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Union Budget 2023: बागवानों की सेब को स्पेशल कैटेगरी में लाने की मांग, खाद से लेकर कीटनाशकों पर सब्सिडी की डिमांड - new income tax regime

बुधवार एक फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करने वाली हैं. बजट के पिटारे से हिमाचल के सेब बागवानों ने बहुत उम्मीद लगाई हुई है. केंद्रीय बजट से सेब बागवानों की उम्मीद क्या है, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर (apple growers expectation from Budget 2023) (India Budget 2023 expectations) (Union Budget 2023) (Budget session 2023) (Nirmala Sitharaman budget) (Union budget of india)

Union Budget 2023
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Published : Jan 31, 2023, 8:58 PM IST

Updated : Feb 1, 2023, 6:03 AM IST

बागवानों की सेब को स्पेशल कैटेगरी में लाने की मांग.

शिमला: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2023-24 के लिए बजट पेश करने वाली हैं. जिसे लेकर देश के हर तबके ने उम्मीद लगाई हुई है. हिमाचल के सेब उत्पादकों और अन्य बागवानों को भी केंद्रीय बजट से अच्छी खासी उम्मीद है. बागवानों की मांग है कि हिमाचली सेब के व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए बजट में विशेष प्रावधान होने चाहिए. जिसमें विदेशी सेब के आयात से लेकर सेब उत्पादकों को मिलने वाली सब्सिडी तक शामिल है. गौरतलब है कि हिमाचल की आर्थिकी का सेब बड़ा जरिया है, प्रदेश के लाखों परिवार बागवानी से जुड़े हैं. जिन्होंने केंद्रीय बजट से हर बार की तरह उम्मीद लगाई हुई है.

'विदेशी सेब पर 100 फीसदी आयात शुल्क लगे'- शिमला जिले के सेब बागवान सुशांत कपरेट के मुताबिक बीते सालों में हर चीज महंगी हुई है जिसका सीधा असर लागत पर पड़ा है. ऐसे में खाद और कीटनाशकों पर सब्सिडी बागवानों की सबसे बड़ी मांग है. इसके अलावा चीन और ईरान जैसे देशों से आने वाले सेब पर 100 फीसदी आयात शुल्क भी लगना चाहिए. क्योंकि विदेशी सेब के बाजार में आने से हिमाचली सेब के दाम घट जाते हैं.

कोल्ड स्टोरेज और सब्सिडी की मांग- महिला बागवान पुष्पा के कहती हैं कि हिमाचल के बागवानों की सबसे बड़ी डिमांड कोल्ड स्टोरेज और फूड प्रोसेसिंग यूनिट है. इसकी कमी के कारण सेब से लेकर चेरी जैसे तमाम फल जो प्रदेश में उगते हैं वो वक्त से पहले ही खराब हो जाते हैं. बागवानों को सेब उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले खाद, कीटनाशक स्प्रे, एंटी हेलनेट व अन्य मशीनरी पर सब्सिडी मिलनी चाहिए.

सेब पर एमएसपी मिले- बागवान यशवंत छाजटा कहते हैं कि जम्मू कश्मीर के बागवानों को सेब पर न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलता है जबकि हिमाचल में ये सिर्फ निम्न क्वालिटी के सेब पर मिलता है वो भी 10 रुपये प्रति किलो से कम होता है. जबकि जम्मू-कश्मीर में एमएसपी के रूप में अधिक एमएसपी दी जाती है. यशवंत की मांग है कि सेब को स्पेशल कैटेगरी में लाया जाए और विदेशी सेब पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाई जाए. क्योंकि दूसरे देशों का सेब भारत के बाजारों में उसी समय आता है जब हिमाचल का सेब मार्केट में पहुंचता है. जिससे बागवानों को नुकसान होता है.

बेहतर सड़कें भी जरूरी हैं- सुशांत कपरेट कहते हैं कि बागवानों को सब्सिडी के अलावा सेब उत्पादन के लिए उन्नत किस्में और उन्नत मशीनरी भी मिलनी चाहिए. सड़कें बेहतर ना होने के कारण सेब वक्त पर मंडियों में नहीं पहुंच पाता. कोल्ड स्टोरेज की कमी फसल को खराब कर देती है. सुशांत कपरेट के मुताबिक आज भी सेब उसी दाम पर बिक रहा है जिसपर 10 साल पहले बिक रहा था, जबकि मौजूदा वक्त में हर चीज के दाम बढ़ गए हैं लागत बढ़ने से सबसे ज्यादा मार छोटे बागवानों पर पड़ी है. जो कड़ी मेहनत करता है लेकिन तमाम मुश्किलों के बाद उसकी फसल औने-पौने दाम में बिकती है.

बागवान मांगे More- बागवान यशवंत छाजटा के मुताबिक बर्फबारी कम ज्यादा होने से सेब की फसल को नुकसान होता है. सरकारें नुकसान का जायजा लेकर मुआवजे की बात करती हैं लेकिन होता कुछ नहीं है. एप्पल सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार को सेब के रेट क्वालिटी के हिसाब से फिक्स करने होंगे, साथ ही महंगाई के इस दौर में बागवानों को सब्सिडी भी देनी होगी.

ये भी पढ़ें: Budget 2023-24 : ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट, सेब पैकिंग मेटीरियल पर GST कटौती और रेल विस्तार, हिमाचल को केंद्रीय बजट से बहुत आस

बागवानों की सेब को स्पेशल कैटेगरी में लाने की मांग.

शिमला: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2023-24 के लिए बजट पेश करने वाली हैं. जिसे लेकर देश के हर तबके ने उम्मीद लगाई हुई है. हिमाचल के सेब उत्पादकों और अन्य बागवानों को भी केंद्रीय बजट से अच्छी खासी उम्मीद है. बागवानों की मांग है कि हिमाचली सेब के व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए बजट में विशेष प्रावधान होने चाहिए. जिसमें विदेशी सेब के आयात से लेकर सेब उत्पादकों को मिलने वाली सब्सिडी तक शामिल है. गौरतलब है कि हिमाचल की आर्थिकी का सेब बड़ा जरिया है, प्रदेश के लाखों परिवार बागवानी से जुड़े हैं. जिन्होंने केंद्रीय बजट से हर बार की तरह उम्मीद लगाई हुई है.

'विदेशी सेब पर 100 फीसदी आयात शुल्क लगे'- शिमला जिले के सेब बागवान सुशांत कपरेट के मुताबिक बीते सालों में हर चीज महंगी हुई है जिसका सीधा असर लागत पर पड़ा है. ऐसे में खाद और कीटनाशकों पर सब्सिडी बागवानों की सबसे बड़ी मांग है. इसके अलावा चीन और ईरान जैसे देशों से आने वाले सेब पर 100 फीसदी आयात शुल्क भी लगना चाहिए. क्योंकि विदेशी सेब के बाजार में आने से हिमाचली सेब के दाम घट जाते हैं.

कोल्ड स्टोरेज और सब्सिडी की मांग- महिला बागवान पुष्पा के कहती हैं कि हिमाचल के बागवानों की सबसे बड़ी डिमांड कोल्ड स्टोरेज और फूड प्रोसेसिंग यूनिट है. इसकी कमी के कारण सेब से लेकर चेरी जैसे तमाम फल जो प्रदेश में उगते हैं वो वक्त से पहले ही खराब हो जाते हैं. बागवानों को सेब उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले खाद, कीटनाशक स्प्रे, एंटी हेलनेट व अन्य मशीनरी पर सब्सिडी मिलनी चाहिए.

सेब पर एमएसपी मिले- बागवान यशवंत छाजटा कहते हैं कि जम्मू कश्मीर के बागवानों को सेब पर न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलता है जबकि हिमाचल में ये सिर्फ निम्न क्वालिटी के सेब पर मिलता है वो भी 10 रुपये प्रति किलो से कम होता है. जबकि जम्मू-कश्मीर में एमएसपी के रूप में अधिक एमएसपी दी जाती है. यशवंत की मांग है कि सेब को स्पेशल कैटेगरी में लाया जाए और विदेशी सेब पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाई जाए. क्योंकि दूसरे देशों का सेब भारत के बाजारों में उसी समय आता है जब हिमाचल का सेब मार्केट में पहुंचता है. जिससे बागवानों को नुकसान होता है.

बेहतर सड़कें भी जरूरी हैं- सुशांत कपरेट कहते हैं कि बागवानों को सब्सिडी के अलावा सेब उत्पादन के लिए उन्नत किस्में और उन्नत मशीनरी भी मिलनी चाहिए. सड़कें बेहतर ना होने के कारण सेब वक्त पर मंडियों में नहीं पहुंच पाता. कोल्ड स्टोरेज की कमी फसल को खराब कर देती है. सुशांत कपरेट के मुताबिक आज भी सेब उसी दाम पर बिक रहा है जिसपर 10 साल पहले बिक रहा था, जबकि मौजूदा वक्त में हर चीज के दाम बढ़ गए हैं लागत बढ़ने से सबसे ज्यादा मार छोटे बागवानों पर पड़ी है. जो कड़ी मेहनत करता है लेकिन तमाम मुश्किलों के बाद उसकी फसल औने-पौने दाम में बिकती है.

बागवान मांगे More- बागवान यशवंत छाजटा के मुताबिक बर्फबारी कम ज्यादा होने से सेब की फसल को नुकसान होता है. सरकारें नुकसान का जायजा लेकर मुआवजे की बात करती हैं लेकिन होता कुछ नहीं है. एप्पल सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार को सेब के रेट क्वालिटी के हिसाब से फिक्स करने होंगे, साथ ही महंगाई के इस दौर में बागवानों को सब्सिडी भी देनी होगी.

ये भी पढ़ें: Budget 2023-24 : ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट, सेब पैकिंग मेटीरियल पर GST कटौती और रेल विस्तार, हिमाचल को केंद्रीय बजट से बहुत आस

Last Updated : Feb 1, 2023, 6:03 AM IST
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