शिमला: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा के सदन में आपदा को लेकर रखे प्रस्ताव पर कहा कि प्रदेश में मानसून के कारण भारी भूस्खलन, सड़कों, पुलों पेयजल, सिंचाई योजनाओं, विद्युत परियोजनाओं, निजी, सरकारी संपत्तियों और जान-माल को भारी नुकसान हुआ है. इसको देखते हुए इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाना चाहिए. मुख्यमंत्री ने प्रस्ताव रखते हुए कहा कि हर साल मॉनसून के दौरान वर्षा, बादल फटने और बाढ़ से बुनियादी ढांचे को बड़े पैमाने पर नुकसान होता है, जिसका औसतन, नुकसान 1000 करोड़ रुपये का होता है, लेकिन इस साल 9000 करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष नुकसान हुआ है और अप्रत्यक्ष नुकसान को मिलाकर यह 12000 करोड़ का है.
इस अभूतपूर्व त्रासदी में 17 सितंबर तक बहुमूल्य 275 मानव जीवन की हानि हुई है, जिसमें से भूस्खलन से 112, बाढ़ से 19, बादल फटने 14, पानी में डूबने से 37. बिजली गिरने से 16, पेड़ एवं चट्टान के गिराने से 47 और अन्य आपदाओं के कारण 30 व्यक्तियों की मृत्यु हुई और 39 व्यक्ति लापता हैं. इसके अतिरिक्त सड़क दुर्घटना के कारण 166 व्यक्तियों की मृत्यु हुई है. इस तरह इस वर्ष कुल 441 व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है.
एनएचआई के दोषपूर्ण निर्माण के कारण कुल्लू में राज्य विद्युत बोर्ड के स्वामित्व वाली लारजी विद्युत परियोजना को भारी क्षति पहुंची है. इससे राज्य को 657.74 करोड़ रुपये की क्षति हुई है. इसके अलावा सितंबर तक विद्युत् उत्पादन में रुकावट के कारण करीब 344 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हुआ है. इस प्रकार प्रदेश के बिजली क्षेत्र को अकेले 1,000 करोड़ रुपये का अप्रत्यक्ष नुकसान हुआ है.
200 से ज्यादा गांव जमीन धंसने से प्रभावित हुए: मुख्यमंत्री ने कहा कि इस त्रासदी ने कई गांवों को नष्ट कर दिया है, जिससे वे रहने लायक नहीं रह गए हैं. एक अनुमान के मुताबिक 200 से ज्यादा गांव जमीन धंसने से प्रभावित हुए हैं. पहली बार इतनी बड़ी संख्या में लोगों को राहत शिविरों में रहना पड़ा है. कई जिलों में राहत शिविर अभी भी चल रहे हैं. दो दर्जन से ज्यादा सड़कें अभी भी बंद हैं. यह प्रदेश के लिए अभूतपूर्व आपदा है और इस तरह की क्षति और नुकसान हाल के सालों में नहीं देखा गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रमुख राज्य और जिला सड़कों के अलावा, सभी राष्ट्रीय राजमार्ग कालका-शिमला, रोपड़-मनाली, पठानकोट-मंडी, कांगड़ा-शिमला बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, जिससे लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही बाधित हुई. इसके अतिरिक्त कुल्लू और लाहौल स्पीति जिलों को जोड़ने वाली संपर्क मार्ग भी बुरी तरह प्रभावित हुई है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब राज्य में आपदा आई, तो पर्यटन गतिविधियां चरम पर थीं और राज्य में 75,000 से अधिक पर्यटक विद्यमान थे, लेकिन इस आपदा के कारण उनके पर्यटन कार्यक्रमों के रद्द हो जाने से अप्रत्यक्ष रूप से राजस्व हानि हुई है. इस बात की तत्काल आवश्यकता है कि राष्ट्रीय राजमार्ग जो कि प्रदेश की जीवन रेखा हैं, उनका पुनर्निर्माण और मरम्मत युद्ध स्तर पर की जाए जिससे की सेब और अन्य फसलें जो की कटाई व तुड़ाई के लिए पक चुकी हैं, जिन्हें मंडियों तक समय पर आवाजाही के लिए अच्छी सड़क संपर्क मार्ग की आवश्यकता है. इसके अतिरिक्त प्रदेश में अक्टूबर और नवंबर में पर्यटन सीजन प्रारंभ होता है, जिस दौरान बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं. व्यापारिक गतिविधियों को सुचारू रूप से संचालन, पर्यटकों और प्रदेश वासियों की सुविधाओं के लिए सड़क संपर्क को बहाल एवं मरम्मत के लिए धन की तत्काल आवश्यकता है.
ये भी पढ़ें- Pandoh Bridge: पंडोह में बनकर तैयार हुआ झूला पुल, 90 किलो का भार उठाने की है क्षमता