शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कम्प्यूटर शिक्षकों की सीधी भर्ती के लिए कम से कम 5 वर्ष के शैक्षणिक अनुभव की शर्त को सही ठहराया है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य ने 23 अगस्त 2016 को जारी अधिसूचना को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि सरकार के इस नीतिगत फैसले में कुछ भी गलत नहीं है. याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में उस भर्ती नियम को चुनौती दी थी, जिसके तहत शिक्षा विभाग ने पीजीटी और आईपी शिक्षकों की भर्ती के लिए कंप्यूटर शिक्षक के तौर पर कम से कम पांच वर्ष के अनुभव को योग्य शर्त बनाया है. नियमों के अनुसार 5 वर्षीय उक्त अनुभव केवल हिमाचली स्कूलों द्वारा जारी किया जाना जरूरी है.
याचिकाकर्ताओं द्वारा वर्ष 2016 में जारी कम्प्यूटर शिक्षक भर्ती नियमों को तत्कालीन ट्रिब्यूनल में चुनौती देने के पश्चात यह भर्तियां रुक गई थी. प्रार्थियों का आरोप था कि सरकार ने पहले तो आउटसोर्स आधार पर सैंकड़ों कंप्यूटर शिक्षक सरकारी स्कूलों में लगाए. बिना किसी प्रतियोगी परीक्षा अथवा कंपीटिशन के इन शिक्षकों की बैकडोर एंट्री की गई. फिर इन्ही शिक्षकों को नियमित अथवा कांट्रेक्ट शिक्षक भर्ती का अनुचित लाभ देने के लिए हिमाचली स्कूलों में शिक्षक के तौर पर 5 वर्षीय अनुभव की शर्त लगा दी गई. इस शर्त से उन जैसे अनुभवी कम्प्यूटर शिक्षक भर्ती होने से वंचित हो गए जिनके पास हिमाचली स्कूलों में पढ़ाने का पर्याप्त अनुभव नहीं था.
प्रार्थियों ने कंप्यूटर शिक्षकों की सीधी भर्ती केवल साक्षात्कार के माध्यम से करवाने को भी चुनौती दी थी. सरकार ने अपनी नीति का समर्थन करते हुए कहा था कि पीजीटी आईपी शिक्षकों की भर्ती के लिए बीएड योग्यता जरूरी न होने के कारण कम से कम शिक्षक होने का अनुभव जरूरी बनाया गया था. कोर्ट ने सरकार के इस नीतिगत फैसले को तर्कसंगत पाते हुए सही ठहराया और प्रार्थियों की याचिकाओं को खारिज कर दिया. कोर्ट के इस फैसले से करीब 1300 कंप्यूटर शिक्षकों को लाभ होगा, जो विभिन्न स्कूलों में वर्ष 2002 से आउटसोर्स आधार पर सेवाएं दे रहे हैं.