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शिमला के इस 'चीनी' का भारत के लिए धड़कता है दिल, बोले: मैं चीन से ज्यादा भारत का हूं

राजधानी शिमला में रहने वाले जॉन मूल रूप से चीन के हैं. जॉन शिमला में जूतों की दुकान के मालिक हैं और वे दोनों देशों के बीच शांति चाहते हैं. उनका कहना है कि दोनों देशों की सरकारों को आपस में वार्ता कर विवाद को सुलझाना चाहिए. जॉन खुद को चीनी कम बल्कि भारतीय ज्यादा समझते हैं.

migrated chinese citizen
चीनी मूल के भारतीय जॉन
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Published : Jun 27, 2020, 10:39 PM IST

Updated : Jun 28, 2020, 9:18 AM IST

शिमला: भारत-चीन के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. लद्दाख के गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तल्खी और बढ़ गई है. दोनों देशों के सेना अधिकारी लगातार वार्ता कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकला है. एक तरफ लोग चाइनीज सामान का बहिष्कार कर रहे हैं. तो वहीं भारत में रह रहे चीनी लोग खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं.

चीनी मूल के भारतीय जॉन की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. जॉन शिमला में जूतों की दुकान के मालिक हैं और वे दोनों देशों के बीच शांति चाहते हैं.शिमला में ब्रिटिशकाल से ही माल रोड पर तीन से चार दुकानें चीन मूल के व्यपारियों की हैं. कई दशक पहले इनके पूर्वज यहां आए थे और अब भारत इनकी रग-रग में बस गया है. अब ये खुद को भारतीय ही मानते हैं. ये भी यही चाहते हैं कि भारत और चीन के बीच चल रहा विवाद जल्द सुलझ जाएं.

स्पेशल रिपोर्ट

शिमला के मालरोड पर स्थित जूतों की दुकान चलाने वाले जॉन मूल रूप से चीन के हैं. उनका कहना है कि सीमा पर भारत और चीन के बीच चल रहा विवाद शांत होना चाहिए. जॉन के पूर्वज भले ही चीन से आए हों, लेकिन उन्हें आज तक यहां किसी भी भेदभाव का शिकार नहीं होना पड़ा.

जॉन का मानना है कि लोगों के दिलों में बढ़ रही नफरत को प्यार और शांति से पिघला देना चाहिए. इसके लिए दोनों देशों की सरकारों को आपस में बातचीत करनी चाहिए. शिमला के माल रोड पर ही हॉपसन एंड कॉर्पोरेशन, सी फूक चोंग एंड कॉर्पोरेशन और ताशंग एंड कॉर्पोरेशन के शू स्टोर हैं. लोगों को यहां के ब्रांड के जूतों की खरीदारी करना पसंद है. इनके हैंडमेड शूज काफी लोकप्रिय हैं और स्थानीय लोगों के साथ ही शिमला आने वाले पर्यटक भी इन्हें खासा पसंद करते हैं.

सरहदों पर भले ही तकरार हो चीन भले ही भारत को आंखें दिखा रहा हो, लेकिन भारत अतिथि देवो भव: परंपरा को आज भी नहीं भूला है. भारत ने मुश्किल में हर समुदाय और मुल्क की रक्षा की है. दो देशों की दुश्मनी में भारत ने कभी दुश्मन देश के नागरिकों को तंग नहीं किया.

ये भी पढ़ें: चालबाज चीन क्यों ले रहा भारत से पंगा! LAC पर क्या है चाइना की चाल ?

शिमला: भारत-चीन के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. लद्दाख के गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तल्खी और बढ़ गई है. दोनों देशों के सेना अधिकारी लगातार वार्ता कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकला है. एक तरफ लोग चाइनीज सामान का बहिष्कार कर रहे हैं. तो वहीं भारत में रह रहे चीनी लोग खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं.

चीनी मूल के भारतीय जॉन की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. जॉन शिमला में जूतों की दुकान के मालिक हैं और वे दोनों देशों के बीच शांति चाहते हैं.शिमला में ब्रिटिशकाल से ही माल रोड पर तीन से चार दुकानें चीन मूल के व्यपारियों की हैं. कई दशक पहले इनके पूर्वज यहां आए थे और अब भारत इनकी रग-रग में बस गया है. अब ये खुद को भारतीय ही मानते हैं. ये भी यही चाहते हैं कि भारत और चीन के बीच चल रहा विवाद जल्द सुलझ जाएं.

स्पेशल रिपोर्ट

शिमला के मालरोड पर स्थित जूतों की दुकान चलाने वाले जॉन मूल रूप से चीन के हैं. उनका कहना है कि सीमा पर भारत और चीन के बीच चल रहा विवाद शांत होना चाहिए. जॉन के पूर्वज भले ही चीन से आए हों, लेकिन उन्हें आज तक यहां किसी भी भेदभाव का शिकार नहीं होना पड़ा.

जॉन का मानना है कि लोगों के दिलों में बढ़ रही नफरत को प्यार और शांति से पिघला देना चाहिए. इसके लिए दोनों देशों की सरकारों को आपस में बातचीत करनी चाहिए. शिमला के माल रोड पर ही हॉपसन एंड कॉर्पोरेशन, सी फूक चोंग एंड कॉर्पोरेशन और ताशंग एंड कॉर्पोरेशन के शू स्टोर हैं. लोगों को यहां के ब्रांड के जूतों की खरीदारी करना पसंद है. इनके हैंडमेड शूज काफी लोकप्रिय हैं और स्थानीय लोगों के साथ ही शिमला आने वाले पर्यटक भी इन्हें खासा पसंद करते हैं.

सरहदों पर भले ही तकरार हो चीन भले ही भारत को आंखें दिखा रहा हो, लेकिन भारत अतिथि देवो भव: परंपरा को आज भी नहीं भूला है. भारत ने मुश्किल में हर समुदाय और मुल्क की रक्षा की है. दो देशों की दुश्मनी में भारत ने कभी दुश्मन देश के नागरिकों को तंग नहीं किया.

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Last Updated : Jun 28, 2020, 9:18 AM IST
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