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HC का आदेश: कुष्ठ रोगियों का निशुल्क मेडिकल चेकअप व इलाज करे सरकार, बिजली पानी भी हो फ्री - हिमाचल हाईकोर्ट का सरकार को आदेश

प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को(Himachal High Court instructions to the government) फागली, शिमला स्थित कुष्ठ गृह के सभी रोगियों का समय-समय पर चिकित्सकीय परीक्षण कराने और उन्हें राज्य के खर्च पर दवा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए. न्यायालय ने राज्य को यह भी निर्देश दिया कि वह कुष्ठ गृह के निवासियों से किराया, बिजली और पानी के लिए कोई राशि नहीं वसूले, क्योंकि कल्याणकारी राज्य होने के नाते राज्य इस तरह की बीमारी से पीड़ित लोगों को ऐसी सेवाएं प्रदान करने के लिए बाध्य है.

Himachal High Court
कुष्ठ गृह
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Published : Mar 21, 2022, 8:12 PM IST

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को (Himachal High Court instructions to the government)फागली, शिमला स्थित कुष्ठ गृह के सभी रोगियों का समय-समय पर चिकित्सकीय परीक्षण कराने और उन्हें राज्य के खर्च पर दवा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए. न्यायालय ने राज्य को यह भी निर्देश दिया कि वह कुष्ठ गृह के निवासियों से किराया, बिजली और पानी के लिए कोई राशि नहीं वसूले, क्योंकि कल्याणकारी राज्य होने के नाते राज्य इस तरह की बीमारी से पीड़ित लोगों को ऐसी सेवाएं प्रदान करने के लिए बाध्य है.

कोर्ट ने राज्य को यह सूचित करने का निर्देश दिया कि क्या कुष्ठ गृह के निवासियों के पास करने के लिए कोई काम है और उन्हें अन्य क्या सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं. मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने ये आदेश नीरज शाश्वत द्वारा दायर एक याचिका पर पारित किए, जिसमें कुष्ठ रोगियों के लिए फागली, शिमला में एक जीर्ण-शीर्ण इमारत की बुनियादी सुविधाओं की कमी और दयनीय स्थिति का आरोप लगाया गया था. आरोप लगाया है कि इस मामले को विभिन्न अधिकारियों के साथ उठाया गया था ,लेकिन उनमें से किसी ने भी इन वंचित लोगों की स्थिति में सुधार के लिए कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.

कोर्ट ने 07 मार्च 2022 को पारित आदेशों में सचिव (सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता), निदेशक (स्वास्थ्य) उपायुक्त शिमला और जिला कल्याण अधिकारी, जिला शिमला को व्यक्तिगत रूप से यह बताने के निर्देश दिए थे कि कुष्ठ कॉलोनी, फागली, शिमला स्थित कुष्ठ गृह के निरीक्षण और उसके आवश्यक मरम्मत कार्य के संबंध में आदेशों का अनुपालन क्यों नहीं किया गया था. उन्हें न्यायालय के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के निर्देश जारी किए थे.

उपायुक्त, शिमला ने एक हलफनामा दायर किया और पहले के निर्देशों का पालन करने में सक्षम नहीं होने के लिए माफी मांगी. उन्होंने 07.03.2022 को उनके द्वारा किए गए निरीक्षण की रिपोर्ट को कोर्ट के समक्ष रखा जो स्पष्ट करती है कि इमारत के पांच ब्लॉकों में 18 सेटों की मरम्मत और नवीनीकरण की सख्त जरूरत है, क्योंकि दीवार टूट गई ,जिसमें दरारें आ गई. पानी के पाइप लीक हो रहे हैं सीवरेज सिस्टम भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया और शौचालय के पाइप भी खराब स्थिति में हैं.

निरीक्षण रिपोर्ट में आगे पता चला कि बारिश के मौसम में छत लीक हो जाती है, बिजली की फिटिंग और मरम्मत कार्य की बहुत आवश्यकता होती है. कॉलोनी के ऊपर शेड बनाए गए जो गटर के माध्यम से कॉलोनी में गंदा पानी छोड़ते हैं. कोई चारदीवारी नहीं और निर्माण आवश्यक है. निरीक्षण रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सीसीटीवी कैमरे लगाने और सुरक्षा गार्ड की तैनाती की भी बहुत आवश्यकता ,क्योंकि स्थानीय निवासियों ने बताया कि बदमाश रात के दौरान इधर-उधर मंडराते रहते हैं.

न्यायालय को सूचित किया गया कि 47,85,200/- रुपये की राशि स्वीकृत की गई है, जो अब लोक निर्माण विभाग के पास जमा है. उक्त मरम्मत कार्य के लिए निविदा सूचना जारी कर दी गई तथा 55 दिनों के अंदर कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि विचाराधीन भवन का निर्माण लगभग 10 साल पहले लोक निर्माण विभाग के माध्यम से हुआ था, लेकिन वर्तमान में भवन की हालत इतनी खराब है कि मानों कई दशक पहले बना हो. प्रतिवादियों की ओर से पेश वरिष्ठ अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि सरकार यह पता लगाएगी कि उस समय ठेकेदार कौन था और यह सुनिश्चित करेगी कि उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए. मामला 25.04.2022 के लिए पोस्ट किया गया है.

ये भी पढ़ें :Himachal High Court : एनजीटी के आदेशों को चुनौती देनी वाली याचिकाओं को किया खारिज

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को (Himachal High Court instructions to the government)फागली, शिमला स्थित कुष्ठ गृह के सभी रोगियों का समय-समय पर चिकित्सकीय परीक्षण कराने और उन्हें राज्य के खर्च पर दवा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए. न्यायालय ने राज्य को यह भी निर्देश दिया कि वह कुष्ठ गृह के निवासियों से किराया, बिजली और पानी के लिए कोई राशि नहीं वसूले, क्योंकि कल्याणकारी राज्य होने के नाते राज्य इस तरह की बीमारी से पीड़ित लोगों को ऐसी सेवाएं प्रदान करने के लिए बाध्य है.

कोर्ट ने राज्य को यह सूचित करने का निर्देश दिया कि क्या कुष्ठ गृह के निवासियों के पास करने के लिए कोई काम है और उन्हें अन्य क्या सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं. मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने ये आदेश नीरज शाश्वत द्वारा दायर एक याचिका पर पारित किए, जिसमें कुष्ठ रोगियों के लिए फागली, शिमला में एक जीर्ण-शीर्ण इमारत की बुनियादी सुविधाओं की कमी और दयनीय स्थिति का आरोप लगाया गया था. आरोप लगाया है कि इस मामले को विभिन्न अधिकारियों के साथ उठाया गया था ,लेकिन उनमें से किसी ने भी इन वंचित लोगों की स्थिति में सुधार के लिए कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.

कोर्ट ने 07 मार्च 2022 को पारित आदेशों में सचिव (सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता), निदेशक (स्वास्थ्य) उपायुक्त शिमला और जिला कल्याण अधिकारी, जिला शिमला को व्यक्तिगत रूप से यह बताने के निर्देश दिए थे कि कुष्ठ कॉलोनी, फागली, शिमला स्थित कुष्ठ गृह के निरीक्षण और उसके आवश्यक मरम्मत कार्य के संबंध में आदेशों का अनुपालन क्यों नहीं किया गया था. उन्हें न्यायालय के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के निर्देश जारी किए थे.

उपायुक्त, शिमला ने एक हलफनामा दायर किया और पहले के निर्देशों का पालन करने में सक्षम नहीं होने के लिए माफी मांगी. उन्होंने 07.03.2022 को उनके द्वारा किए गए निरीक्षण की रिपोर्ट को कोर्ट के समक्ष रखा जो स्पष्ट करती है कि इमारत के पांच ब्लॉकों में 18 सेटों की मरम्मत और नवीनीकरण की सख्त जरूरत है, क्योंकि दीवार टूट गई ,जिसमें दरारें आ गई. पानी के पाइप लीक हो रहे हैं सीवरेज सिस्टम भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया और शौचालय के पाइप भी खराब स्थिति में हैं.

निरीक्षण रिपोर्ट में आगे पता चला कि बारिश के मौसम में छत लीक हो जाती है, बिजली की फिटिंग और मरम्मत कार्य की बहुत आवश्यकता होती है. कॉलोनी के ऊपर शेड बनाए गए जो गटर के माध्यम से कॉलोनी में गंदा पानी छोड़ते हैं. कोई चारदीवारी नहीं और निर्माण आवश्यक है. निरीक्षण रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सीसीटीवी कैमरे लगाने और सुरक्षा गार्ड की तैनाती की भी बहुत आवश्यकता ,क्योंकि स्थानीय निवासियों ने बताया कि बदमाश रात के दौरान इधर-उधर मंडराते रहते हैं.

न्यायालय को सूचित किया गया कि 47,85,200/- रुपये की राशि स्वीकृत की गई है, जो अब लोक निर्माण विभाग के पास जमा है. उक्त मरम्मत कार्य के लिए निविदा सूचना जारी कर दी गई तथा 55 दिनों के अंदर कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि विचाराधीन भवन का निर्माण लगभग 10 साल पहले लोक निर्माण विभाग के माध्यम से हुआ था, लेकिन वर्तमान में भवन की हालत इतनी खराब है कि मानों कई दशक पहले बना हो. प्रतिवादियों की ओर से पेश वरिष्ठ अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि सरकार यह पता लगाएगी कि उस समय ठेकेदार कौन था और यह सुनिश्चित करेगी कि उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए. मामला 25.04.2022 के लिए पोस्ट किया गया है.

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