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Himachal News: सरकार ने ब्यास व इसकी सहायक नदियों में स्टोन क्रशरों पर लगाई रोक, जानें वजह - shimla news

हिमाचल प्रदेश सरकार ने ब्यास नदी और उसकी सहायक नदियों में स्टोन क्रशर के प्रयोग को तुरंत प्रभाव से बंद करने का निर्णय लिया है. आगे पढ़ें पूरी खबर... (banned on stone crushers).

Ban on operation of stone crushers in beas river
सरकार ने ब्यास व इसकी सहायक नदियों में स्टोन क्रशरों पर लगाई रोक
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 23, 2023, 10:52 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार ने ब्यास और इसकी सहायक नदियों के आसपास लगे स्टोन क्रशरों पर रोग लगा दी है. यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू किए गए हैं. इन नदियों के आसपास के इलाकों में भारी नुकसान को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है. दरअसल, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार ने ब्यास नदी बेसिन और उसकी सहायक नदियों में स्टोन क्रशर के प्रयोग को तुरंत प्रभाव से बंद करने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि बरसात के दौरान मौजूदा परिस्थितियों और कांगड़ा जिले में चक्की नदी सहित कुल्लू, मंडी, कांगड़ा और हमीरपुर जिलों में ब्यास और इसकी सहायक नदियों में पारिस्थितिकी के खतरनाक परिवर्तन को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है.

'पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए उठाया कदम': दरअसल, मुख्यमंत्री ने कहा कि इस निर्णय के अनुसार, अगले आदेश तक बारहमासी और गैर-बारहमासी दोनों नालों के सभी स्टोन क्रशर के संचालन को बंद कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 के तहत राज्य की नाजुक पारिस्थितिकी और पर्यावरण को संरक्षित करने, बस्तियों और बुनियादी ढांचे की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया गया है. हालांकि, वैध खनन के लिए जारी परमिट को रद्द नहीं किया गया है.

'दायरे में नहीं आएंगे मौजूदा कैप्टिव और अस्थायी स्टोन क्रशर': मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा कैप्टिव और अस्थायी स्टोन क्रशर इस आदेश के दायरे में नहीं आएंगे. उन्होंने कहा कि पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा जलवायु परिवर्तन विभाग को इस प्रकार की विनाशकारी स्थिति उत्पन्न करने वाले कारकों की पहचान करने के लिए आईआईटी, एनआईटी, अनुसंधान और विकास संस्थानों और विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों से तुरंत उच्च स्तरीय विशेषज्ञ परामर्श लेने के निर्देश दिए गए हैं.

सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि विभाग अवैज्ञानिक और अवैध खनन गतिविधियों के संचयी प्रभाव के मूल्यांकन के लिए एक बहु क्षेत्रीय विशेषज्ञ समिति का गठन करके एक व्यापक वैज्ञानिक अध्ययन भी करेगा. इस अध्ययन के निष्कर्ष के आधार पर दूरी से संबंधित परिसीमाएं फिर से परिभाषित की जाएंगी ताकि नदियों के पास पर्यावरण को संरक्षित करने और राज्य में अन्य ऐसी किसी भी मानव जनित आपदा से बचने के लिए ऐसे कार्यों का विनियमन और प्रबंधन सुनिश्चित हो सके.

ये भी पढ़ें: Himachal News: बारिश से क्षतिग्रस्त इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए प्रदेश सरकार ने जारी किए 165.22 करोड़

शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार ने ब्यास और इसकी सहायक नदियों के आसपास लगे स्टोन क्रशरों पर रोग लगा दी है. यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू किए गए हैं. इन नदियों के आसपास के इलाकों में भारी नुकसान को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है. दरअसल, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार ने ब्यास नदी बेसिन और उसकी सहायक नदियों में स्टोन क्रशर के प्रयोग को तुरंत प्रभाव से बंद करने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि बरसात के दौरान मौजूदा परिस्थितियों और कांगड़ा जिले में चक्की नदी सहित कुल्लू, मंडी, कांगड़ा और हमीरपुर जिलों में ब्यास और इसकी सहायक नदियों में पारिस्थितिकी के खतरनाक परिवर्तन को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है.

'पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए उठाया कदम': दरअसल, मुख्यमंत्री ने कहा कि इस निर्णय के अनुसार, अगले आदेश तक बारहमासी और गैर-बारहमासी दोनों नालों के सभी स्टोन क्रशर के संचालन को बंद कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 के तहत राज्य की नाजुक पारिस्थितिकी और पर्यावरण को संरक्षित करने, बस्तियों और बुनियादी ढांचे की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया गया है. हालांकि, वैध खनन के लिए जारी परमिट को रद्द नहीं किया गया है.

'दायरे में नहीं आएंगे मौजूदा कैप्टिव और अस्थायी स्टोन क्रशर': मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा कैप्टिव और अस्थायी स्टोन क्रशर इस आदेश के दायरे में नहीं आएंगे. उन्होंने कहा कि पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा जलवायु परिवर्तन विभाग को इस प्रकार की विनाशकारी स्थिति उत्पन्न करने वाले कारकों की पहचान करने के लिए आईआईटी, एनआईटी, अनुसंधान और विकास संस्थानों और विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों से तुरंत उच्च स्तरीय विशेषज्ञ परामर्श लेने के निर्देश दिए गए हैं.

सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि विभाग अवैज्ञानिक और अवैध खनन गतिविधियों के संचयी प्रभाव के मूल्यांकन के लिए एक बहु क्षेत्रीय विशेषज्ञ समिति का गठन करके एक व्यापक वैज्ञानिक अध्ययन भी करेगा. इस अध्ययन के निष्कर्ष के आधार पर दूरी से संबंधित परिसीमाएं फिर से परिभाषित की जाएंगी ताकि नदियों के पास पर्यावरण को संरक्षित करने और राज्य में अन्य ऐसी किसी भी मानव जनित आपदा से बचने के लिए ऐसे कार्यों का विनियमन और प्रबंधन सुनिश्चित हो सके.

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