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SC पहुंची हिमाचल सरकार, शिमला प्लानिंग एरिया में भवन निर्माण को लेकर NGT के आदेशों पर मांगा स्टे

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Published : Mar 3, 2019, 9:36 AM IST

एनजीटी द्वारा भवन निर्माण के लिए गठित सुपरवाइजर व इंप्लीमेंटेशन कमेटी ने शिमला प्लानिंग एरिया में भवन निर्माण को लेकर दिए एनजीटी के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट से स्टे मांगा है.

कॉन्सेप्ट इमेज

शिमला: एनजीटी द्वारा भवन निर्माण के लिए गठित सुपरवाइजर व इंप्लीमेंटेशन कमेटी ने शिमला प्लानिंग एरिया में भवन निर्माण को लेकर दिए एनजीटी के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट से स्टे मांगा है.

गौर रहे कि एनजीटी ने 16 नवंबर 2017 को दिए 165 पेज के आदेश में शिमला प्लानिंग एरिया में ढाई मंजिल से अधिक के भवन निर्माण और ग्रीन व कोर एरिया में भवन निर्माण पर पूरी तरह रोक लगा दी थी.

इसी मामले को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. प्रदेश सरकार ने हल्फनामा दायर कर एनजीटी के आदेश को गलत ठहराते हुए आठ बिंदुओं पर स्टे की मांग की है, जिसकी सुनवाई 11 मार्च को होगी.

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प्रदेश सरकार ने एनजीटी द्वारा दिए गए 29 मुख्य बिंदुओं के आदेश में से आठ पर ही आपत्ति जताई है, जबकि बाकी बिंदुओं को आदेश के पहले से लागू किए जाने की बात दोहराई है. एनजीटी के आदेश का प्रभाव राजधानी के साथ नगर निगम क्षेत्र, कई पंचायतों व 300 गांवों पर हुआ है.

प्रदेश सरकार के अनुसार, एनजीटी के पास ऐसा कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है, जिसके आधार पर वो भवनों व मंजिलों को निर्धारित कर सके. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में शिमला शहर के अलावा 300 गांवों का जिक्र भी किया गया है, जिसमें आदेश के बाद निर्माण कार्य बंद है.

इन बिंदुओं पर राज्य सरकार ने जताई आपत्ति
न्यायालय में दिए हल्फनामे में सरकार ने कहा है कि इससे सभी निर्माण कार्य प्रभावित हो रहे हैं, ऐसी कमेटियों की प्रदेश में जरूरत नहीं है. सरकार ने कहा कि योजनाबद्ध कार्य करने के लिए कुछ नहीं किया गया, जिससे प्राकृतिक आपदा की समस्या आ रही है.

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कोर व ग्रीन एरिया में नये आवासीय, संस्थागत व व्यापारिक भवन निर्माण पर रोक के साथ-साथ दो मंजिल व एटिक यानी ढाई मंजिल से अधिक के भवन निर्माण पर शिमला प्लानिंग एरिया में रोक लगा दी गई है, जिसमें 22 पंचायतों के करीब 300 गांव शामिल हैं जो 250 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में आते हैं.

वहीं, कोर व ग्रीन एरिया में जो भवन जर्जर हालत में हैं, चाहे वे चार से पांच मंजिलें हैं, उन्हें गिराकर ढाई मंजिल से ज्यादा बनाने पर रोक. कोर व ग्रीन एरिया में बिना अनुमति बने भवनों को नियमित न करने के साथ-साथ डेविएशन कर अतिरिक्त मंजिल बनाने वाले भवन के पास न करने पर रोक लगाने की सिफारिश की गई थी.

बिना अनुमति पेड़ कटान व भवन निर्माण के लिए खोदाई करने पर पर्यावरण भुगतान के तौर पर पांच लाख रुपये हर उल्लंघन पर वसूले जाएं. वहीं, जो भवन अनियमित थे और नियमित किए जाने थे, उनके लिए पर्यावरण सैस वसूलने और ढाई मंजिल से अधिक के निर्माण पर 5000 रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से सैस वसूलने का आदेश दिया गया था.

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शिमला: एनजीटी द्वारा भवन निर्माण के लिए गठित सुपरवाइजर व इंप्लीमेंटेशन कमेटी ने शिमला प्लानिंग एरिया में भवन निर्माण को लेकर दिए एनजीटी के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट से स्टे मांगा है.

गौर रहे कि एनजीटी ने 16 नवंबर 2017 को दिए 165 पेज के आदेश में शिमला प्लानिंग एरिया में ढाई मंजिल से अधिक के भवन निर्माण और ग्रीन व कोर एरिया में भवन निर्माण पर पूरी तरह रोक लगा दी थी.

इसी मामले को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. प्रदेश सरकार ने हल्फनामा दायर कर एनजीटी के आदेश को गलत ठहराते हुए आठ बिंदुओं पर स्टे की मांग की है, जिसकी सुनवाई 11 मार्च को होगी.

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प्रदेश सरकार ने एनजीटी द्वारा दिए गए 29 मुख्य बिंदुओं के आदेश में से आठ पर ही आपत्ति जताई है, जबकि बाकी बिंदुओं को आदेश के पहले से लागू किए जाने की बात दोहराई है. एनजीटी के आदेश का प्रभाव राजधानी के साथ नगर निगम क्षेत्र, कई पंचायतों व 300 गांवों पर हुआ है.

प्रदेश सरकार के अनुसार, एनजीटी के पास ऐसा कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है, जिसके आधार पर वो भवनों व मंजिलों को निर्धारित कर सके. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में शिमला शहर के अलावा 300 गांवों का जिक्र भी किया गया है, जिसमें आदेश के बाद निर्माण कार्य बंद है.

इन बिंदुओं पर राज्य सरकार ने जताई आपत्ति
न्यायालय में दिए हल्फनामे में सरकार ने कहा है कि इससे सभी निर्माण कार्य प्रभावित हो रहे हैं, ऐसी कमेटियों की प्रदेश में जरूरत नहीं है. सरकार ने कहा कि योजनाबद्ध कार्य करने के लिए कुछ नहीं किया गया, जिससे प्राकृतिक आपदा की समस्या आ रही है.

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कोर व ग्रीन एरिया में नये आवासीय, संस्थागत व व्यापारिक भवन निर्माण पर रोक के साथ-साथ दो मंजिल व एटिक यानी ढाई मंजिल से अधिक के भवन निर्माण पर शिमला प्लानिंग एरिया में रोक लगा दी गई है, जिसमें 22 पंचायतों के करीब 300 गांव शामिल हैं जो 250 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में आते हैं.

वहीं, कोर व ग्रीन एरिया में जो भवन जर्जर हालत में हैं, चाहे वे चार से पांच मंजिलें हैं, उन्हें गिराकर ढाई मंजिल से ज्यादा बनाने पर रोक. कोर व ग्रीन एरिया में बिना अनुमति बने भवनों को नियमित न करने के साथ-साथ डेविएशन कर अतिरिक्त मंजिल बनाने वाले भवन के पास न करने पर रोक लगाने की सिफारिश की गई थी.

बिना अनुमति पेड़ कटान व भवन निर्माण के लिए खोदाई करने पर पर्यावरण भुगतान के तौर पर पांच लाख रुपये हर उल्लंघन पर वसूले जाएं. वहीं, जो भवन अनियमित थे और नियमित किए जाने थे, उनके लिए पर्यावरण सैस वसूलने और ढाई मंजिल से अधिक के निर्माण पर 5000 रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से सैस वसूलने का आदेश दिया गया था.

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हिमाचाल मे प्रशासनिक फेरबदल एचएएस अधिकारी बदले

शिमला।

हिमाचल सरकार ने शनिवार को कई एचएएस अधिकारियों के तबादला आदेश जारी किए हैं। कुछ को अतिरिक्त प्रभार देने के अलावा दो अधिकारियों के पूर्व में हुए तबादले निरस्त कर दिए हैं।
मंडलायुक्त कांगड़ा के सहायक आयुक्त विनय धीमान को धर्मशाला स्मार्ट सिटी का महाप्रबंधक कार्मिक लगाया गया है। इसी तरह राज कृष्ण को एसी टू डीसी मंडी से मंडलायुक्त मंडी का सहायक आयुक्त, कैलाश चंद को संयुक्त निदेशक शहरी विकास, मंडलायुक्त मंडी के एसी कुलदीप सिंह पटियाल को एसी टू डीसी मंडी, भाषा कला एवं संस्कृति के संयुक्त निदेशक  यादविंदर पॉल संयुक्त निदेशक खाद्य आपूर्ति लगाए हैं। इसके साथ ही वह वर्तमान पद का अतिरिक्त कार्यभार संभालते रहेंगे। 

राज्य सचिवालय सेवा के अधिकारी रमेश चंद को अवर सचिव परिवहन से अवर सचिव तकनीकी शिक्षा व मंजीत बंसल को अवर सचिव बनने पर अवर सचिव कृषि लगाया गया है।

वहीं, रतन व राम प्रसाद के पूर्व में हुए तबादला आदेश रद्द कर दिए हैं। संयुक्त सचिव आवास वीरेंद्र शर्मा को संयुक्त सचिव जनजातीय विकास और राज्य कर एवं आबकारी व अतिरिक्त आयुक्त जनजातीय विकास का अतिरिक्त कार्यभार दिया है।

राकेश मेहता को संयुक्त सचिव राजस्व के साथ संयुक्त सचिव शिक्षा व संदीप सूद को संयुक्त सचिव ट्रेनिंग के साथ संयुक्त सचिव सहकारिता का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है

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