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ई-मेल हैक कर ठगी कर रहे शातिर, ऐसे कर सकते हैं बचाव

हिमाचल पुलिस के IG अतुल फुलझेले ने बताया कि ऐसे अटैचमेंट वाले स्पैम मेल के जरिए मैलवेयर एंबेड किए जाते हैं. एक बार जब ई-मेल खुल जाता है और अटैचमेंट सक्रिय हो जाता है, तो मैलवेयर डिवाइस पर सावधानी से डाउनलोड कर इंस्टॉल हो जाता है. आईजी अतुल ने बताया कि व्हाट्सएप संदेश या नियमित एसएमएस पर आने वाले आकर्षक लिंक पर क्लिक न करें. उन्होंने कहा कि ऐसे लिंक के जरिए शातिर उपभोक्ता को ठग लेते हैं.

Vicious cheating by hacking e-mails in Shimla
Vicious cheating by hacking e-mails in Shimla
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Published : Jun 6, 2021, 5:44 PM IST

Updated : Jun 6, 2021, 5:56 PM IST

शिमलाः आए दिनों ई-मेल अकाउंट को हैक करने के मामले सामने आ रहे हैं. हैकर विभिन्न उपकरणों का उपयोग कर पीड़ित का ई-मेल हैक कर रहे हैं. शातिर ई-मेल के वास्तविक ई-मेल खातों से कथित रूप से फिशिंग ई-मेल भेज रहे हैं. इसमें उपभोक्ता का सिस्टम अपडेट, डाटा हानि, प्रौद्योगिकी उन्नयन, नियामक अनुपालन जैसे बहानों के जरिए पीड़ित को पासवर्ड और अन्य का जरूरी क्रैडेंशियल अपडेट करने के लिए एक पृष्ठ पर जाने के लिए प्रेरित किया जाता है. इस लिंक के जरिए उपभोक्ता नकली पेज पर चला जाता है. इस नकली पृष्ठ पर जाते ही उपभोक्ता की लॉगइन आईडी और पासवर्ड ठग चोरी कर लेते हैं.

हिमाचल पुलिस के IG अतुल फुलझेले से जानिए फॉड कैसे करते हैं ठगी की कोशिश

हिमाचल पुलिस के IG अतुल फुलझेले ने जानकारी देते हुए बताया कि ऐसे अटैचमेंट वाले स्पैम मेल के जरिए मैलवेयर एंबेड किए जाते हैं. एक बार जब ई-मेल खुल जाता है और अटैचमेंट सक्रिय हो जाता है, तो मैलवेयर डिवाइस पर सावधानी से डाउनलोड कर इंस्टॉल हो जाता है. मैलवेयर एक की-लोगर हो सकता है, जो देख धोखेबाजों को सभी की-बोर्ड टाइप कैप्चर करता है और भेजता है. इसमें खाते के पासवर्ड भी शामिल होते हैं. अन्य संभावित मैलवेयर हो सकते हैं, जो स्क्रीनशॉट कैप्चर करते हैं या सेव किए गए पासवर्ड को पढ़ और प्रसारित कर सकते हैं.

ऐसे ठगी करते हैं शातिर

कारक प्रमाणीकरण वाले ई-मेल खातों को भी हैक किया जा सकता है. जब उपयोगकर्ता सोशल इंजीनियरिंग टूल द्वारा धोखेबाजों के साथ ओटीपी साझा करते हैं. उन्होंने बताया कि एक बार ई-मेल अकाउंट हैक हो जाने के बाद अपराधी सभी संपर्कों को एसओएस मेल भेजकर आपात स्थिति में पैसे की मांग करते हैं. इसके अलावा मित्रों और रिश्तेदारों को आपत्तिजनक संदेश भेज कर फिरौती भी मांगी जाती है. ई-मेल को हैक कर शातिरों की ओर से ऑनलाइन खातों, नेट बैंकिंग और सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए भी ठगी करने की कोशिश की जाती है.

ऐसे करें बचाव

शातिरों से बचने के लिए डबल वेरिफिकेशन एक सशक्त माध्यम है. डबल वेरिफिकेशन के लिए उपयोगकर्ता को अपना नाम और पासवर्ड दर्ज करने के बाद अपने खाते तक पहुंचने के लिए एक संदेश या किसी अन्य सेवा में भेजा गया कोड दर्ज करना होता है. इससे शातिरों के लिए उपभोक्ता की जानकारी तक पहुंचना कठिन हो जाता है. इसके अलावा उपभोक्ता के लिए जरूरी है कि अज्ञात व्यक्ति और स्पैम ई-मेल को न खोलें. स्पैम ई-मेल पर क्लिक करने से ठगी की संभावनाएं बढ़ जाती हैं.

आईजी अतुल ने बताया कि व्हाट्सएप संदेश या नियमित एसएमएस पर आने वाले आकर्षक लिंक पर क्लिक न करें. उन्होंने कहा कि ऐसे लिंक के जरिए शातिर उपभोक्ता को ठग लेते हैं. इसके अलावा उन्होंने उपाय सुझाया कि ई-मेल पासवर्ड को लंबा और कठिन रखें, ताकि किसी के लिए भी पासवर्ड क्रैक करना मुश्किल हो. साथ ही अपने मोबाइल या डिवाइस पर पासवर्ड को शेयर न करें. प्रत्येक 2 से 4 महीने में पासवर्ड बदल बदलने से भी ठगी का खतरा कम हो जाता है.

ऐसे करें शिकायत

यदि किसी के साथ का ई-मेल हैक होता है, तो पीड़ित शिकायत के पूर्ण हैडर के साथ कथित मेल का प्रिंट आउट लेने के साथ दस्तावेजी साक्ष्य जैसे स्क्रीनशॉट और बैंक लेनदेन विवरण को नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाकर शिकायत दर्ज करवा सकता है. सभी दस्तावेजों की एक सॉफ्ट फॉर्म में सेव करने के साथ एक सीडीआर पर पुलिस थाने में जांच अधिकारी को उपलब्ध करवाई जा सकती है.

ये भी पढ़ें- हिमाचल में सियासी हलचल तेज, क्या बदले जाएंगे दोनों दलों के कप्तान?

शिमलाः आए दिनों ई-मेल अकाउंट को हैक करने के मामले सामने आ रहे हैं. हैकर विभिन्न उपकरणों का उपयोग कर पीड़ित का ई-मेल हैक कर रहे हैं. शातिर ई-मेल के वास्तविक ई-मेल खातों से कथित रूप से फिशिंग ई-मेल भेज रहे हैं. इसमें उपभोक्ता का सिस्टम अपडेट, डाटा हानि, प्रौद्योगिकी उन्नयन, नियामक अनुपालन जैसे बहानों के जरिए पीड़ित को पासवर्ड और अन्य का जरूरी क्रैडेंशियल अपडेट करने के लिए एक पृष्ठ पर जाने के लिए प्रेरित किया जाता है. इस लिंक के जरिए उपभोक्ता नकली पेज पर चला जाता है. इस नकली पृष्ठ पर जाते ही उपभोक्ता की लॉगइन आईडी और पासवर्ड ठग चोरी कर लेते हैं.

हिमाचल पुलिस के IG अतुल फुलझेले से जानिए फॉड कैसे करते हैं ठगी की कोशिश

हिमाचल पुलिस के IG अतुल फुलझेले ने जानकारी देते हुए बताया कि ऐसे अटैचमेंट वाले स्पैम मेल के जरिए मैलवेयर एंबेड किए जाते हैं. एक बार जब ई-मेल खुल जाता है और अटैचमेंट सक्रिय हो जाता है, तो मैलवेयर डिवाइस पर सावधानी से डाउनलोड कर इंस्टॉल हो जाता है. मैलवेयर एक की-लोगर हो सकता है, जो देख धोखेबाजों को सभी की-बोर्ड टाइप कैप्चर करता है और भेजता है. इसमें खाते के पासवर्ड भी शामिल होते हैं. अन्य संभावित मैलवेयर हो सकते हैं, जो स्क्रीनशॉट कैप्चर करते हैं या सेव किए गए पासवर्ड को पढ़ और प्रसारित कर सकते हैं.

ऐसे ठगी करते हैं शातिर

कारक प्रमाणीकरण वाले ई-मेल खातों को भी हैक किया जा सकता है. जब उपयोगकर्ता सोशल इंजीनियरिंग टूल द्वारा धोखेबाजों के साथ ओटीपी साझा करते हैं. उन्होंने बताया कि एक बार ई-मेल अकाउंट हैक हो जाने के बाद अपराधी सभी संपर्कों को एसओएस मेल भेजकर आपात स्थिति में पैसे की मांग करते हैं. इसके अलावा मित्रों और रिश्तेदारों को आपत्तिजनक संदेश भेज कर फिरौती भी मांगी जाती है. ई-मेल को हैक कर शातिरों की ओर से ऑनलाइन खातों, नेट बैंकिंग और सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए भी ठगी करने की कोशिश की जाती है.

ऐसे करें बचाव

शातिरों से बचने के लिए डबल वेरिफिकेशन एक सशक्त माध्यम है. डबल वेरिफिकेशन के लिए उपयोगकर्ता को अपना नाम और पासवर्ड दर्ज करने के बाद अपने खाते तक पहुंचने के लिए एक संदेश या किसी अन्य सेवा में भेजा गया कोड दर्ज करना होता है. इससे शातिरों के लिए उपभोक्ता की जानकारी तक पहुंचना कठिन हो जाता है. इसके अलावा उपभोक्ता के लिए जरूरी है कि अज्ञात व्यक्ति और स्पैम ई-मेल को न खोलें. स्पैम ई-मेल पर क्लिक करने से ठगी की संभावनाएं बढ़ जाती हैं.

आईजी अतुल ने बताया कि व्हाट्सएप संदेश या नियमित एसएमएस पर आने वाले आकर्षक लिंक पर क्लिक न करें. उन्होंने कहा कि ऐसे लिंक के जरिए शातिर उपभोक्ता को ठग लेते हैं. इसके अलावा उन्होंने उपाय सुझाया कि ई-मेल पासवर्ड को लंबा और कठिन रखें, ताकि किसी के लिए भी पासवर्ड क्रैक करना मुश्किल हो. साथ ही अपने मोबाइल या डिवाइस पर पासवर्ड को शेयर न करें. प्रत्येक 2 से 4 महीने में पासवर्ड बदल बदलने से भी ठगी का खतरा कम हो जाता है.

ऐसे करें शिकायत

यदि किसी के साथ का ई-मेल हैक होता है, तो पीड़ित शिकायत के पूर्ण हैडर के साथ कथित मेल का प्रिंट आउट लेने के साथ दस्तावेजी साक्ष्य जैसे स्क्रीनशॉट और बैंक लेनदेन विवरण को नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाकर शिकायत दर्ज करवा सकता है. सभी दस्तावेजों की एक सॉफ्ट फॉर्म में सेव करने के साथ एक सीडीआर पर पुलिस थाने में जांच अधिकारी को उपलब्ध करवाई जा सकती है.

ये भी पढ़ें- हिमाचल में सियासी हलचल तेज, क्या बदले जाएंगे दोनों दलों के कप्तान?

Last Updated : Jun 6, 2021, 5:56 PM IST
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