शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने वन रेंज कोटी में 416 पेड़ों की अवैध कटाई से जुड़े मामले में प्रधान सचिव (वन) को 16 वन अधिकारियों से 34,68,233 रुपये की वसूली करने के लिए उनकी जिम्मेदारी तय करने के आदेश जारी किए. इन अधिकारियों में दो वन अरण्यपाल, दो मंडल वन अधिकारी, तीन सहायक वन अरण्यपाल, दो रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर, छह ब्लॉक ऑफिसर और एक फॉरेस्ट गार्ड शामिल है. यह सभी कर्मी भलावाग बीट, कोटि फॉरेस्ट ब्लॉक, कोटि फॉरेस्ट रेंज, शिमला फॉरेस्ट डिवीजन और शिमला फॉरेस्ट सर्कल में तैनात वर्ष 2015 से 2018 तैनात थे. इसी दौरान कोटी रेंज में 416 पेड़ों का अवैध कटान हुआ था.
27 मई को कोर्ट में पेश होने का अवसर
कोर्ट ने अधिकारियों को 27 मई, 2021 को अदालत में उपस्थित होने का अवसर देते हुए कहा कि यह कर्मी उपरोक्त वसूली और उनके सेवा रिकॉर्ड में उल्लिखित चूक की प्रविष्टि करने से पहले अपनी बात अदालत के समक्ष रख सकते हैं. मुख्य न्यायाधीश एल नारायण स्वामी और न्यायमूर्ति अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करने के पश्चात यह आदेश पारित किए. इस मामले में नियुक्त एमिकस क्यूरी द्वारा कोर्ट को बताया गया कि अनिवार्य फील्ड निर्देशों के अनुसार विभिन्न वन अधिकारियों का यह अनिवार्य कर्तव्य है कि वह अपने अधीन आने वाले क्षेत्र का निरीक्षण करें और पेड़ों की किसी भी कटाई का पता लगाएं.
छोटे वन कर्मियों को बनाया गया निशाना
इसके अलावा यह भी बताया कि विभाग ने उच्च अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय केवल उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई है जो रैंक में सबसे कम हैं और केवल छोटे वन कर्मियों को ही निशाना बनाया गया है. कोर्ट ने सभी पक्षकारों की दलीलों को सुनने के पश्चात कहा कि राज्य सरकार ने इस मामले में बेशक काटे गए पेड़ों की लकड़ी की लागत वसूल की होगी परन्तु पेड़ों के मूल्य का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता है. क्योंकि पेड़ न केवल ऑक्सीजन उत्पादक है बल्कि डी-कार्बोनाइजर भी हैं. कोर्ट ने कहा कि जो अधिकारी 100 साल की उम्र के पेड़ों के इस नुकसान के लिए जिम्मेदार हैं उन्हें दंडित करना होगा. पेड़ों की इस तरह की अवैध कटाई की भरपाई किसी भी तरीके से नहीं की जा सकती है. मामले पर अगली सुनवाई 27 मई को होगी.
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