शिमला: साल 2020-21 के लिए राज्य सरकार ने बजट की तैयारी शुरू कर दी है. बजट को लोक केंद्रित बनाने के लिए सरकार ने आम जनता, उद्योगों, व्यापारिक और कृषक संगठनों से बजट के लिए सुझाव आमंत्रित किए हैं. आम जनता 24 दिसंबर तक ई-मेल के माध्यम से अपने सुझाव भेज सकती है.
इसके अलावा पत्र के माध्यम से भी अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) कार्यालय में सुझाव भेजे जा सकते हैं. बजट के लिए सुझाव राजस्व प्राप्ति में वृद्धि, व्यय नियंत्रण और अन्य संबंधित मामलों पर दिए जा सकते है. सरकार का मानना है कि इससे बजट निर्माण में पारदर्शिता, खुलापन, प्रतिक्रियात्मक और सहभागी दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलेगा. दरअसल हर साल सरकार प्रदेश का बजट बनाने से पहले जनता से सुझाव आमंत्रित करती है.
साल 2019-20 के बजट के लिए भी प्रदेश सरकार ने आम जनता से सुझाव आमंत्रित किए थे. इस दौरान हिमाचल के 113 लोगों ने सुझाव दिया था कि प्रदेश सरकार अपने शासन-प्रशासन के तरीके में सुधार करे. 2019 के वार्षिक बजट के लिए लोगों ने प्रदेश सरकार को 778 सुझाव दिए थे.
राज्य सरकार के वित्त विभाग ने किसानों-बागवानों, उद्योग संगठनों, व्यापारी वर्ग, श्रम संगठनों, विभिन्न संस्थाओं व आम जनता की बजट पर राय मांगी है. सरकार के सुझाव आने के बाद इनका अध्ययन किया जाता है. हिमाचल प्रदेश की आर्थिक सेहत बेहद चिंताजनक है.
राज्य पर 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है. 70 लाख से अधिक की आबादी वाले प्रदेश में 10 लाख से अधिक युवा बेरोजगार हैं. सरकारी नौकरियों की उपलब्धता लगातार कम होती जा रही है. वहीं, स्वरोजगार के साधन भी सीमित हैं. प्रदेश में चार लाख बागवान परिवार हैं. अस्सी फीसदी लोग किसानी से जुड़े हैं. दो लाख से अधिक लोग सरकारी नौकरियों में हैं. हिमाचल में स्वरोजगार के लिए पर्यटन के क्षेत्र पर अधिक ध्यान दिए जाने की जरूरत है. किसानी को लाभ का सौदा बनाए जाने के उपाय तलाशने की आवश्यकता है.
हिमाचल में किसान व बागवान बंदरों और जंगली जानवरों द्वारा फसल को पहुंचाए जाने वाले नुकसान से त्रस्त हैं. खेती-किसानी पर निर्भर कई इलाकों में सिंचाई सुविधा की कमी है. हिमाचल आर्थिक सहायता के लिए केंद्र पर निर्भर रहता है. केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं में नब्बे-दस के अनुपात में खर्च होता है. केंद्र सरकार केंद्रीय योजनाओं में नब्बे फीसदी राशि देती है. इसके बाद भी राज्य की आर्थिक स्थिती खराब है, जिसका कारण प्रदेश सरकार का अपने खर्चों में कटौती नहीं करना है.