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हिमाचल प्रदेश में 58,278 बीघा भूमि पर कलस्टर बनाकर होगी खेती, 28,873 परिवार इसके दायरे में लाए जाएंगे

हिमाचल में प्रदेश सरकार कलस्टर बनाकर खेती करने की योजना लागू करने जा रही है. इससे किसानों की आर्थिकी स्थिति सही करने के लिए प्रदेश में योजना के तहत 2,603 क्लस्टर बनाए जाएंगे. यही नहीं प्रदेश सरकार किसानों की आय दोगुना करने के लिए हिम उन्नति योजना लागू करने जा रही है. पढ़ें पूरी खबर...

Himachal government will formed clusters
हिमाचल प्रदेश में 58,278 बीघा भूमि पर कलस्टर बनाकर होगी खेती
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Published : May 28, 2023, 10:04 PM IST

शिमला: हिमाचल में किसानों की आर्थिकी सुदृढ़ करने के लिए प्रदेश सरकार कलस्टर बनाकर खेती की योजना लागू करने जा रही है. इसके तहत करीब 58,278 बीघा भूमि को कवर किया जाएगा. जिसमें 2603 कलस्टर बनाए जाएंगे. इस योजना के तहत 28,873 परिवार इस योजना के दायरे में लाए जाएंगे. हिमाचल प्रदेश की अधिकतर आबादी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कृषि क्षेत्र से जुड़ी हुई है. यही नहीं प्रदेश की अर्थव्यवस्था में कृषि और संबद्ध क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसको देखते हुए हिमाचल सरकार किसानों की आय दोगुना करने के लिए महत्वाकांक्षी योजना 'हिम उन्नति' लागू करने जा रही है, इसके तहत अन्तर्गत प्रदेश में एकीकृत एवं समग्र कृषि गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा.

प्रदेश भर में 889 कलस्टर किए गए चिन्हित: प्रदेश में योजना के तहत 2,603 क्लस्टर बनाए जाएंगे, वर्तमान में प्रदेश भर में 889 कलस्टर चिन्हित किए गए हैं. इसके तहत प्रदेश की 58,278 बीघा भूमि को शामिल किया जाएगा. इस योजना से प्रदेश के 28,873 परिवार लाभान्वित होंगे. प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा है कि कृषि एवं अन्य संबद्ध क्षेत्रों से जुड़े लोगों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से एकीकृत कार्य योजना बनाकर कार्य करना सुनिश्चित किया जा रहा है. कृषि में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल सुनिश्चित करने पर भी विशेष बल दिया जा रहा है. राज्य में उगाई जाने वाली विभिन्न फसलों की उत्पादकता का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए ग्रेडिंग, फूड प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और कोल्ड स्टोरेज जैसी सुविधाओं के माध्यम से इन फसलों की गुणवत्ता स्वाद और पोषण मूल्य को बढ़ाकर मूल्यवर्धन पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. जल्द खराब होने वाली उपज के लिए कोल्ड वैन, सप्लाई चैन और मार्केटिंग को मजबूत करने पर भी बल दिया जा रहा है.

'किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए किया जा रहा प्रोत्साहित': प्रवक्ता ने कहा है कि प्रदेश सरकार कृषि की लागत कम करने, मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार, पर्यावरण प्रदूषण को कम करने और उपभोक्ताओं के लिए रसायन मुक्त स्वस्थ खाद्यान्नों का उत्पादन करने के लिए किसानों को सुभाष पार्लेकर प्राकृतिक खेती पद्धति अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. वर्तमान में प्रदेश की 3611 पंचायतों के 1,65,221 किसान सफलतापूर्वक प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और इसके उत्साहजनक परिणाम देखने को मिल रहे हैं. प्रदेश सरकार जैविक खेती को भी बड़े पैमाने पर बढ़ावा दे रहे हैं. प्रवक्ता ने कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार देशी गाय की खरीद पर आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है. प्राकृतिक उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में विशेष प्राकृतिक कृषक उत्पादक संगठनों को गठित करने पर बल दिया जा रहा है.

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शिमला: हिमाचल में किसानों की आर्थिकी सुदृढ़ करने के लिए प्रदेश सरकार कलस्टर बनाकर खेती की योजना लागू करने जा रही है. इसके तहत करीब 58,278 बीघा भूमि को कवर किया जाएगा. जिसमें 2603 कलस्टर बनाए जाएंगे. इस योजना के तहत 28,873 परिवार इस योजना के दायरे में लाए जाएंगे. हिमाचल प्रदेश की अधिकतर आबादी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कृषि क्षेत्र से जुड़ी हुई है. यही नहीं प्रदेश की अर्थव्यवस्था में कृषि और संबद्ध क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसको देखते हुए हिमाचल सरकार किसानों की आय दोगुना करने के लिए महत्वाकांक्षी योजना 'हिम उन्नति' लागू करने जा रही है, इसके तहत अन्तर्गत प्रदेश में एकीकृत एवं समग्र कृषि गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा.

प्रदेश भर में 889 कलस्टर किए गए चिन्हित: प्रदेश में योजना के तहत 2,603 क्लस्टर बनाए जाएंगे, वर्तमान में प्रदेश भर में 889 कलस्टर चिन्हित किए गए हैं. इसके तहत प्रदेश की 58,278 बीघा भूमि को शामिल किया जाएगा. इस योजना से प्रदेश के 28,873 परिवार लाभान्वित होंगे. प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा है कि कृषि एवं अन्य संबद्ध क्षेत्रों से जुड़े लोगों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से एकीकृत कार्य योजना बनाकर कार्य करना सुनिश्चित किया जा रहा है. कृषि में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल सुनिश्चित करने पर भी विशेष बल दिया जा रहा है. राज्य में उगाई जाने वाली विभिन्न फसलों की उत्पादकता का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए ग्रेडिंग, फूड प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और कोल्ड स्टोरेज जैसी सुविधाओं के माध्यम से इन फसलों की गुणवत्ता स्वाद और पोषण मूल्य को बढ़ाकर मूल्यवर्धन पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. जल्द खराब होने वाली उपज के लिए कोल्ड वैन, सप्लाई चैन और मार्केटिंग को मजबूत करने पर भी बल दिया जा रहा है.

'किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए किया जा रहा प्रोत्साहित': प्रवक्ता ने कहा है कि प्रदेश सरकार कृषि की लागत कम करने, मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार, पर्यावरण प्रदूषण को कम करने और उपभोक्ताओं के लिए रसायन मुक्त स्वस्थ खाद्यान्नों का उत्पादन करने के लिए किसानों को सुभाष पार्लेकर प्राकृतिक खेती पद्धति अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. वर्तमान में प्रदेश की 3611 पंचायतों के 1,65,221 किसान सफलतापूर्वक प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और इसके उत्साहजनक परिणाम देखने को मिल रहे हैं. प्रदेश सरकार जैविक खेती को भी बड़े पैमाने पर बढ़ावा दे रहे हैं. प्रवक्ता ने कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार देशी गाय की खरीद पर आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है. प्राकृतिक उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में विशेष प्राकृतिक कृषक उत्पादक संगठनों को गठित करने पर बल दिया जा रहा है.

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