रामपुर: हिमाचल प्रदेश को सेब उत्पादन का प्रमुख राज्य माना जाता है. इसमें कुछ लोगों की अहम भूमिका है, जिसमें सत्यानंद स्टोक्स और हरिचंद रोच का नाम सबसे पहले आता हैं. सत्यानंद स्टोक्स ने हिमाचल में सबसे पहले सेब का पौधा लाया था और हरिचंद रोच हिमाचल में रूट स्टॉक सेब को लाने के लिए जाने जाते हैं.
हिमाचल में रूट स्टॉक का पहला पौधा
रूट स्टॉक एक विदेशी सेब की वैरायटी है. हिमाचल में हरिचंद रोच ने सबसे पहले विदेशी किस्म के रूट स्टॉक पौधे को अमेरिका से आयात किया था. रूट स्टॉक सेब की एक इटालियन वैरायटी है. उन्होंने एमएम 111, एमएम 106, एएमला सीरीज का रूट स्टॉक का पौधा आयात किया था.
अमेरिका से लाया था रूट स्टॉक का पौधा
हरिचंद रोच कोटगढ़ क्षेत्र के सरोगा गांव के रहने वाले हैं. यह स्थान कोटगढ़ के थानेदार से कुछ ही दूरी पर स्थित है. जहां सत्यानंद स्टोक्स ने सबसे पहले अमेरिका के लुसियाना से सेब के पौधे लाकर हिमाचल प्रदेश में सेब का बगीचा तैयार किया था. हरिचंद रोच भी कोटगढ़ के ऐसे ही शख्स हैं, जिन्होंने हिमाचल में रूट स्टॉक सेब का विस्तार किया है. हरिचंद रोच के बाद ही हिमाचल प्रदेश के उद्यान विभाग ने रूट स्टॉक को हिमाचल में विदेशों से आयात करना शुरू किया है.
3 वैरायटी पर अभी काम कर रहे हैं रोच
हरिचंद रोच ने ईटीवी भारत से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि आज भी उनके पास कोटगढ़ में अमेरिका से लाए गए रूट स्टॉक सेब के मदर प्लांट मौजूद है, लेकिन इन पौधे के सेब वह सिर्फ अपने लिए ही तैयार करते हैं. रोच ने बताया कि विदेश से मंगवाए रूट स्टॉक के पौधों को हिमाचल में लगाने के बाद कुछ पौधे पर काफी अच्छे सेब लगे और कुछ रूट स्टॉक यहां नहीं चल पाए. हरिचंद रोच ने बताया कि वह अभी 3 पौधों पर काम कर रहे हैं, जिनमें गेल गाला, फूजी व ऐस स्पर मौजूद है.
नई स्पर वैरायटी पर काम करें बागवान
हरिचंद रोच ने बताया कि बागवानों को नई स्पर वैरायटी की ओर अपना रुख करना चाहिए. उन्होंने बताया कि पेड़ों पर काम करना आसान होता है. वहीं, उनमें क्वालिटी की फसल आना शुरू हो जाती है, जिसके बागवानों को मंडियों में बेहतर दाम मिल सकते हैं. रोच ने बताया कि आज बागवानों को अपनी आर्थिकी को मजबूत करने के लिए नई वैरायटी के सेब उगाना बहुत जरूरी है. इस दौरान उन्होंने सेब के पौधे को लगाने के तरीकों के बारे में भी जानकारी दी.
कुल 80 सेब रोगों की विश्व में हुई खोज
हरिचंद रोच ने बताया कि सेब की फसल को विभिन्न तरह के रोग लग जाते हैं. इनमें फंगस सबसे आम रोग है और सेब की फसल को फंगस लगना इन्वायरमेंटपर पर निर्भर करता हैं, लेकिन फसल की देखरेख करने और लगातार स्प्रे करने से खत्म हो सकते हैं. अभी तक पूरे विश्व में सेब को लगने वाले 80 के करीब रोगों की खोज की जा चुकी है. बता दें कि 84 साल के हरिचंद रोच आज भी बागवानी के क्षेत्र में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं.
रोच के पास जानकारी लेने पहुंचते है बागवान
हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों से लोग बागवानी के गुण सिखने और जानकारी प्राप्त करने के लिए हरिचंद रोच के पास आते हैं. रोच इनसे रूट स्टॉक को अमेरिका से लाने से लेकर उनकी देखभाल करने के सारे अनुभव सांझा करते हैं. रूट स्टॉक लोगों को भविष्य में सेब की फसल पर नए तरीकों से काम करने की जानकारी भी देते हैं.
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