शिमला: संयुक्त किसान मंच के सह संयोजक संजय चौहान सेब बागवानों के पक्ष में अदानी एग्री फ्रेश पर निशाना साधा है. संजय चौहान ने कहा कि अदानी एग्री फ्रेश लिमिटेड के द्वारा साल 2023 के लिए जो सेब की खरीद का मूल्य तय किया गया है, वो इस साल जो मंडियों में बागवानों को दाम मिल रहे हैं, उससे बहुत ही कम है. संजय चौहान ने कहा कि इसे बिल्कुल भी जायज नहीं ठहराया जा सकता है.
सेब दाम पर संयुक्त किसान मंच का रोष: संजय चौहान ने कहा कि संयुक्त किसान मंच प्रदेश सरकार से मांग करता है कि सरकार तुरंत इस मामले में हस्तक्षेप करे और अदानी एग्री फ्रेश के प्रबंधन को बुलाकर, सेब खरीद का मूल्य मंडियों में मिल रहे दाम के अनुसार तय करने के निर्देश जारी करें. उन्होंने कहा कि यदि अदानी एग्री फ्रेश तुरंत सेब के खरीद मूल्य में बढ़ोतरी नहीं करता है तो मंच बागवानों को संगठित कर अदानी की इस मनमानी व शोषण के खिलाफ आंदोलन करेगा.
अदानी एग्री फ्रेश में सेब के दाम: इस साल अदानी एग्री फ्रेश ने प्रीमियम ग्रेड के सेब का भाव 95- 60 रुपए प्रति किलो, सुप्रीम ग्रेड के सेब का भाव 75-40 रुपए प्रति किलो और न्यूनतम भाव 20 रुपए प्रति किलो तक तय किए गए हैं. जबकि बागवानों को आज सभी मंडियों में प्रीमियम ग्रेड सेब के दाम 150-160 रुपए प्रति किलो तथा सुप्रीम ग्रेड के सेब के दाम 75-95 रुपए तथा हल्के ग्रेड के सेब के न्यूनतम दाम भी 35-50 रुपए प्रति किलो तक मिल रहे हैं.
अदानी एग्री फ्रेश पर आरोप: संजय चौहान का कहना है कि अदानी एग्री फ्रेश बागवानों से सस्ते दाम पर सेब खरीद कर इन्हें अपने रिटेल स्टोर में 250 रुपये से 400 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेचकर भारी मुनाफा कमा रहा है. उन्होंने कहा कि अगर पहले के अनुभव को देखा जाए तो जब भी अदानी द्वारा कम दामों की घोषणा की जाती है तो इससे सेब मंडियों पर भी गहरा असर पड़ता है और मंडियों में सेब का भाव गिरने लगता है.
सेब के दाम के लिए कमेटी की मांग: संजय चौहान ने कहा कि संयुक्त किसान मंच पहले से ही मांग कर रहा है कि प्रदेश में अदानी व अन्य कंपनियों के द्वारा करोड़ों रुपए की भारी सब्सिडी प्राप्त करने के बावजूद बागवानों से सेब खरीद के लिए जिस तरह से मनमानी की जा रही है, उसकी जांच की जाए. इसके लिए बागवानी सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया जाए. जिसमें बागवानों के प्रतिनिधि के साथ बागवानी, आर्थिक व कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञों को भी शामिल किया जाए. यह कमेटी अदानी व अन्य कंपनियों के साथ किए गए करार की समीक्षा करेगी. उन्होंने कहा कि इन कंपनियों के कारोबार की शर्तों को नए रूप से तय किया जाए, ताकि बागवानों के हितों की रक्षा की जाए.
आंदोलन की चेतावनी: संजय चौहान ने कहा कि बीते साल भी संयुक्त किसान मंच के आंदोलन के बाद पूर्व सरकार ने एक कमेटी का गठन किया था, लेकिन वह अपना काम पूरा नहीं कर पाई थी. उन्होंने मांग की है कि प्रदेश सरकार तुरंत हस्तक्षेप करके अदानी व अन्य कंपनियों द्वारा बागवानों के शोषण पर रोक लगाए. संजय चौहान ने प्रदेश सरकार और अदानी एग्री फ्रेश को चेताते हुए कहा कि अगर उनकी मांगे पूरी नहीं हुई तो संयुक्त किसान मंच बागवानों को इकट्ठा कर अदानी व अन्य कंपनियों के खिलाफ आंदोलन करेंगे.
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