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हिमाचल ने लगाया वाटर सेस, नाराज हो गए पड़ोसी राज्य, अब CM सुखविंदर सिंह सदन में रखेंगे हिमाचल का पक्ष

हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र में वाटर सेस का बिल पास हुआ, उधर पड़ोसी राज्य पंजाब व हरियाणा की सरकारें इससे नाराज हो गईं. पंजाब व हरियाणा ने विधानसभा में एक संकल्प प्रस्ताव पारित किया है और हिमाचल सरकार के वाटर सेस पर आपत्ति जताई है. पंजाब का मानना है कि हिमाचल में वाटर सेस लगने से उन्हें कम से कम 1200 करोड़ रुपए सालाना का नुकसान होगा. कारण ये है बीबीएमबी यानी भाखड़ा-ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड की बिजली परियोजनाओं से पंजाब व हरियाणा भी जुड़े हुए हैं. वहीं, हरियाणा सरकार का कहना है कि हिमाचल के वाटर सेस से उसे भी छह सौ करोड़ रुपए का नुकसान होगा. (water cess on hydro power projects)

water cess on hydro power projects
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (फाइल फोटो).
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Published : Mar 22, 2023, 10:10 PM IST

Updated : Mar 26, 2023, 8:44 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सरकार ने आय के संसाधन जुटाने के लिए हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स पर वाटर सेस लगाया है. इधर, हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र में वाटर सेस का बिल पास हुआ, उधर पड़ोसी राज्य पंजाब व हरियाणा की सरकारें इससे नाराज हो गईं. पंजाब व हरियाणा ने विधानसभा में एक संकल्प प्रस्ताव पारित किया है और हिमाचल सरकार के वाटर सेस पर आपत्ति जताई है. पंजाब विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया गया कि राज्य हिमाचल के वाटर सेस का विरोध करता है. पंजाब का मानना है कि हिमाचल में वाटर सेस लगने से उन्हें कम से कम 1200 करोड़ रुपए सालाना का नुकसान होगा. कारण ये है बीबीएमबी यानी भाखड़ा-ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड की बिजली परियोजनाओं से पंजाब व हरियाणा भी जुड़े हुए हैं. वहीं, हरियाणा सरकार का कहना है कि हिमाचल के वाटर सेस से उसे भी छह सौ करोड़ रुपए का नुकसान होगा.

हालांकि हिमाचल प्रदेश सरकार के पास अभी दोनों राज्यों की आपत्तियों से संबंधित तकनीकी व अन्य किस्म की डिटेल नहीं आई है, लेकिन ये तय है कि कल यानी गुरुवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू इस संदर्भ में सदन में बयान देंगे. डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री, जिनके पास जलशक्ति विभाग भी है, उनका कहना है कि राज्य के पास अपनी नदियों के पानी के ऊपर बनी परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाने का हक है. हिमाचल सरकार का मानना है कि जब पंजाब व हरियाणा की सरकारों के प्रस्ताव की जानकारी आएगी, तब उसका अध्ययन कर जवाब दिया जाएगा. मुकेश अग्निहोत्री ने विधानसभा में एक वक्तव्य दिया है. उसके अनुसार हिमाचल में बह रही नदियां का पानी हमारा है. इन नदियों के पानी पर बनी विद्युत परियोजनाओं पर सेस लगाने का सरकार को पूरा हक है. इसके लिए राज्य सरकार को किसी से पूछने की जरूरत नहीं है. इसी तरह का सेस उत्तराखंड व जम्मू-कश्मीर ने भी लगाया है.

उल्लेखनीय है कि हिमाचल सरकार ने अपने यहां की 172 जलविद्युत परियोजनाओं को वाटर सेस के दायरे में लिया है. सरकार प्रदेश की नदियों पर बनी परियोजनाओं से वाटर सेस के जरिए सालाना 4000 करोड़ रुपए के करीब कमाना चाहती है. इसके लिए विधानसभा के बजट सेशन में वाटर सेस बिल पारित किया गया है. इसे हिमाचल में 10 मार्च से लागू किया जाएगा. इसी बीच, बुधवार को पंजाब व हरियाणा की विधानसभाओं में हिमाचल के वाटर सेस पर नाराजगी व विरोध जताते हुए संकल्प प्रस्ताव पारित किया गया है. दोनों राज्यों ने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग भी की है. उल्लेखनीय है कि हिमाचल में बीबीएमबी परियोजनाओं से बनने वाली बिजली का एक खरीदार है. साथ ही परियोजनाओं में हिस्सेदारी भी है. हिमाचल को बीबीएमबी परियोजनाओं का एरियर अभी भी नहीं मिला है. फिलहाल, अब मामला कल बजट सेशन में क्लियर होगा, जब सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू इस पर वक्तव्य देंगे.

शिमला: हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सरकार ने आय के संसाधन जुटाने के लिए हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स पर वाटर सेस लगाया है. इधर, हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र में वाटर सेस का बिल पास हुआ, उधर पड़ोसी राज्य पंजाब व हरियाणा की सरकारें इससे नाराज हो गईं. पंजाब व हरियाणा ने विधानसभा में एक संकल्प प्रस्ताव पारित किया है और हिमाचल सरकार के वाटर सेस पर आपत्ति जताई है. पंजाब विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया गया कि राज्य हिमाचल के वाटर सेस का विरोध करता है. पंजाब का मानना है कि हिमाचल में वाटर सेस लगने से उन्हें कम से कम 1200 करोड़ रुपए सालाना का नुकसान होगा. कारण ये है बीबीएमबी यानी भाखड़ा-ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड की बिजली परियोजनाओं से पंजाब व हरियाणा भी जुड़े हुए हैं. वहीं, हरियाणा सरकार का कहना है कि हिमाचल के वाटर सेस से उसे भी छह सौ करोड़ रुपए का नुकसान होगा.

हालांकि हिमाचल प्रदेश सरकार के पास अभी दोनों राज्यों की आपत्तियों से संबंधित तकनीकी व अन्य किस्म की डिटेल नहीं आई है, लेकिन ये तय है कि कल यानी गुरुवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू इस संदर्भ में सदन में बयान देंगे. डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री, जिनके पास जलशक्ति विभाग भी है, उनका कहना है कि राज्य के पास अपनी नदियों के पानी के ऊपर बनी परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाने का हक है. हिमाचल सरकार का मानना है कि जब पंजाब व हरियाणा की सरकारों के प्रस्ताव की जानकारी आएगी, तब उसका अध्ययन कर जवाब दिया जाएगा. मुकेश अग्निहोत्री ने विधानसभा में एक वक्तव्य दिया है. उसके अनुसार हिमाचल में बह रही नदियां का पानी हमारा है. इन नदियों के पानी पर बनी विद्युत परियोजनाओं पर सेस लगाने का सरकार को पूरा हक है. इसके लिए राज्य सरकार को किसी से पूछने की जरूरत नहीं है. इसी तरह का सेस उत्तराखंड व जम्मू-कश्मीर ने भी लगाया है.

उल्लेखनीय है कि हिमाचल सरकार ने अपने यहां की 172 जलविद्युत परियोजनाओं को वाटर सेस के दायरे में लिया है. सरकार प्रदेश की नदियों पर बनी परियोजनाओं से वाटर सेस के जरिए सालाना 4000 करोड़ रुपए के करीब कमाना चाहती है. इसके लिए विधानसभा के बजट सेशन में वाटर सेस बिल पारित किया गया है. इसे हिमाचल में 10 मार्च से लागू किया जाएगा. इसी बीच, बुधवार को पंजाब व हरियाणा की विधानसभाओं में हिमाचल के वाटर सेस पर नाराजगी व विरोध जताते हुए संकल्प प्रस्ताव पारित किया गया है. दोनों राज्यों ने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग भी की है. उल्लेखनीय है कि हिमाचल में बीबीएमबी परियोजनाओं से बनने वाली बिजली का एक खरीदार है. साथ ही परियोजनाओं में हिस्सेदारी भी है. हिमाचल को बीबीएमबी परियोजनाओं का एरियर अभी भी नहीं मिला है. फिलहाल, अब मामला कल बजट सेशन में क्लियर होगा, जब सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू इस पर वक्तव्य देंगे.

Last Updated : Mar 26, 2023, 8:44 PM IST
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