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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद होगी जेबीटी भर्ती मामले की सुनवाई, हिमाचल हाई कोर्ट में भी चल रहा मामला - JBT recruitment case in Himachal

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा है कि जेबीटी भर्ती मामले में सुनवाई सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद होगी. मामला जेबीटी के पदों पर भर्ती के लिए बिना जेबीटी टैट पास किए बीएड डिग्रीधारकों को कंसीडर न करने से जुड़ा है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है. ऐसे में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा कि पहले सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने दिया जाएगा.

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट
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Published : Mar 6, 2023, 9:34 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा है कि जेबीटी भर्ती मामले में सुनवाई सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद होगी. मामला जेबीटी के पदों पर भर्ती के लिए बिना जेबीटी टैट पास किए बीएड डिग्रीधारकों को कंसीडर न करने से जुड़ा है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है. ऐसे में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा कि पहले सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने दिया जाएगा. हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ के समक्ष इस मामले में सुनवाई चल रही है.

मामले के अनुसार हिमाचल प्रदेश में सरकारी स्कूलों में 617 जेबीटी शिक्षकों के पदों के लिए सीधी भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई थी. इस भर्ती प्रक्रिया का परिणाम भी घोषित कर दिया गया था. पूरी परीक्षा में 617 पदों के खिलाफ 613 शिक्षक ही शैक्षणिक योग्यता पूरी करने वाले पाए गए. राज्य में 1135 बीएड डिग्री धारकों को इन पदों के खिलाफ इसलिए कंसीडर नहीं किया गया. क्योंकि इनके पास जेबीटी टेट की डिग्री नहीं था. कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर (अब भंग) और शिक्षा विभाग के अनुसार नियमों के तहत जेबीटी पदों के लिए जेबीटी टेट पास होना अनिवार्य था.

प्रार्थियों का कहना है कि उन्हें जेबीटी टेट में बैठने की अनुमति नहीं दी गई थी. इसलिए उनके पास जेबीटी टेट पास सर्टिफिकेट नहीं था. प्रार्थियों का यह भी कहना है कि हाई कोर्ट के आदेशानुसार बीएड धारकों को इन पदों के लिए कंसीडर नहीं किया गया. क्योंकि कोर्ट ने एनसीटीई की अधिसूचना के आधार पर बीएड डिग्रीधारक भी जेबीटी भर्ती के लिए पात्र बनाए हैं. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि यह भर्ती हाई कोर्ट में विचाराधीन पुनर्विचार याचिका और सर्वोच्च न्यायालय में लंबित विशेष अनुमति याचिका के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगी.

नगर निगम शिमला की मतदाता सूची में बाहरी विधानसभा क्षेत्रों के वोटरों को मतदान से रोकने वाले प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई अब 9 मार्च को होगी. सोमवार को इस मामले पर सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने सरकार की ओर से हिदायत पेश करने के लिए अदालत से अतिरिक्त समय की मांग की. ये मामला हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए लगा है.

इस मामले में कुणाल वर्मा नामक शख्स ने याचिका दाखिल की है. याचिका में कहा गया है कि वो शिमला नगर निगम क्षेत्र के तहत रहता है, लेकिन दूसरी विधानसभा क्षेत्र से संबंध रखने के कारण नगर निगम शिमला की वोटर्स लिस्ट में उसका नाम नहीं दर्ज हो सकता. इस प्रावधान के बारे में राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी की थी. कुणाल वर्मा ने याचिका के माध्यम से उसे हाई कोर्ट में चुनौती पेश की है. मामले पर सुनवाई अब 9 मार्च को होगी.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स पर लगेगा वाटर सेस, नई एक्साइज पॉलिसी को भी कैबिनेट की मंजूरी

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा है कि जेबीटी भर्ती मामले में सुनवाई सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद होगी. मामला जेबीटी के पदों पर भर्ती के लिए बिना जेबीटी टैट पास किए बीएड डिग्रीधारकों को कंसीडर न करने से जुड़ा है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है. ऐसे में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा कि पहले सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने दिया जाएगा. हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ के समक्ष इस मामले में सुनवाई चल रही है.

मामले के अनुसार हिमाचल प्रदेश में सरकारी स्कूलों में 617 जेबीटी शिक्षकों के पदों के लिए सीधी भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई थी. इस भर्ती प्रक्रिया का परिणाम भी घोषित कर दिया गया था. पूरी परीक्षा में 617 पदों के खिलाफ 613 शिक्षक ही शैक्षणिक योग्यता पूरी करने वाले पाए गए. राज्य में 1135 बीएड डिग्री धारकों को इन पदों के खिलाफ इसलिए कंसीडर नहीं किया गया. क्योंकि इनके पास जेबीटी टेट की डिग्री नहीं था. कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर (अब भंग) और शिक्षा विभाग के अनुसार नियमों के तहत जेबीटी पदों के लिए जेबीटी टेट पास होना अनिवार्य था.

प्रार्थियों का कहना है कि उन्हें जेबीटी टेट में बैठने की अनुमति नहीं दी गई थी. इसलिए उनके पास जेबीटी टेट पास सर्टिफिकेट नहीं था. प्रार्थियों का यह भी कहना है कि हाई कोर्ट के आदेशानुसार बीएड धारकों को इन पदों के लिए कंसीडर नहीं किया गया. क्योंकि कोर्ट ने एनसीटीई की अधिसूचना के आधार पर बीएड डिग्रीधारक भी जेबीटी भर्ती के लिए पात्र बनाए हैं. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि यह भर्ती हाई कोर्ट में विचाराधीन पुनर्विचार याचिका और सर्वोच्च न्यायालय में लंबित विशेष अनुमति याचिका के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगी.

नगर निगम शिमला की मतदाता सूची में बाहरी विधानसभा क्षेत्रों के वोटरों को मतदान से रोकने वाले प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई अब 9 मार्च को होगी. सोमवार को इस मामले पर सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने सरकार की ओर से हिदायत पेश करने के लिए अदालत से अतिरिक्त समय की मांग की. ये मामला हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए लगा है.

इस मामले में कुणाल वर्मा नामक शख्स ने याचिका दाखिल की है. याचिका में कहा गया है कि वो शिमला नगर निगम क्षेत्र के तहत रहता है, लेकिन दूसरी विधानसभा क्षेत्र से संबंध रखने के कारण नगर निगम शिमला की वोटर्स लिस्ट में उसका नाम नहीं दर्ज हो सकता. इस प्रावधान के बारे में राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी की थी. कुणाल वर्मा ने याचिका के माध्यम से उसे हाई कोर्ट में चुनौती पेश की है. मामले पर सुनवाई अब 9 मार्च को होगी.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स पर लगेगा वाटर सेस, नई एक्साइज पॉलिसी को भी कैबिनेट की मंजूरी

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