शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मंडी के धर्मपुर में लोक निर्माण विभाग की लापरवाही पर कड़ा संज्ञान लिया है. आईटीआई बरोटी के भवन के नीचे डंगा लगाने में बरती गई लापरवाही से एक रिहायशी मकान को खतरा हो गया है. डंगा धंसने की आशंका जताई गई थी, जो बाद में सच साबित हुई. अब रिहायशी मकान को खतरा पैदा हो गया है. प्रभावित परिवार ने हाईकोर्ट से गुहार लगाई. हाईकोर्ट ने सुनवाई में कहा कि यदि मकान को नुकसान हुआ तो लोक निर्माण विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को मुआवजा भरना होगा. साथ ही उनके खिलाफ एक्शन भी लिया जाएगा. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 3 अगस्त को निर्धारित की है.
मामले के अनुसार प्रभावित व्यक्ति शशिकांत ने हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में आरोप लगाया है कि धर्मपुर तहसील में आईटीआई बरोटी के भवन के लिए लापरवाही से डंगा लगाया गया है. इस डंगे का निर्माण लोक निर्माण विभाग की निगरानी में यूनीप्रो कंपनी ने किया है. अदालत को बताया गया कि 12 मार्च 2023 को स्थानीय ग्राम पंचायत ने प्रस्ताव पारित किया कि आईटीआई बरोटी भवन का डंगा लापरवाही से लगाया गया है. डंगा गिरने की स्थिति में याचिकाकर्ता के मकान को भारी नुकसान पहुंच सकता है. फिर 10 अप्रैल 2023 को याचिकाकर्ता शशिकांत ने लोक निर्माण विभाग को आवेदन किया कि आईटीआई का डंगा गिरने के कगार पर है और इससे संभावित नुकसान न हो, इसकी व्यवस्था की जाए.
वहीं, 26 मई 2023 को राजस्व विभाग ने भी मुआयना करने के बाद रिपोर्ट में दर्ज किया कि डंगा गिरने की स्थिति में है और इससे याचिकाकर्ता के मकान को खतरा है. आरोप लगाया गया है कि डंगे की सुरक्षा के लिए विभाग ने कोई कदम नहीं उठाए हैं. लोगों की आशंका सही साबित हुई और 24 जून 2023 को डंगा गिर गया. अदालत को बताया गया कि हालांकि आईटीआई और मकान के बीच सड़क है, लेकिन डंगे के मलबे से सड़क पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है. अब ये सड़क धंसने वाली है, जिससे याचिकाकर्ता के मकान को खतरा बना हुआ है. मामले में सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने विभाग के अधिशाषी अभियंता को अदालत के समक्ष तलब किया था. अदालत ने आदेश जारी किया है कि यदि मकान को नुकसान हुआ तो अधिशाषी अभियंता जिम्मेदार होंगे और मुआवजा भरना होगा.
वहीं, इसी तरह के एक अन्य मामले में सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने नेशनल हाईवे के लिए तीन साल पहले अधिगृहीत की गई भूमि का मुआवजा प्रार्थियों को तुरंत जारी करने के आदेश दिए हैं. मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव व न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने भाग सिंह व अन्यों की याचिका पर यह आदेश पारित किए. याचिका में दिए गए तथ्यों के अनुसार प्रार्थियों की 12 बीघा 6 बिस्वा भूमि को नेशनल हाईवे के लिए अधिग्रहण किया गया था. यह अधिग्रहण 23 मार्च 2019 को किया गया था. फिर 6 जनवरी 2020 को भूमि लोक निर्माण विभाग के नाम हो गयी.
प्रार्थियों ने मुआवजे की राशि का भुगतान करने के लिए आवेदन दाखिल किया तो प्रार्थियों को यह बताया गया कि अभी नेशनल हाईवे अथॉरिटी की ओर से राशि का भुगतान नहीं किया गया है, जिस कारण वह प्रार्थियों को मुआवजा का भुगतान करने के लिए असफल है. प्रार्थियों ने 2 मार्च 2022 को लीगल नोटिस भी भेजा मगर मुआवजा राशि का भुगतान नहीं किया गया. प्रार्थियों के अनुसार उन्हें अवार्ड के तहत लगभग 3 करोड़ 19 लाख रुपये का भुगतान किया जाना है. प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रतिवादियों को यह आदेश जारी किए कि वह मुआवजा राशि का भुगतान एक सप्ताह में ब्याज सहित करें. मामले की अगली सुनवाई 25 जुलाई को निर्धारित की गई है.