शिमला: एचपीयू ने पंचायत सचिव भर्ती प्रक्रिया में फीस कम करने को मना किया है. विश्वविद्यालय में हुई ईसी की बैठक में इस मामले पर चर्चा की गई. जिसके बाद विश्वविद्यालय ने फैसला लिया कि पंचायत सचिव भर्ती के आवेदन की फीस में किसी भी तरह की कोई कटौती नहीं किया जाएगा. पंचायती राज विभाग की ओर से विश्वविद्यालय को फीस कम करने को लेकर पत्र लिखा गया था, बावजूद इसके भी चुनाव आयोग (ईसी) में इस मामले को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ.फीस को कम ना करने के पीछे विश्वविद्यालय ने तर्क दिया है कि गैर शिक्षकों के पदों की भर्ती के लिए भी उतनी ही आवेदन फीस विश्वविद्यालय की ओर से ली जाती है. आवेदन की फीस कम नहीं करेगा.
कानूनी राय लेने के बाद आगे की प्रक्रिया बढ़ाया जाएगा
एचपीयू कुलपति प्रो.सिंकदर कुमार की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में बिना प्रवेश परीक्षाओं के मेरिट के आधार पर पीजी कोर्स में प्रवेश देने के मामले को लेकर उच्च न्यायालय के आदेशों पर भी चर्चा की गई. बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रवेश परीक्षा मामले पर विश्वविद्यालय कानूनी राय लेगा और उसके बाद आगे की प्रक्रिया को बढ़ाया जाएगा. बता दें कि प्रदेश विश्वविद्यालय की ओर से इस बार भी पीजी कोर्सेज में दाखिला छात्रों को आधार मेरिट के आधार पर दिया गया है.
इस मामले में प्रदेश उच्च न्यायालय ने आदेश जारी करते हुए मेरिट आधार पर हुई प्रवेश प्रक्रिया को अनुचित बताया था और प्रदेश विश्वविद्यालय को इस मामले में कार्यकारिणी परिषद की बैठक बुलाने के आदेश दिए थे. इसके तहत प्रदेश विश्वविद्यालय में कार्यकारिणी परिषद की बैठक आयोजित की गई. बैठक में फैसला लिया गया कि इस मामले में कानूनी राय लेने के बाद दोबारा इस मुद्दे को ईसी में रखा जाएगा.
3 माह के अंदर एचपीयू इस मामले में अधिवक्ता की राय लेगा
3 माह के अंदर एचपीयू इस मामले में अधिवक्ता की राय लेगा और फिर दोबारा से ईसी की बैठक बुला कर इस मामले पर चर्चा की जाएगी. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की कार्यकारिणी परिषद की बैठक में पंचायत सचिव भर्ती मामले में हुई चर्चा में एचपीयू ने जहां फीस को कम करने को लेकर कोई फैसला नहीं लिया. वहीं, यह चर्चा की गई की अगर पंचायत सचिव भर्ती में आरक्षित या अन्य वर्ग को छूट देना चाहती है तो एचपीयू सरकार से बजट की मांग करेगा.