शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने एचपी यूनिवर्सिटी को अंग्रेजी विभाग के अस्सिटेंट प्रोफेसर के पदों का परिणाम घोषित करने की इजाजत दे दी है. हिमाचल हाई कोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सबीना व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने वनीता सिपहिया की तरफ से दाखिल याचिका की सुनवाई के बाद यह आदेश जारी किए.
मामले के अनुसार मौजूदा सरकार ने गत 12 दिसंबर को जारी शासनादेश के तहत यूनिवर्सिटी में होने वाली शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लग गई थी. पिछली भाजपा सरकार के समय 19 जुलाई 2022 को एचपीयू प्रशासन ने शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था. फिर 9 नवंबर 2022 को प्रार्थी का असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए इंटरव्यू लिया गया था. बाद में मौजूदा सरकार ने 12 दिसम्बर को जारी अधिसूचना के तहत सभी सरकारी यूनिवर्सिटीज, सरकारी विभागों, बोर्ड-निगमों और स्वायत्त निकायों में चल रही भर्ती प्रक्रिया को निलंबित कर दिया था.
इसके उपरांत 24 दिसंबर 2022 को यूनिवर्सिटी प्रशासन ने सरकार से परिणाम घोषित करने की अनुमति मांगी थी. प्रार्थी ने भी अदालत से आग्रह किया है कि राज्य सरकार को सहायक प्रोफेसर के पद का परिणाम घोषित करने के आदेश दिए जाए. हाई कोर्ट में मामले पर सुनवाई के बाद सरकार की ओर से हिदायत पेश करने के लिए समय की मांग की गई थी. मामले पर अगली सुनवाई 29 मार्च को निर्धारित की गई है.
एमसी शिमला केस में चुनाव आयोग को नोटिस: वहीं, एक अन्य मामले में हिमाचल हाई कोर्ट ने शिमला नगर निगम के तहत वाड्र्स की संख्या को 41 से 34 करने से जुड़े मामले में राज्य सरकार सहित चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया. मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सबीना और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने इस मामले में राज्य सरकार व चुनाव आयोग से दो हफ्ते में जवाब मांगा है.
पिछली सरकार के दौरान शिमला नगर निगम के कुल वार्डों की संख्या 34 से बढ़ा कर 41 कर दी गई थी. कुछ वार्डों का डी-लिमिटेशन भी किया गया था. इसे ही हाई कोर्ट में चुनौती भी दी गई थी. मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा था. नई सरकार के आने पर वार्ड संख्या फिर से 34 कर दी गई. याचिकाकर्ताओं ने वार्ड संख्या घटाने के साथ साथ पिछली सरकार द्वारा किए गए पुनर्सीमांकन को भी गलत ठहराते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है संख्या घटा कर सरकार ने हिमाचल प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1994 के प्रावधानों और हिमाचल प्रदेश नगर निगम (चुनाव) नियम, 2012 का उल्लंघन किया है. मामले की सुनवाई 28 मार्च को होगी.
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