शिमला: प्रोफेशनल मिसकंडक्ट के मामले पर कड़ा रुख अपनाते हुए प्रदेश उच्च न्यायालय ने मोहाली के वकील पर ढाई लाख रुपये की कॉस्ट लगाई. कोर्ट ने चार सप्ताह के भीतर प्रदेश हाई कोर्ट अधिवक्ता कल्याण कोष में कॉस्ट की राशि में से एक लाख रुपये जमा करवाने के आदेश जारी किए हैं. इन आदेशों की अनुपालना बारे स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के लिए मामले पर सुनवाई 18 दिसंबर 2020 को निर्धारित की गई है.
याचिका की जांच और सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि दुष्कर्म के आरोपी व याचिकाकर्ता विक्रम सिंह ने जमानत पाने और उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने के लिए जो याचिका दाखिल की उसमें उसे ऑस्ट्रेलिया का स्थायी निवासी दिखाया गया था.
याचिका के साथ लगे हलफनामे में उसके शपथपत्र को शिमला में 15 जुलाई 2020 को सत्यापित करवाया गया. उसी पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने मोहाली के वकील, शिमला के स्थाई वकील व शिमला के ओथ कमिश्नर को नोटिस जारी किया, जिसने हलफनामे को सत्यापित किया और इस मुद्दे पर उनकी प्रतिक्रियाएं मांगी.
मोहाली स्थित वकील ने बिना शर्त अपनी गलती स्वीकार की और अदालत के सामने माफी मांगी. एडवोकेट को फटकार लगाते हुए न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने मोहाली के वकील को इस प्रकरण का दोषी पाते हुए उसे पचास हजार ओथ कमिश्नर व एक लाख रुपये स्थानीय वकील को देने के आदेश दिए.
मोहाली के वकील ने न केवल स्थानीय वकील बल्कि ओथ कमिश्नर को भी धोखा दिया और उनके भविष्य को खतरे में डाला. कोर्ट ने वकील के कदाचार पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जब याचिकाकर्ता विक्रम सिंह इस अदालत के समक्ष याचिका दायर किए जाने के समय देश में नहीं था फिर भी विक्रम सिंह की ओर से हलफनामा दायर कर उसे शिमला में दिखाया गया. ऐसा कर उसने अदालत से अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए किया.