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क्या ड्राइ रन में दी गई कोरोना वैक्सीन? यहां एक क्लिक में हर कन्फ्यूजन का हल

पूरे देश के साथ हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में तीन जगह वैक्सीन का ड्राइ रन हुआ. डीडीयू अस्पताल, तेंजिन अस्पताल और कुसुम्पटी के सरकारी स्कूल में WHO की टीम की निगरानी में वैक्सीन का ड्राइ रन किया गया. देशभर में हुए वैक्सीन के ड्राइ रन को लेकर देशभर के लोगों में कन्फ्यूजन बना रहा. सोशल मीडिया पर भी देश में चल रहा ड्राइ रन ट्रेंड करता रहा. दरअसल लोगों के दिमाग में इस ड्राइ रन को लेकर कई सवाल थे. क्योंकि जैसे दुनिया पहली बार कोरोना वायरस से लड़ रही है उसी तरह पहली बार इस तरह वैक्सीन का ड्राइ रन भी हो रहा था.

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Published : Jan 3, 2021, 8:32 PM IST

ड्राइ रन
ड्राइ रन

शिमलाः सरकार ने 2 जनवरी यानी शनिवार को पूरे देश में कोरोना वायरस वैक्सीन का ड्राइ रन करवाया. इससे पहले चार राज्यों में ये ड्राइ रन हुआ था. ये चार राज्य थे पंजाब, असम, आंध्र प्रदेश और गुजरात. इन चार राज्यों के बाद वैक्सीन का ड्राइ रन देश के सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में करवाया गया.

हिमाचल में 3 जगह हुआ ड्राइ रन

इसी कड़ी में पूरे देश के साथ हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में तीन जगह वैक्सीन का ड्राइ रन हुआ. डीडीयू अस्पताल, तेंजिन अस्पताल और कुसुम्पटी के सरकारी स्कूल में WHO की टीम की निगरानी में वैक्सीन का ड्राइ रन किया गया. जिसमें हर केंद्र में 25-25 लोगों पर ट्रायल किया गया. पहले चरण में स्वास्थ्य कर्मियों पर ये ट्रायल किया गया.

ड्राइ रन को लेकर लोगों में कन्फ्यूजन ही कन्फ्यूजन

देशभर में हुए वैक्सीन के ड्राइ रन को लेकर देशभर के लोगों में कन्फ्यूजन बना रहा. सोशल मीडिया पर भी देश में चल रहा ड्राइ रन ट्रेंड करता रहा. दरअसल लोगों के दिमाग में इस ड्राइ रन को लेकर कई सवाल थे. क्योंकि जैसे दुनिया पहली बार कोरोना वायरस से लड़ रही है उसी तरह पहली बार इस तरह वैक्सीन का ड्राइ रन भी हो रहा था. जो सवाल कन्फ्यूज कर रहे थे उसमें से सबसे बड़ा सवाल था कि क्या इस ड्राइ रन शामिल लोगों को वैक्सीन का डोज़ लग चुका है ?

इस सवाल का जवाब जानने से पहले कुछ और चीजें जाननी जरूरी है.

क्या होता है ड्राइ रन?

ड्राइ रन एक तरह से कोरोना वायरस वैक्सिनेशन की एक मॉक ड्रिल है. यह डॉक्टर्स, अस्पतालों, मेडिकल स्टाफ की तैयारियों का एक टेस्ट है. इस ड्राइ रन में देश के अलग-अलग हिस्सों में एक सेटअप तैयार किया गया. जहां ड्राइ रन के दौरान उन गतिविधियों को किया गया जो वैक्सीनेशन के दौरान की जानी हैं. यानि ये एक तरह की ट्रेनिंग या वैक्सीनेशन की प्रक्रिया को अंजाम देने से पहले एक तरह का रिविजन था.

क्यों करवाया गया ड्राइ रन?

सीधे शब्दों में कहें तो ड्राइ रन वेक्सिनेशन प्रक्रिया की प्रैक्टिस थी. ताकि वैक्सीन के आने पर इस प्रक्रिया को सटीक तरीके से किया जा सके. वैक्सीनेशन को अंजाम देने के लिए एक पूरी प्रक्रिया से होकर गुजरना होगा. इस प्रक्रिया में वैक्सीन देने वाले और वैक्सीन लेने वाले के अलावा भी कई लोगों की भागीदारी अहम होगी. इसके लिए स्वास्थ्य कर्मियों और उनके साथ वैक्सिनेशन के काम में जुटे कर्मचारियों के बीच तालमेल बहुत जरूरी है. इसी तालमेल के साथ वक्त आने पर वैक्सीनेशन के काम को बखूबी तरीके से अंजाम दिया जा सके इसके लिए ड्राइ रन जरूरी था.

ड्राइ रन में कैसे हुआ काम?

दरअसल, इस ड्राइ रन में हर सेंटर पर 25 लोगों को शामिल किया गया. जैसे शिमला में 3 ड्राइ रन के लिए 3 सेंटर बने तो हर सेंटर पर 25-25 लोगों को इस ड्राइ रन का हिस्सा बने. जिनकी थर्मल स्कैनिंग की गई. उसके आधार पर ही आगे की प्रक्रिया की गयी. इस ड्राइ रन में वैक्सीन कार्यक्रम के दौरान होने वाले सभी प्रॉसेस को फॉलो करवाया गया और इस बीच आने वाली दिक्कतों पर नज़र रखी गयी. यह सब सांकेतिक था.

क्या लोगों को दी गयी वैक्सीन?

कुछ लोग सोच रहे होंगे कि क्या वैक्सीन के ड्राइ रन में शामिल लोगों को वैक्सीन का डोज दिया गया. मगर, ऐसा नहीं है, इस दौरान किसी को भी वैक्सीन नहीं दी गई, बस ये देखा गया कि वैक्सिनेशन के दौरान किस प्रक्रिया से गुजरना होगा और उस दौरान क्या-क्या किया जाएगा. उस सारे प्रोसेस का अभी सिर्फ मॉक टेस्ट हुआ. फोटो या वीडियो में देखे जाने वाले इंजेक्शन खाली थे. इंजेक्शन से सीरिंज हटा कर उसे शरीर से लगाया गया जो महज एक सांकेतिक कार्य था. इसमें लोगों को किसी भी प्रकार की कोई वैक्सीन नही दी गई.

भारत में दो वैक्सीन को मंजूरी

कोरोना वायरस के संकट के बाद सबसे ज्यादा इंतजार वैक्सीन का ही हो रहा था. कोरोना वैक्सीन का इंतजार अब खत्म हो गया है. सबसे पहले ये जान लेना जरुरी है कि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने सीरम इंस्टीट्यूट की 'कोविशील्ड' और भारत बायोटेक की 'कोवैक्सीन' को आपातकालीन स्थित में इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है.

ये भी पढ़ें­-साल 2020 के आखिरी महीनों में बेलगाम हुआ था कोरोना, दिसंबर में 281 लोगों ने तोड़ा दम

शिमलाः सरकार ने 2 जनवरी यानी शनिवार को पूरे देश में कोरोना वायरस वैक्सीन का ड्राइ रन करवाया. इससे पहले चार राज्यों में ये ड्राइ रन हुआ था. ये चार राज्य थे पंजाब, असम, आंध्र प्रदेश और गुजरात. इन चार राज्यों के बाद वैक्सीन का ड्राइ रन देश के सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में करवाया गया.

हिमाचल में 3 जगह हुआ ड्राइ रन

इसी कड़ी में पूरे देश के साथ हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में तीन जगह वैक्सीन का ड्राइ रन हुआ. डीडीयू अस्पताल, तेंजिन अस्पताल और कुसुम्पटी के सरकारी स्कूल में WHO की टीम की निगरानी में वैक्सीन का ड्राइ रन किया गया. जिसमें हर केंद्र में 25-25 लोगों पर ट्रायल किया गया. पहले चरण में स्वास्थ्य कर्मियों पर ये ट्रायल किया गया.

ड्राइ रन को लेकर लोगों में कन्फ्यूजन ही कन्फ्यूजन

देशभर में हुए वैक्सीन के ड्राइ रन को लेकर देशभर के लोगों में कन्फ्यूजन बना रहा. सोशल मीडिया पर भी देश में चल रहा ड्राइ रन ट्रेंड करता रहा. दरअसल लोगों के दिमाग में इस ड्राइ रन को लेकर कई सवाल थे. क्योंकि जैसे दुनिया पहली बार कोरोना वायरस से लड़ रही है उसी तरह पहली बार इस तरह वैक्सीन का ड्राइ रन भी हो रहा था. जो सवाल कन्फ्यूज कर रहे थे उसमें से सबसे बड़ा सवाल था कि क्या इस ड्राइ रन शामिल लोगों को वैक्सीन का डोज़ लग चुका है ?

इस सवाल का जवाब जानने से पहले कुछ और चीजें जाननी जरूरी है.

क्या होता है ड्राइ रन?

ड्राइ रन एक तरह से कोरोना वायरस वैक्सिनेशन की एक मॉक ड्रिल है. यह डॉक्टर्स, अस्पतालों, मेडिकल स्टाफ की तैयारियों का एक टेस्ट है. इस ड्राइ रन में देश के अलग-अलग हिस्सों में एक सेटअप तैयार किया गया. जहां ड्राइ रन के दौरान उन गतिविधियों को किया गया जो वैक्सीनेशन के दौरान की जानी हैं. यानि ये एक तरह की ट्रेनिंग या वैक्सीनेशन की प्रक्रिया को अंजाम देने से पहले एक तरह का रिविजन था.

क्यों करवाया गया ड्राइ रन?

सीधे शब्दों में कहें तो ड्राइ रन वेक्सिनेशन प्रक्रिया की प्रैक्टिस थी. ताकि वैक्सीन के आने पर इस प्रक्रिया को सटीक तरीके से किया जा सके. वैक्सीनेशन को अंजाम देने के लिए एक पूरी प्रक्रिया से होकर गुजरना होगा. इस प्रक्रिया में वैक्सीन देने वाले और वैक्सीन लेने वाले के अलावा भी कई लोगों की भागीदारी अहम होगी. इसके लिए स्वास्थ्य कर्मियों और उनके साथ वैक्सिनेशन के काम में जुटे कर्मचारियों के बीच तालमेल बहुत जरूरी है. इसी तालमेल के साथ वक्त आने पर वैक्सीनेशन के काम को बखूबी तरीके से अंजाम दिया जा सके इसके लिए ड्राइ रन जरूरी था.

ड्राइ रन में कैसे हुआ काम?

दरअसल, इस ड्राइ रन में हर सेंटर पर 25 लोगों को शामिल किया गया. जैसे शिमला में 3 ड्राइ रन के लिए 3 सेंटर बने तो हर सेंटर पर 25-25 लोगों को इस ड्राइ रन का हिस्सा बने. जिनकी थर्मल स्कैनिंग की गई. उसके आधार पर ही आगे की प्रक्रिया की गयी. इस ड्राइ रन में वैक्सीन कार्यक्रम के दौरान होने वाले सभी प्रॉसेस को फॉलो करवाया गया और इस बीच आने वाली दिक्कतों पर नज़र रखी गयी. यह सब सांकेतिक था.

क्या लोगों को दी गयी वैक्सीन?

कुछ लोग सोच रहे होंगे कि क्या वैक्सीन के ड्राइ रन में शामिल लोगों को वैक्सीन का डोज दिया गया. मगर, ऐसा नहीं है, इस दौरान किसी को भी वैक्सीन नहीं दी गई, बस ये देखा गया कि वैक्सिनेशन के दौरान किस प्रक्रिया से गुजरना होगा और उस दौरान क्या-क्या किया जाएगा. उस सारे प्रोसेस का अभी सिर्फ मॉक टेस्ट हुआ. फोटो या वीडियो में देखे जाने वाले इंजेक्शन खाली थे. इंजेक्शन से सीरिंज हटा कर उसे शरीर से लगाया गया जो महज एक सांकेतिक कार्य था. इसमें लोगों को किसी भी प्रकार की कोई वैक्सीन नही दी गई.

भारत में दो वैक्सीन को मंजूरी

कोरोना वायरस के संकट के बाद सबसे ज्यादा इंतजार वैक्सीन का ही हो रहा था. कोरोना वैक्सीन का इंतजार अब खत्म हो गया है. सबसे पहले ये जान लेना जरुरी है कि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने सीरम इंस्टीट्यूट की 'कोविशील्ड' और भारत बायोटेक की 'कोवैक्सीन' को आपातकालीन स्थित में इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है.

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