शिमला: प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता के लिए केंद्र सरकार की ओर से समग्र शिक्षा अभियान और राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान की योजना के तहत केंद्र सरकार की ओर से मंजूर हुए बजट की ग्रांट जारी करने के लिए सरकार की ओर से पत्र केंद्र सरकार को भेजा गया है. इसके पीछे की वजह यह है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने के बाद योजनाओं के फंडिंग पैटर्न में बदलाव होना है. यही वजह है कि सरकार चाह रही है कि इन दोनों योजनाओं के तहत वर्ष 2020-21 का जो बजट प्रदेश को मिलना है उसकी पूरी ग्रांट उन्हें मिल सके. साथ ही यह भी मांग की गई है कि इन दोनों योजनाओं के तहत जो भी प्रोजेक्ट चलाए गए हैं उन्हें शिक्षा की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए उसी तरह से चलाया जाए.
स्वीकृत बजट देने की मांग
शिक्षा सचिव राजीव शर्मा की ओर से शिक्षा मंत्रालय पत्र लिखा गया है जिसमें यह कहा गया है कि एसएसए और आरएमएसए के तहत जो प्रोजेक्ट स्वीकृत हुए हैं उसके लिए बजट हिमाचल को जारी किया जाए. इसके साथ ही यह बात भी कही गई है कि आगे भी इन योजनाओं के तहत मिलने वाली ग्रांट को जारी रखा जाए जिससे कि ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को बेहतर शिक्षा के अवसर मिल सके. प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में इन दोनों योजनाओं की वशिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए अहम भूमिका है. ऐसे में प्रदेश सरकार यह चाह रही है कि केंद्र से उन्हें वित्त वर्ष 2020- 21 के लिए जो ग्रांट मंजूर हुई है मिल सके.
90 फीसदी केंद्र और 10 फीसदी प्रदेश सरकार देती है राशि
वर्तमान समय में अगर बात की जाए तो पैसे से और आरएमएस से के तहत हिमाचल को जो बजट मिलता है उसमें 90 फीसदी राशि केंद्र सरकार और 10 फीसदी राशि हिमाचल प्रदेश सरकार देती है. 1200 करोड़ से भी अधिक का बजट इन दोनों योजनाओं के तहत हिमाचल को शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए चलाई जा रही योजनाओं को सिरे चढ़ाने के लिए दिया जाता है. अब अगर नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के तहत केंद्र इन योजनाओं के लिए फंडिंग पैटर्न में बदलाव करता है तो हिमाचल को इसे दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
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