शिमलाः न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर ने अर्की निवासी पवन ठाकुर की ओर से दायर याचिका की सुनवाई के दौरान ये आदेश पारित किए हैं. राजीव बिंदल और अन्य पर आरोप हैं कि 30 अप्रैल, 1998 को नगर परिषद सोलन में विभिन्न पद भरने के लिए चयन कमेटी बनी. इस कमेटी के राजीव बिंदल अध्यक्ष थे.
अन्य सदस्यों में पार्षद देवेंद्र ठाकुर और हेमराज गोयल शामिल थे. एक अन्य सदस्य सुभाष चंद कलसोत्रा अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी सोलन थे, उनके पास कार्यकारी अधिकारी नप सोलन का कार्यभार भी था.
3 जून 2000 को एक ओर चयन कमेटी का गठन किया गया, जिसकी अध्यक्षता सोलन नप प्रधान जंगी लाल ने की. इसमें पुरुषोत्तम दास चौधरी कार्यकारी अधिकारी, ललित मोहन नप अध्यक्ष और कर्म सिंह निजी सहायक चयन कमेटी के सदस्य बनाए गए थे.
बता दें कि दोनों ही कमेटियों के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने सरकार की अनुमति और हिमाचल नगर सेवा अधिनियम 1994 के उल्ट इंटरव्यू लेकर फर्जी दस्तावेज तैयार किए और अयोग्य उम्मीदवारों को नौकरियां दीं. 7 जून 2003 को तत्कालीन मुख्यमंत्री के ध्यान में मामला आया और एसपी सतर्कता साउथ जोन शिमला का जांच के लिए मामला सौंपा गया.
इसके बाद पुलिस उपाधीक्षक राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने जांच रिपोर्ट सौंपी और 2 दिसंबर 2016 को सरकार और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो सोलन के समक्ष सभी आरोपियों के खिलाफ धारा 420, 468, 471, 120 बी और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13 (1) डी व 13 (2) में मामला दर्ज किया गया. इसकी अंतिम रिपोर्ट 17 जुलाई, 2013 को कोर्ट में रखी गई.
अभियोजन पक्ष की ओर से 7 सितंबर 2018 को राजीव बिंदल और अन्यों पर दर्ज मामला वापस लेने के लिए विशेष जज सोलन के समक्ष आवेदन किया गया. स्पेशल जज सोलन ने 24 जनवरी, 2019 को अभियोजन पक्ष की ओर से दायर आवेदन स्वीकार करने के बाद मामला वापस लेने की अनुमति दी. 24 जनवरी 2019 को पारित इस फैसले को हाईकोर्ट के समक्ष याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई.