शिमला: हाईकोर्ट ने सिरमौर और सोलन जिलों के कोरोना संक्रमित मरीजों को दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल शिमला के लिए तब तक स्थानांतरित न करने का निर्देश जारी किए हैं, जब तक इन जिलों के अस्पतालों की क्षमता उक्त रोगियों को भर्ती करने से बाहर नहीं हो जाती.
हाईकोर्ट ने ऐसे रोगियों को उन्हीं स्थानों पर उनके इलाज के लिए प्राथमिकता देने के आदेश भी जारी किए. मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी और न्यायाधीश अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने यह आदेश इंद्रजीत सिंह द्वारा दायर एक याचिका पर दिए हैं, जिसमें राज्य सरकार के 16 जुलाई, 2020 के आदेश को चुनौती दी गई है.
सरकार के इस आदेश के तहत दीन दयाल उपाध्याय जोनल अस्पताल शिमला को शिमला और किन्नौर के जिलों के अलावा, सोलन और सिरमौर जिलों के लिए भी कोविड केयर अस्पताल घोषित किया गया है.
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि 15 मई को हुई एक बैठक में उपकरणों और कर्मचारियों का समग्र विश्लेषण किया गया था और इसमें स्वयं स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के दिशा निर्देशों के अनुसार अस्पताल की कमियों को पूरी तरह से सुसज्जित करने और स्थिति को संभालने के लिए प्रतिबिंबित किया था. इसके अलावा कर्मचारियों के जोखिम को कम करने के लिए एक रिमोट कंट्रोल मॉनिटरिंग सिस्टम स्थापित करने की आवश्यकता है.
याचिकाकर्ता के मुताबिक 12 पल्स ऑक्सीमीटर, 1 डिफाइब्रिलेटर, इलेक्ट्रिक सक्शन मशीनें, आईसीयू के लिए 1 और कोविड वार्ड के लिए 4, ऑक्सीजन मैनिफोल्ड, 10 ऑक्सीजन रेगुलेटर, 1 वीडियो लैरिंजो स्कोप, 12 सिरिंज इन्फ्यूजन पंप, स्क्रब स्टेशन, पोर्टेबल एक्स-रे और अल्फा बेड गद्दे भी आवश्यक हैं.
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से प्रार्थना करते हुए कहा था कि ऐसी स्थिति में जब डीडीयू पूरी तरह से सक्षम नहीं है, तो मरीजों को सोलन और सिरमौर से डीडीयू, शिमला में स्थानांतरित करना सार्वजनिक हित के लिए हानिकारक होगा.
बता दें कि सात अगस्त को मामले पर हुई सुनवाई के दौरान निदेशक स्वास्थ्य सेवा ने न्यायालय को बताया था कि प्रदेश में चौबीस वेंटिलेटर हैं और बुनियादी ढांचे को देखते हुए एक एनेस्थेटिस्ट सिर्फ छह वेंटिलेटर सम्भाल सकता है. हालांकि उन्होंने कोर्ट को यह बताया कि अब वेंटिलेटर को सम्भालने के लिए दो एनेस्थेटिस्ट काम कर रहे हैं.
वहीं, इस पूरे मामले को लेकर हाईकोर्ट ने कहा कि भले ही दो एनेस्थेटिस्ट उपलब्ध हैं, 12 वेंटिलेटर के लिए अभी भी एनेस्थेटिस्ट नहीं हैं. इसलिए, जब डीडीयू में बुनियादी ढांचा ही अधूरा है, तो सरकार का सिरमौर और सोलन से मरीजों को स्थानांतरित करने का यह आदेश सही नहीं है. वहीं, मामले को 17 अगस्त 2020 को सुनवाई के लिए निर्धारित किया गया है.