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Himachal High Court: प्लास्टिक कचरा निपटान को लेकर शहरी विकास विभाग के शपथ पत्र पर HC ने जताई नाराजगी, अलर्ट रहने की दी चेतावनी

हिमाचल प्रदेश में प्लास्टिक कचरे के निष्पादन और ठोस अपशिष्ट के निपटान को लेकर हिमाचल हाई कोर्ट ने शहरी विकास विभाग पर नाराजगी जताई है. शहरी विकास विभाग के निदेशक के शपथ पत्र पर भी हाई कोर्ट ने आपत्ति जाहिर की है. हाई कोर्ट ने कचरे के निपटान को लेकर सारी जानकारी तलब की है. (Himachal High Court)

Himachal Pradesh High Court
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 21, 2023, 7:59 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में नगर निगम व नगर परिषदों में प्लास्टिक कचरे के सही तरीके से और नियमानुसार निष्पादन न होने पर हिमाचल हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है. इस बारे में शहरी विकास विभाग के निदेशक की तरफ से हाई कोर्ट में दाखिल शपथ पत्र पर न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान की अगुवाई वाली खंडपीठ ने आपत्ति जाहिर की है. न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ ने निदेशक शहरी विकास विभाग के निदेशक को भविष्य में सावधानी बरतने की चेतावनी भी दी है. हाई कोर्ट द्वारा मामले की आगामी सुनवाई 12 अक्टूबर को निर्धारित की गई है.

HC ने प्लास्टिक कचरा निपटान की मांगी जानकारी: हिमाचल हाई कोर्ट ने शहरी विकास विभाग के निदेशक से पूछा था कि प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम-2022 के तहत इसके निष्पादन के लिए क्या कदम उठाए गए हैं. प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम-2022 के तहत सक्षम प्राधिकारी के साथ रजिस्टर्ड उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड-मालिकों की संख्या हाई कोर्ट के समक्ष स्पष्ट रूप से बताए जाने के आदेश दिए थे. इसके अलावा प्लास्टिक कचरे के निपटान के लिए चिन्हित जगहों की जानकारी भी अदालत ने तलब की थी. हाई कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश ठोस कचरा अधिनियम-1995 के तहत उन व्यक्तियों या प्राधिकरणों की संख्या भी तलब की थी, जिनके विरुद्ध अधिनियम के अंतर्गत जुर्माना लगाया गया हो.

HC में दर्ज हैं कचरे को लेकर कई याचिकाएं: उल्लेखनीय है कि अदालत के समक्ष हिमाचल के अलग-अलग हिस्सों से अपशिष्ट प्रबंधन, ठोस अपशिष्ट स्थापित करने के लिए जगह का विवाद और अनट्रीटेड सीवेज और ठोस अपशिष्ट की रिहाई से जुड़ी याचिकाएं दर्ज की गई हैं. हिमाचल प्रदेश में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और इसके कार्यान्वयन पर हाई कोर्ट को बताया गया कि हिमाचल प्रदेश 59 शहरी समूह के साथ भारत का सबसे अच्छा शहरीकृत राज्य है, लेकिन कम मात्रा का कचरा भी गंभीर बीमारियां पैदा कर सकता है. हिमाचल में 29 नगर परिषद और 5 नगर निगम हैं. कहीं भी नियम के अनुसार कचरे का निपटान नहीं किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें: प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसर पर हाई कोर्ट की सख्ती, अवैध डंपिंग पर दिए बयान पर अदालत ने तलब किया शपथपत्र

तहबाजारियों के पक्ष में HC का आदेश: वहीं, एक अन्य मामले में हिमाचल हाई कोर्ट ने तहबाजारियों के लिए शिकायत निवारण तंत्र बनाए जाने के आदेश दिए हैं. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह मामले की आगामी सुनवाई के दौरान इसके गठन के संबंध में अदालत को जानकारी दे. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई आगामी 6 अक्टूबर को निर्धारित की गई है. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट को बताया गया कि तहबाजारियों के चुनाव आगामी 25 सितंबर को होंगे. हाई कोर्ट के तहबाजारियों के पक्ष में दिए गए अंतरिम आदेशों को बढ़ाते हुए यह आदेश दिए गए.

30 दिन का नोटिस जरूरी: हिमाचल हाई कोर्ट ने आदेश दिए थे कि तहबाजारियों को हटाने से पहले 30 दिनों का नोटिस जारी किया जाए. उल्लेखनीय है कि शिमला के लोअर बाजार से एक घायल महिला को आईजीएमसी ले जा रही 108 एंबुलेंस बाजार में फंस गई थी. सड़क पर लगाई गई दुकानों के कारण एंबुलेंस करीब 20 मिनट तक बाजार में ही फंसी रही. उसके बाद हिमाचल हाई कोर्ट ने अवैध अतिक्रमण को हटाने के समय-समय पर निर्देश दिए हैं.

ये भी पढ़ें: आईजीएमसी अस्पताल शिमला में ट्रामा सेंटर की जांच के आदेश, हाई कोर्ट ने तैनात किए केंद्र सरकार के डिप्टी सॉलिसिटर जनरल

शिमला: हिमाचल प्रदेश में नगर निगम व नगर परिषदों में प्लास्टिक कचरे के सही तरीके से और नियमानुसार निष्पादन न होने पर हिमाचल हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है. इस बारे में शहरी विकास विभाग के निदेशक की तरफ से हाई कोर्ट में दाखिल शपथ पत्र पर न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान की अगुवाई वाली खंडपीठ ने आपत्ति जाहिर की है. न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ ने निदेशक शहरी विकास विभाग के निदेशक को भविष्य में सावधानी बरतने की चेतावनी भी दी है. हाई कोर्ट द्वारा मामले की आगामी सुनवाई 12 अक्टूबर को निर्धारित की गई है.

HC ने प्लास्टिक कचरा निपटान की मांगी जानकारी: हिमाचल हाई कोर्ट ने शहरी विकास विभाग के निदेशक से पूछा था कि प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम-2022 के तहत इसके निष्पादन के लिए क्या कदम उठाए गए हैं. प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम-2022 के तहत सक्षम प्राधिकारी के साथ रजिस्टर्ड उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड-मालिकों की संख्या हाई कोर्ट के समक्ष स्पष्ट रूप से बताए जाने के आदेश दिए थे. इसके अलावा प्लास्टिक कचरे के निपटान के लिए चिन्हित जगहों की जानकारी भी अदालत ने तलब की थी. हाई कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश ठोस कचरा अधिनियम-1995 के तहत उन व्यक्तियों या प्राधिकरणों की संख्या भी तलब की थी, जिनके विरुद्ध अधिनियम के अंतर्गत जुर्माना लगाया गया हो.

HC में दर्ज हैं कचरे को लेकर कई याचिकाएं: उल्लेखनीय है कि अदालत के समक्ष हिमाचल के अलग-अलग हिस्सों से अपशिष्ट प्रबंधन, ठोस अपशिष्ट स्थापित करने के लिए जगह का विवाद और अनट्रीटेड सीवेज और ठोस अपशिष्ट की रिहाई से जुड़ी याचिकाएं दर्ज की गई हैं. हिमाचल प्रदेश में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और इसके कार्यान्वयन पर हाई कोर्ट को बताया गया कि हिमाचल प्रदेश 59 शहरी समूह के साथ भारत का सबसे अच्छा शहरीकृत राज्य है, लेकिन कम मात्रा का कचरा भी गंभीर बीमारियां पैदा कर सकता है. हिमाचल में 29 नगर परिषद और 5 नगर निगम हैं. कहीं भी नियम के अनुसार कचरे का निपटान नहीं किया जा रहा है.

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तहबाजारियों के पक्ष में HC का आदेश: वहीं, एक अन्य मामले में हिमाचल हाई कोर्ट ने तहबाजारियों के लिए शिकायत निवारण तंत्र बनाए जाने के आदेश दिए हैं. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह मामले की आगामी सुनवाई के दौरान इसके गठन के संबंध में अदालत को जानकारी दे. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई आगामी 6 अक्टूबर को निर्धारित की गई है. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट को बताया गया कि तहबाजारियों के चुनाव आगामी 25 सितंबर को होंगे. हाई कोर्ट के तहबाजारियों के पक्ष में दिए गए अंतरिम आदेशों को बढ़ाते हुए यह आदेश दिए गए.

30 दिन का नोटिस जरूरी: हिमाचल हाई कोर्ट ने आदेश दिए थे कि तहबाजारियों को हटाने से पहले 30 दिनों का नोटिस जारी किया जाए. उल्लेखनीय है कि शिमला के लोअर बाजार से एक घायल महिला को आईजीएमसी ले जा रही 108 एंबुलेंस बाजार में फंस गई थी. सड़क पर लगाई गई दुकानों के कारण एंबुलेंस करीब 20 मिनट तक बाजार में ही फंसी रही. उसके बाद हिमाचल हाई कोर्ट ने अवैध अतिक्रमण को हटाने के समय-समय पर निर्देश दिए हैं.

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