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लाखों रुपए का गबन करने के बावजूद दोषी को न्यूनतम सजा, हाईकोर्ट ने कृषि निदेशालय से मांगा स्पष्टीकरण - प्रदेश हाईकोर्ट

लाखों रुपए का गबन करने के बावजूद दोषी को न्यूनतम सजा दिए जाने पर प्रदेश हाईकोर्ट ने कृषि निदेशालय से स्पष्टीकरण मांगा है. दोषी ने बिक्री से होने वाली आय के 26,69,447 रुपये का गबन करने के बाद अपने वरिष्ठ अधिकारियों के बार-बार निर्देश के बावजूद भी इस राशि को सरकारी कोषागार में जमा नहीं करवाया. फिर भी कृषि निदेशक ने याचिकाकर्ता पर बड़ा जुर्माना लगाने के बजाय केवल परीनिंदा यानी सेंसुअर जैसी मामूली सजा दी.

State High Court asks for clarification
फोटो.
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Published : Apr 6, 2021, 9:36 PM IST

शिमलाः लाखों रुपए का गबन करने के बावजूद दोषी को न्यूनतम सजा दिए जाने पर प्रदेश हाईकोर्ट ने कृषि निदेशालय से स्पष्टीकरण मांगा है. हिमाचल हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने याचिका की सुनवाई के दौरान कृषि निदेशालय को स्पष्टीकरण देने के लिए कहा. अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड से पता चलता है कि निदेशालय इस मामले में स्पष्ट निष्कर्ष पर पहुंचा था कि याचिकाकर्ता ने एक बड़ी राशि का गबन किया.

बड़ा जुर्माना लगाने के बजाय मामूली सजा

दोषी ने बिक्री से होने वाली आय के 26,69,447/- रुपये का गबन करने के बाद अपने वरिष्ठ अधिकारियों के बार-बार निर्देश के बावजूद भी इस राशि को सरकारी कोषागार में जमा नहीं करवाया. फिर भी कृषि निदेशक ने याचिकाकर्ता पर बड़ा जुर्माना लगाने के बजाय केवल परीनिंदा यानी सेंसुअर जैसी मामूली सजा दी.

18 मई को होगी मामले पर आगामी सुनवाई

खण्डपीठ ने कहा कि कोर्ट यह समझने में असफल रही है कि विशेष रूप से सिद्ध कदाचार या गबन के मामले में परीनिंदा का आदेश पारित करने के लिए कृषि निदेशक की शक्ति या प्राधिकार का क्या स्त्रोत था. न्यायालय ने कृषि निदेशक को सुनवाई की अगली तारीख पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने आदेश दिए. हालांकि खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि कोर्ट ने इस मामले की खूबियों पर कोई राय व्यक्त नहीं की है और केवल रिकॉर्ड के आधार पर इस आदेश को पारित किया गया है. मामले पर आगामी सुनवाई 18 मई को होगी.

पढ़ें: सरकारी भूमि से नहीं हटाए जाएंगे ढारे बनाकर रहने वाले, हाईकोर्ट का आदेश

शिमलाः लाखों रुपए का गबन करने के बावजूद दोषी को न्यूनतम सजा दिए जाने पर प्रदेश हाईकोर्ट ने कृषि निदेशालय से स्पष्टीकरण मांगा है. हिमाचल हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने याचिका की सुनवाई के दौरान कृषि निदेशालय को स्पष्टीकरण देने के लिए कहा. अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड से पता चलता है कि निदेशालय इस मामले में स्पष्ट निष्कर्ष पर पहुंचा था कि याचिकाकर्ता ने एक बड़ी राशि का गबन किया.

बड़ा जुर्माना लगाने के बजाय मामूली सजा

दोषी ने बिक्री से होने वाली आय के 26,69,447/- रुपये का गबन करने के बाद अपने वरिष्ठ अधिकारियों के बार-बार निर्देश के बावजूद भी इस राशि को सरकारी कोषागार में जमा नहीं करवाया. फिर भी कृषि निदेशक ने याचिकाकर्ता पर बड़ा जुर्माना लगाने के बजाय केवल परीनिंदा यानी सेंसुअर जैसी मामूली सजा दी.

18 मई को होगी मामले पर आगामी सुनवाई

खण्डपीठ ने कहा कि कोर्ट यह समझने में असफल रही है कि विशेष रूप से सिद्ध कदाचार या गबन के मामले में परीनिंदा का आदेश पारित करने के लिए कृषि निदेशक की शक्ति या प्राधिकार का क्या स्त्रोत था. न्यायालय ने कृषि निदेशक को सुनवाई की अगली तारीख पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने आदेश दिए. हालांकि खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि कोर्ट ने इस मामले की खूबियों पर कोई राय व्यक्त नहीं की है और केवल रिकॉर्ड के आधार पर इस आदेश को पारित किया गया है. मामले पर आगामी सुनवाई 18 मई को होगी.

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