शिमलाः हिमाचल प्रदेश में नया लोकायुक्त एक्ट तो लागू हो गया है. इसके तहत लोक सेवक से लेकर जनप्रतिनिधि के भ्रष्टाचार मामलों की जांच हो सकती है. इनमें विधायक और मंत्रियों के भ्रष्टाचार के आरोपों की भी जांच हो सकती है.
इसके लिए शिकायकर्ता को शपथपत्र देना होगा. अगर यह झूठी पाई गई तो शिकायकर्ता पर भी मामला दर्ज होगा. यह एक्ट कितना अमल में आता है यह देखने वाली बात होगी, क्योंकि प्रदेश में लोकायुक्त का पद फिलहाल खाली चल रहा है और इस पद को कब तक भरा जाएगा इसपर कुछ नहीं कहा जा सकता.
हिमाचल सरकार ने वर्ष 1983 के बाद पहली बार अधिनियम की धारा 54 में संशोधन कर लोकायुक्त के नए नियम लागू कर दिए हैं. नियमों के मुताबिक सरकारी विभागों के अफसरों से चपरासी तक अब सभी को अपनी संपत्ति का ब्यौरा लोकायुक्त को देना होगा. यह ब्यौरा हर साल 31 जुलाई तक कार्यालय में पहुंचना अनिवार्य किया गया है. अगर ऐसा नहीं हुआ तो लापरवाह अफसरों पर कार्रवाई करने का भी प्रावधान है.
नए प्रावधानों के तहत लोकायुक्त का अलग थाना होना जरूरी है. शुरूआत में शिमला, धर्मशाला और मंडी में थाने खुलेंगे. जिनमें प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट-1988 (केंद्र) और 1983 (राज्य) के तहत केस दर्ज किए जाएंगे. साथ ही कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर एक्ट-1973 के तहत पुलिस स्टेशनों की प्रक्रिया चलेगी.