शिमला: सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज सचिवालय में पदभार ग्रहण कर लिया. अब नया मुख्य सचिव को लेकर तलाश भी शुरू हो गई और लॉबिंग भी. जानकारी के मुताबिक इस समय आरडी धीमान मुख्य सचिव हैं और वह 31 दिसंबर को सेवानिवृत होंगे. वहीं नए सीएस को लेकर लॉबिंश का दौर भी शुरू हो गया है. ((Lobbying started regarding Himachal CS))
अफसरशाही की इनपर निगाहें: अब आरडी धीमान के बाद मुख्य सचिव के लिए कौन चुना जाएगा, इस पर अफसरशाही की निगाहें हैं. सीनियोरिटी में देखें तो अली रजा रिजवी और के. संजयमूर्ति हैं. उसके बाद प्रबोध सक्सेना का नंबर है. प्रबोध सक्सेना इस समय एसीएस रैंक के अफसर हैं. उपरोक्त वर्णित 2 अफसर अली रजा रिजवी व संजयमूर्ति केंद्र में डेपुटेशन पर हैं. क्या नई सरकार डेपुटेशन से उन्हें वापस बुलाएगी या फिर राज्य में उपलब्ध अफसरों से ही काम चलाएगी. (Sukhwinder Singh Sukhu took charge)
वीरभद्र सिंह ने किया था सीनियोरिटी को इग्नोर: हिमाचल में पूर्व में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने विनीत चौधरी, उपमा चौधरी व दीपक सानन सहित दो अन्य अफसरों की सीनियोरिटी इग्नोर कर वीसी फारका को मुख्य सचिव बनाया था. तब विनीत चौधरी अपने हक के लिए कैट यानी सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल चले गए थे. वे कैट से केस भी जीते थे और बाद में जयराम सरकार में मुख्य सचिव बनाए गए. (Rizvi and Sanjay Murthy in CS Race)
जयराम सरकार ने सीनियोरिटी इग्नोर नहीं की: जयराम सरकार ने बेशक सीनियोरिटी इग्नोर नहीं की, लेकिन उनके कार्यकाल में मुख्य सचिव बदलते ही रहे. खासकर डायनामिक ब्यूरोक्रेसी अनिल खाची को बदलने का किस्सा खूब चर्चा में रहा. अनिल खाची के बाद रामसुभग सिंह सीएस बनाए गए. अनिल खाची से पहले श्रीकांत बाल्दी सीएस रहे. कुल मिलाकर बात ये है कि हिमाचल में मुख्य सचिव चुनना और फिर ब्यूरोक्रेट का उस पद पर टिके रहना कभी कभार कठिन भी हो जाता है. ऐसे में नई सरकार के आने के बाद नया मुख्य सचिव कौन होगा, ये देखना भी रोचक होगा.