल कौशिक की शुरूआती शिक्षा नाहन के बाद शिमला के नामी स्कूल से हुई. प्रदेश विवि में कानून की पढ़ाई करने के दौरान ही उन्हें 1983 में सेना में कमिशन मिल गया. तब से लेकर अब तक अनगिनत सैन्य कार्यवाईयों में भाग ले चुके मेजर जनरल अतुल कौशिक इन दिनों हाई अल्टीटयूड वॉरफेयर स्कूल गुलबर्ग व सोनाबर्ग के प्रमुख हैं और सियाचिन ग्लेशियर समेत तमाम हिमालययी युद्ध क्षेत्रों में जंग के तौर तरीकों से जवानों को लैस कर रहे हैं.

undefined

बहादुरी व अदम्य साहस के लिए कई मेडल हासिल कर चुके मेजर जनरल अतुल कौशिक को पर्वतारोहण का भी शौक है. पिछले साल ही उन्होंने अपनी टुकड़ी के साथ जोजिला दर्रे के पास 19 हजार फुट ऊंची चोटी को फतह किया. इसके अलावा सिक्किम से लेकर नेपाल के दोमोदर कुंड तक वह कई चोटियों को फतह कर चुके हैं. वह सिक्किम व नागालैंड में भी घुसपैठियों का मुकाबला कर चुके हैं.

अदम्य साहस और बहादुरी के लिए सेना मेडल से नवाजे जा चुक मेजर जनरल अतुल कौशिक को अब विशिष्ट सेवा मेडल से अलंकरित किया गया है.

शिमला। शिमला के संजौली कॉलेज से बीएससी और हिमाचल प्रदेश विश्व विद्यालय से कानून की पढ़ाई करते हुए ही सेना में बतौर अधिकारी पहुंचे मेजर जनरल अतुल कौशिक ने एक बार फिर हिमाचल का नाम पूरे देश में रोशन किया है. अतुल कौशिक अपने ड्यूटी के दौरान कई बार जम्मू कश्मीर और उत्तरी पूर्वी राज्यों में आतंकियों और घुसपैठियों का मुकाबला बहादुरी से सामना कर चुके हैं.

हिमाचल के जाबांज अधिकारी अतुल कौशिक को सेना में सराहनीय सेवाएं देने के लिए  विशिष्ट सेवा मेडल से नवाजा गया है. बीते दिनों अमृतसर में आयोजित सेना के गरिमापूर्ण समारोह में सेना की उतरी कमांड के प्रमुख परम वशिष्ठ सेवा मेडल, अति वशिष्ठ सेवा मेडल और सेना मेडल से सम्मानित लेफ्टिनेंट जनरल सुरेंद्र सिंह ने उन्हें राष्टÑपति की ओर से वशिष्ट सेवा मेडल प्रदान किया साढ़े आठ साल जम्मू कश्मीर में आतंकवाद व सीमा पार से घुसपैठ का मुकाबला करने के दौरान बहादुरी व अदम्य साहस के लिए उन्हें चीफ आफ आर्मी स्टाफ की ओर से तीन बार प्रशंसापत्र भी दिए जा चुके है। आतंक व घुसपैठ का मुकाबला करने के लिए राष्ट्रीय रायफल का कुशला नेतृत्व करने के लिए उन्हें सेना मेडल से भी नवाजा जा चुका है. आतंकियों का मुकाबला करते हुए वह एक बार बुरी तरह से चोटिल भी हो चुके है। हालांकि वह घुसपैठियों को खेदेड़ने में कामयाब रहे लेकिन उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। उन्हें वुंडस मेडल भी मिल चुका है। घायल होने के बाद सेना से सेवानिवृति होने के बजाय उन्होंने सेना का साथ न छोड़ने का फैसला किया।

सिरमौर के नाहन में जन्मे मेजर जनरल अतुल कौशिक की शुरूआती शिक्षा नाहन के बाद शिमला के नामी स्कूल से हुई। प्रदेश विवि में कानून की पढ़ाई करने के दौरान ही उन्हें 1983 में सेना में कमिशन मिल गया। तब से लेकर अब तक अनगिनत सैन्य कार्यवाहियों में भाग ले चुके मेजर जनरल अतुल कौशिक इन दिनों हाइ अलटीटयूड वारफेयर स्कूल गुलबर्ग व सोनाबर्ग के प्रमुख है और सियाचिन ग्लेशियर समेत तमाम हिमालययी युद्ध क्षेत्रों में जंग के तौर तरीकों से जवानों को लैस कर रहे है। बहादुरी व अदम्य साहस के लिए कई मेडल हासलि कर चुके मेजर जनरल अतुल कौशिक को पर्वतारोहण का भी शौक है। पिछले साल ही उन्होंने अपनी टुकड़ी के साथ जोजिला दर्रे के पास 19 हजार फुट ऊंची चोटी को फतह किया। इसके अलावा सिक्किम से लेकर नेपाल के दोमोदर कुंड तक वह कई चोटियों को फतह कर चुके है। वह सिक्किम व नागालैंड में भी घुसपैठियों का मुकाबला कर चुके है।

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.