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हिमाचल में सत्ता ही नहीं साख का भी चुनाव, वीवीआईपी नेताओं के मन में बसा है ये डर

हिमाचल में 14वीं विधानसभा के लिए कल मतगणना होनी है. चुनावों में सीएम जयराम ठाकुर समेत तमाम दिग्गजों की साख दांव पर लगी है. बीजेपी ने इस बार रिवाज बदलने का दावा किया है. तो वहीं, कांग्रेस ने भी पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का दावा किया है. (himachal assembly election result 2022) (CM Jairam Thakur)

VVIP candidates of Himachal
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Published : Dec 7, 2022, 5:45 PM IST

Updated : Dec 7, 2022, 6:22 PM IST

शिमला: चुनाव मैदान में उतरे नेताओं के मन में एक नहीं अनेक डर होते हैं. हार का डर, साख बचाने का डर और सत्ता खो जाने का डर. ये डर सबसे अधिक बड़े नेताओं के मन में होता है. हिमाचल के चुनाव में इस बार सीएम जयराम ठाकुर पर सभी की नजर है. रिवाज बदलने का दावा करने वाली भाजपा यदि चुनाव जीतती है तो जयराम ठाकुर हिमाचल के इतिहास में सबसे चर्चित नेताओं की कतार में शामिल हो जाएंगे. सबसे पहले तो यही चर्चा होगी कि जो काम वीरभद्र सिंह और प्रेम कुमार धूमल जैसे दिग्गज नहीं कर पाए, वो जयराम ठाकुर के नेतृत्व में संभव हुआ. हालांकि, प्रदेश के नेताओं से इतर इस चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी, भाजपा के मुखिया जेपी नड्डा और अनुराग ठाकुर की साख भी दाव पर है, लेकिन यहां चर्चा प्रदेश के नेताओं की करेंगे. (VVIP candidates of Himachal)

भाजपा ने जयराम ठाकुर को ही सीएम फेस डिक्लेयर किया है. ऐसे में जयराम ठाकुर की साख सबसे अधिक दांव पर है. वे सिराज सीट पर तो जीत ही जाएंगे लेकिन आम कार्यकर्ता के मन में जिज्ञासा ये है कि वे मतों का कैसा रिकार्ड बनाते हैं. सीएम जयराम ठाकुर के अलावा भाजपा में महेंद्र सिंह ठाकुर की राजनीतिक जीवन की कमाई दाव पर है. महेंद्र ठाकुर के नाम पर चुनाव जीतने का अनूठा रिकार्ड है. वे अलग-अलग दलों के टिकट पर चुनाव जीतते रहे हैं. इस बार वे मैदान में नहीं हैं, लेकिन उनके बेटे रजत ठाकुर ने चुनाव लड़ा है.

VVIP candidates of Himachal
वीवीआईपी नेताओं की साख दांव पर.

महेंद्र सिंह के सामने धर्मपुर की सीट को बचाए रखने की चुनौती है. अन्य दिग्गजों में भाजपा के मंत्री शामिल हैं. जसवां से बिक्रम ठाकुर, मनाली से गोविंद ठाकुर, कुटलैहड़ से वीरेंद्र कंवर, शाहपुर से सरवीण चौधरी, फतेहपुर से राकेश पठानिया, पांवटा से सुखराम चौधरी, कसौली से राजीव सैजल और कसुम्पटी से सुरेश भारद्वाज के सामने भी अपनी सीट बचाने की चुनौती है. हिमाचल में मंत्री अमूमन अपनी सीट हार जाया करते हैं. ऐसे में मंत्रियों के मन में डर जरूर है. अन्य नेताओं में भाजपा के पूर्व मुखिया सतपाल सिंह सत्ती, राजीव बिंदल, विपिन परमार के सामने साख का सवाल है.

कांग्रेस में कौल सिंह ठाकुर, मुकेश अग्निहोत्री, आशा कुमारी, रामलाल ठाकुर, जगत सिंह नेगी, सुखविंद्र सिंह सुक्खू, ठाकुर सिंह भरमौरी, हर्षवर्धन चौहान, धनीराम शांडिल, विक्रमादित्य सिंह की साख दाव पर है. कांग्रेस में सरकार बनाने की संभावना को देखते हुए नेताओं में अब मुख्यमंत्री पद के लिए लॉबिंग का शोर है. सुखविंद्र सिंह सुक्खू, कौल सिंह ठाकुर, रामलाल ठाकुर, आशा कुमारी, धनीराम शांडिल व मुकेश अग्निहोत्री तो रेस में हैं ही, होली लॉज भी अपनी रणनीति तैयार कर रहा है. भाजपा हो या कांग्रेस, दोनों दलों के वीआईपी नेताओं के सामने अपनी सीट को जीतने के साथ ही अपनी पार्टी को सत्ता में लाने की चुनौती भी है.

ये भी पढ़ें- Exit Poll में भाजपा बना रही सरकार, बागियों की जरूरत नहीं: CM जयराम ठाकुर

इससे इतर, संगठन के स्तर पर देखें तो सुरेश कश्यप की साख सबसे अधिक दाव पर है. सुरेश कश्यप के अध्यक्ष बनने के बाद से कोई चुनाव नहीं जीता है. मंडी संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव के अलावा तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा. प्रतिभा सिंह के पास चुनाव जीतने की तो नहीं जितवाने की चुनौती जरूर रही है. इस चुनाव में भी कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह का चेहरा ही आगे किया था, इस तरह प्रतिभा सिंह की साख का भी सवाल है.

वरिष्ठ मीडियाकर्मी राजेश मंढोत्रा का कहना है कि हिमाचल की जनता मंत्रियों को चुनाव में हार का सबक सिखाती रही है. कांग्रेस हो या भाजपा, सरकार के मंत्रियों को अकसर हार का सामना करना पड़ा है. पिछले चुनाव में भी कांग्रेस के कद्दावर नेता और मंत्री कौल सिंह, जीएस बाली, सुधीर शर्मा, ठाकुर सिंह भरमौरी आदि चुनाव हार गए थे. इस बार भी मंत्रियों के सर पर हार का डर मंडरा रहा है. फिलहाल, आठ दिसंबर को ईवीएम खुलने के दो घंटे के भीतर ही स्पष्ट रुझान मिल जाएगा. (CM Jairam Thakur) (himachal assembly election result 2022) (himachal counting )

शिमला: चुनाव मैदान में उतरे नेताओं के मन में एक नहीं अनेक डर होते हैं. हार का डर, साख बचाने का डर और सत्ता खो जाने का डर. ये डर सबसे अधिक बड़े नेताओं के मन में होता है. हिमाचल के चुनाव में इस बार सीएम जयराम ठाकुर पर सभी की नजर है. रिवाज बदलने का दावा करने वाली भाजपा यदि चुनाव जीतती है तो जयराम ठाकुर हिमाचल के इतिहास में सबसे चर्चित नेताओं की कतार में शामिल हो जाएंगे. सबसे पहले तो यही चर्चा होगी कि जो काम वीरभद्र सिंह और प्रेम कुमार धूमल जैसे दिग्गज नहीं कर पाए, वो जयराम ठाकुर के नेतृत्व में संभव हुआ. हालांकि, प्रदेश के नेताओं से इतर इस चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी, भाजपा के मुखिया जेपी नड्डा और अनुराग ठाकुर की साख भी दाव पर है, लेकिन यहां चर्चा प्रदेश के नेताओं की करेंगे. (VVIP candidates of Himachal)

भाजपा ने जयराम ठाकुर को ही सीएम फेस डिक्लेयर किया है. ऐसे में जयराम ठाकुर की साख सबसे अधिक दांव पर है. वे सिराज सीट पर तो जीत ही जाएंगे लेकिन आम कार्यकर्ता के मन में जिज्ञासा ये है कि वे मतों का कैसा रिकार्ड बनाते हैं. सीएम जयराम ठाकुर के अलावा भाजपा में महेंद्र सिंह ठाकुर की राजनीतिक जीवन की कमाई दाव पर है. महेंद्र ठाकुर के नाम पर चुनाव जीतने का अनूठा रिकार्ड है. वे अलग-अलग दलों के टिकट पर चुनाव जीतते रहे हैं. इस बार वे मैदान में नहीं हैं, लेकिन उनके बेटे रजत ठाकुर ने चुनाव लड़ा है.

VVIP candidates of Himachal
वीवीआईपी नेताओं की साख दांव पर.

महेंद्र सिंह के सामने धर्मपुर की सीट को बचाए रखने की चुनौती है. अन्य दिग्गजों में भाजपा के मंत्री शामिल हैं. जसवां से बिक्रम ठाकुर, मनाली से गोविंद ठाकुर, कुटलैहड़ से वीरेंद्र कंवर, शाहपुर से सरवीण चौधरी, फतेहपुर से राकेश पठानिया, पांवटा से सुखराम चौधरी, कसौली से राजीव सैजल और कसुम्पटी से सुरेश भारद्वाज के सामने भी अपनी सीट बचाने की चुनौती है. हिमाचल में मंत्री अमूमन अपनी सीट हार जाया करते हैं. ऐसे में मंत्रियों के मन में डर जरूर है. अन्य नेताओं में भाजपा के पूर्व मुखिया सतपाल सिंह सत्ती, राजीव बिंदल, विपिन परमार के सामने साख का सवाल है.

कांग्रेस में कौल सिंह ठाकुर, मुकेश अग्निहोत्री, आशा कुमारी, रामलाल ठाकुर, जगत सिंह नेगी, सुखविंद्र सिंह सुक्खू, ठाकुर सिंह भरमौरी, हर्षवर्धन चौहान, धनीराम शांडिल, विक्रमादित्य सिंह की साख दाव पर है. कांग्रेस में सरकार बनाने की संभावना को देखते हुए नेताओं में अब मुख्यमंत्री पद के लिए लॉबिंग का शोर है. सुखविंद्र सिंह सुक्खू, कौल सिंह ठाकुर, रामलाल ठाकुर, आशा कुमारी, धनीराम शांडिल व मुकेश अग्निहोत्री तो रेस में हैं ही, होली लॉज भी अपनी रणनीति तैयार कर रहा है. भाजपा हो या कांग्रेस, दोनों दलों के वीआईपी नेताओं के सामने अपनी सीट को जीतने के साथ ही अपनी पार्टी को सत्ता में लाने की चुनौती भी है.

ये भी पढ़ें- Exit Poll में भाजपा बना रही सरकार, बागियों की जरूरत नहीं: CM जयराम ठाकुर

इससे इतर, संगठन के स्तर पर देखें तो सुरेश कश्यप की साख सबसे अधिक दाव पर है. सुरेश कश्यप के अध्यक्ष बनने के बाद से कोई चुनाव नहीं जीता है. मंडी संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव के अलावा तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा. प्रतिभा सिंह के पास चुनाव जीतने की तो नहीं जितवाने की चुनौती जरूर रही है. इस चुनाव में भी कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह का चेहरा ही आगे किया था, इस तरह प्रतिभा सिंह की साख का भी सवाल है.

वरिष्ठ मीडियाकर्मी राजेश मंढोत्रा का कहना है कि हिमाचल की जनता मंत्रियों को चुनाव में हार का सबक सिखाती रही है. कांग्रेस हो या भाजपा, सरकार के मंत्रियों को अकसर हार का सामना करना पड़ा है. पिछले चुनाव में भी कांग्रेस के कद्दावर नेता और मंत्री कौल सिंह, जीएस बाली, सुधीर शर्मा, ठाकुर सिंह भरमौरी आदि चुनाव हार गए थे. इस बार भी मंत्रियों के सर पर हार का डर मंडरा रहा है. फिलहाल, आठ दिसंबर को ईवीएम खुलने के दो घंटे के भीतर ही स्पष्ट रुझान मिल जाएगा. (CM Jairam Thakur) (himachal assembly election result 2022) (himachal counting )

Last Updated : Dec 7, 2022, 6:22 PM IST
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