शिमला: हिमाचल प्रदेश में अचानक से कोरोना का प्रकोप बढ़ने पर हाईकोर्ट ने चिंता जताई है. न्यायालय ने राज्य सरकार को कोविड के खिलाफ सक्रियता से काम करने के लिए कई आदेश जारी किए हैं. न्यायालय ने राज्य सरकार पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि यदि समय पर उचित कदम उठाए जाते तो स्थिति इस कदर गंभीर नहीं होती.
अदालत ने अपनी टिप्पणी में अंग्रेजी की कहावत का उद्धरण दिया और कहा- ए स्टिच इन टाइम सेव्स नाइन. उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि इस कहावत का ख्याल किया होता तो स्थिति ऐसी न होती. न्यायमूर्ति तरलोक चौहान व ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने कोविड-19 को लेकर राज्य सरकार को कई निर्देश दिए.
अदालत ने सरकार को ये तय करने को कहा है कि केंद्र सरकार के निर्देश के अनुरूप सीनियर डॉक्टर्स कोविड वार्ड का नियमित दौरा करें. सरकार को इस बात पर विचार करने को कहा गया है कि क्या बाहर से आने वालों का कोविड टेस्ट किया जाना चाहिए?
अदालत ने आदेश दिया कि राज्य में प्रवेश करने वाले सभी बाहरी लोगों के टेस्ट लाजमी बनाए जाने पर विचार किया जाए. राज्य सरकार को लिक्विड ऑक्सीजन की उपलब्धता से संबंधित फैसले लेने को कहा गया है. खंडपीठ ने आउटसोर्स आधार पर तैनात किए जाने वाले कर्मियों को 5 दिसंबर तक नियुक्ति प्रदान करने के आदेश दिए.
48 घंटे में मिले कोविड सैंपल की रिपोर्ट
निजी व सरकारी लैब से कोविड टेस्ट करवाने को कहा गया है. सैंपल लेने वाली एजेंसी को आदेश जारी किए गए हैं कि टेस्ट करवाने वालों का संपर्क नंबर, ईमेल आईडी व अन्य जरूरी जानकारी ली जाए, ताकि रिपोर्ट के बारे में बताया जा सके. साथ ही सख्त ताकीद की गई कि रिपोर्ट 48 घंटों के भीतर दी जाए.
हाईकोर्ट ने शिमला, मंडी, धर्मशाला, कुल्लू, सोलन, ऊना, हमीरपुर व बिलासपुर जिलों में कोविड सैंपल लेने व टेस्ट आदि के बारे में मीडिया, सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से जानकारी देने को कहा है. न्यायालय ने कोविड-19 अस्पतालों में हेल्पलाइन सुविधा को भी सुनिश्चित करने के आदेश जारी किए हैं. जो मरीज अपने खर्चे पर नर्स रखना चाहे, उन्हें इसकी अनुमति दी जाए ताकि हॉस्पिटल स्टाफ का भार कम हो सके.
वार्ड में न लपेटा जाए शव
अदालत की तरफ से जारी कई आदेशों में से एक के तहत ये कहा गया है कि कोविड मरीज के शव को किसी भी स्थिति में वार्ड में न लपेटा जाए. उसके शव को तुरंत वार्ड के बाहर किया जाए. इसके साथ ही सभी शौचालय साफ रखे जाएं. अगर मरीजों को शौचालय की संबंधी कोई शिकायत है तो वह हेल्पलाइन नंबर पर सूचना दे सकते हैं.
न्यायालय ने गरम पानी व स्ट्रीमर उपलब्ध करवाने को कहा. मास्क पहनने, समाजिक दूरी बनाए रखने के नियमों की पालना सुनिश्चित की जाए. न केवल स्थानीय पुलिस बल्कि नगर निगम, गृह विभाग के कर्मियों व वॉलेंटियर को भी इसके लिए तैनात किया जाए. किसी भी परिवार को कोविड-19 से ग्रसित होने के कारण समाज से बाहर नही किया जाएगा.
बिना कार्यकारी मजिस्ट्रेट की अनुमति नहीं होगी कोई जनसभा
कार्यकारी मजिस्ट्रेट की इजाजत के बिना जनसभा आयोजित नहीं की जा सकेगी. इस तरह की इजाजत के बाद स्थानीय पुलिस थाना को यह सुनिश्चित करना होगा कि जनसभा में निर्धारित लोगों से अधिक संख्या न हो. पंचायतों तथा स्थानीय निकायों को यह तय करने को कहा गया है कि मास्क पहनने व सामाजिक दूरी बनाई जाए.
जो लोग जरूरी सामान की डिलीवरी के लिए तैनात किए गए हैं उनका टेस्ट प्राथमिकता के आधार पर किया जाए. न्यायालय ने आउटसोर्स के आधार पर कोविड की सेवाओं में तैनात किए तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मियों को अतिरिक्त भत्ता प्रदान करने के निर्देश जारी किए हैं.
अदालत ने कहा कि जो लोग घर से ही अपना इलाज ले रहे हैं, उनसे डेडिकेटिड मेडिकल पर्सनल दिन में दो बार संपर्क करें. घर से ही इलाज ले रहे लोगों को सरकार अच्छी गुणवत्ता वाली मेडिसिन किट उपलब्ध करवाये. न्यायालय ने सरकारी कर्मियों के लिए शिफ्ट अनुसार कार्यालय आने का समय सुबह साढ़े नौ से दस बजे और शाम को जाने का समय साढ़े चार से पांच बजे करने के लिए कहा है. इससे बसों में भीड़ को कम किया जा सकेगा.
अतिरिक्त पुलिस बल तैनात करने के आदेश
न्यायालय ने पुलिस महानिदेशक को यह आदेश जारी किए हैं कि वे अतिरिक्त पुलिस बल को तैनात करें. अदालत ने कहा कि वे कर्मचारी धरना, हड़ताल नहीं कर सकते, जो कोविड से निपटने में अहम हैं. जैसे एंबुलेंस सेवाएं देने वाले. अगर किसी भी व्यक्ति को किसी भी तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है तो उसे यह स्वतंत्रता होगी कि वह हाईकोर्ट के समक्ष अपनी समस्या को रखें.
अगर फिर भी व्यक्ति इस तरह की गतिविधियों में शामिल होगा तो उसके खिलाफ न्यायालय के आदेशो की अवमानना की कार्यवाही चलाई जाएगी. हाईकोर्ट ने वेंटिलेटर व अन्य उपकरणों से लैस होने के बाबजूद बेकार पड़ी छह एंबुलेंस को फंक्शनल करने को कहा है.
कोविड सेवा में तैनात किए गए कर्मियों की डाइट व आराम का विशेष ध्यान रखने के भी आदेश जारी किए हैं. अगर जरूरी हो तो एनजीओ व चैरिटेबल इंस्टिट्यूशन से भी सहायता लेने के निर्देश जारी किए हैं. इन सारे बिंदुओं पर हाईकोर्ट ने स्टेट्स रिपोर्ट तैयार करने को कहा है. मामले में अगली सुनवाई दस दिसंबर को होगी.