शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एचआरटीसी चालकों के हित में बड़ा फैसला दिया है. अदालत ने हिमाचल पथ परिवहन निगम के उन चालकों को एक साल के बाद नियमित करने के आदेश जारी किए हैं, जो वर्ष 2003 से 2006 तक अनुबंध के आधार पर नियुक्त किए गए थे. हाईकोर्ट ने इस मामले में दाखिल की गई विभिन्न याचिकाओ का एक साथ निपटारा करते हुए यह स्पष्ट किया कि इन ड्राइवरों को नियमितिकरण से उपजे सभी सेवा लाभ 30 अप्रैल 2024 तक अदा करने होंगे. यदि 30 अप्रैल 2024 तक यह लाभ नहीं दिए तो देय राशि पर 6 फीसदी ब्याज भी अदा करना होगा.
याचिकाओ में दिए तथ्यों के अनुसार बोर्ड ऑफ डायरेक्टर पथ परिवहन निगम ने अपनी 95वीं बैठक में 2 अगस्त 2003 को 153 ड्राइवरों को अनुबंध के आधार पर नियुक्त करने का निर्णय लिया था. इन्हें हर माह ₹5000 वेतन देने का भी निर्णय लिया गया था. इस बैठक के आधार पर वर्ष 2003 से 2006 तक सैंकड़ों ड्राइवर अनुबंध के आधार पर नियुक्त किए गए, लेकिन इन ड्राइवर्स को 8 साल के बाद नियमित किया गया. प्रार्थियों की कोर्ट के समक्ष यह दलील थी कि पथ परिवहन की पॉलिसी के मुताबिक वे 1 साल के बाद नियमित किए जाने थे, उन्होंने उनसे पूर्व लगे चालकों के मामलों का हवाला देते हुए उन्हें भी उनकी तरह एक साल के भीतर नियमित करने की हाईकोर्ट से गुहार लगाई थी.
कोर्ट ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद यह पाया कि पथ परिवहन निगम ने राज्य सरकार की अनुबंध वाली पालिसी को अगस्त 2006 में अडॉप्ट किया. जब तक भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में पथ परिवहन निगम द्वारा कोई संशोधन नहीं किया गया, उस स्थिति में प्रार्थीगण एक साल की अनुबंध की सेवा पूरी करने पर नियमितीकरण का अधिकार रखते थे. हाईकोर्ट ने प्रार्थियों की दलीलों से सहमति जताते हुए पथ परिवहन निगम को यह आदेश जारी किए कि वह कोर्ट के समक्ष इस मुद्दे को लेकर आए प्रार्थियों को उनकी एक वर्ष की अनुबंध की सेवा के तुरंत पश्चात नियमित करने के आदेश जारी किए. उन्हें 30 अप्रैल 2024 तक उनकी पिछली तारिख से मिलने वाले नियमितीकरण के सभी सेवा लाभों का हस्तांतरण करने के आदेश जारी कर दिए.
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