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देश को आलू की नई किस्में देने वाले केंद्रीय आलू अनुसंधान केंद्र ने मनाया 71वां स्थापना दिवस, राज्यपाल ने नवाजे वैज्ञानिक - कलराज मिश्र

इस अवसर पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा की केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला में देशभर से आलू उत्पादक वैज्ञानिक काम कर रहे हैं. यह सभी आलू की किस्मों को विकसित करने में सराहनीय कार्य कर रहे हैं. राज्यपाल कलराज मिश्र ने आलू पर गहन वैज्ञानिक शोध पर जोर दिया है ताकि अधिक से अधिक किसानों को आलू की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके और इसकी खेती किसानों की आजीविका का मुख्य साधन बन सके.

Potato Research Center shimla
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Published : Aug 22, 2019, 10:35 PM IST

शिमला: देश को आलू की अगल-अलग किस्में देने वाले केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला की स्थापना के 71 वर्ष हो गए हैं. इस अवसर पर संस्थान में 71वां स्थापना दिवस मनाया गया. स्थापना कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र मुख्यातिथि के रूप में शामिल.


इस अवसर पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा की केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला में देशभर से आलू उत्पादक वैज्ञानिक काम कर रहे हैं. यह सभी आलू की किस्मों को विकसित करने में सराहनीय कार्य कर रहे हैं. राज्यपाल कलराज मिश्र ने आलू पर गहन वैज्ञानिक शोध पर जोर दिया है ताकि अधिक से अधिक किसानों को आलू की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके और इसकी खेती किसानों की आजीविका का मुख्य साधन बन सके.

राज्यपाल कलराज मिश्र


राज्यपाल ने वैज्ञानिकों को बीमारी रहित आलू की कुफरी हिमालयनी, कुफरी गिरधारी और कुफरी करण जैसी किस्में व पर्यावरण मित्र विधि और कीटरोधक विधि जैसी तकनीकों को विकसित करने के लिए बधाई दी. उन्होंने कहा कि संस्थान लाभ देने वाली किस्मों के संरक्षण के लिए सराहनीय प्रयास कर रहा है और 20 पेटेंट हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ा है. उन्होंने चीन के बाद भारत आलू उत्पादन में विश्व में दूसरे स्थान पर है जिसमें सीपीआरआई के शोध कार्य व आधुनिक तकनीकों के विकास की प्रमुख भूमिका है.


कलराज मिश्र ने कहा कि वर्ष 1995 और 2012 को इस संस्थान को भारत सरकार के कृषि अनुसंधान परिषद से सर्वश्रेष्ठ संस्थान का अवॉर्ड मिल चुका है, जो कि इसकी उपलब्धियों को दर्शाता है और इसके लिए संस्थान के सभी वैज्ञानिक और कर्मचारी बधाई के पात्र है.

राज्यपाल ने प्रदेश में आलू के घटते हुए उत्पाद पर चिंता जताते हुए वैज्ञानियों से शोध के माध्यम से इसका समाधान खोजने का आह्वान किया. उन्होंने आशा व्यक्त की कि संस्थान इन सभी चुनौतियों से निपटने में सफल होगा. उन्होंने कहा कि आलू उत्पादन को किसानों की आय का मुख्य साधन बनाने पर कार्य होना चाहिए, जिसमें विज्ञानी अपने शोध कार्य से महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. इससे भारत आलू उत्पादन में चीन से आगे बढ़ने में सफल हो सकता है. उन्होंने किसानों के लिए बेहतर परिस्थितियां तैयार करने पर बल दिया ताकि वे पूरे विश्वास के साथ अपने खेतों से जुड़ सकें और अपने उत्पाद से छोटे-छोटे व्यवसाय जैसे चिप्स उत्पादन इत्यादि को अपना सकें जिससे 'स्टार्ट-अप' अभियान को भी संबल मिलेगा.


स्थापना दिवस के इस आयोजन के दौरान राज्यपाल ने सराहनीय कार्य करने के लिए विभाग के वैज्ञानिकों और कर्मचारियों को सम्मानित भी किया. इस अवसर पर शिमला संसदीय क्षेत्र से भाजपा के सांसद सुरेश कश्यप भी उपस्थित रहे. कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दी गई.

शिमला: देश को आलू की अगल-अलग किस्में देने वाले केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला की स्थापना के 71 वर्ष हो गए हैं. इस अवसर पर संस्थान में 71वां स्थापना दिवस मनाया गया. स्थापना कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र मुख्यातिथि के रूप में शामिल.


इस अवसर पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा की केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला में देशभर से आलू उत्पादक वैज्ञानिक काम कर रहे हैं. यह सभी आलू की किस्मों को विकसित करने में सराहनीय कार्य कर रहे हैं. राज्यपाल कलराज मिश्र ने आलू पर गहन वैज्ञानिक शोध पर जोर दिया है ताकि अधिक से अधिक किसानों को आलू की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके और इसकी खेती किसानों की आजीविका का मुख्य साधन बन सके.

राज्यपाल कलराज मिश्र


राज्यपाल ने वैज्ञानिकों को बीमारी रहित आलू की कुफरी हिमालयनी, कुफरी गिरधारी और कुफरी करण जैसी किस्में व पर्यावरण मित्र विधि और कीटरोधक विधि जैसी तकनीकों को विकसित करने के लिए बधाई दी. उन्होंने कहा कि संस्थान लाभ देने वाली किस्मों के संरक्षण के लिए सराहनीय प्रयास कर रहा है और 20 पेटेंट हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ा है. उन्होंने चीन के बाद भारत आलू उत्पादन में विश्व में दूसरे स्थान पर है जिसमें सीपीआरआई के शोध कार्य व आधुनिक तकनीकों के विकास की प्रमुख भूमिका है.


कलराज मिश्र ने कहा कि वर्ष 1995 और 2012 को इस संस्थान को भारत सरकार के कृषि अनुसंधान परिषद से सर्वश्रेष्ठ संस्थान का अवॉर्ड मिल चुका है, जो कि इसकी उपलब्धियों को दर्शाता है और इसके लिए संस्थान के सभी वैज्ञानिक और कर्मचारी बधाई के पात्र है.

राज्यपाल ने प्रदेश में आलू के घटते हुए उत्पाद पर चिंता जताते हुए वैज्ञानियों से शोध के माध्यम से इसका समाधान खोजने का आह्वान किया. उन्होंने आशा व्यक्त की कि संस्थान इन सभी चुनौतियों से निपटने में सफल होगा. उन्होंने कहा कि आलू उत्पादन को किसानों की आय का मुख्य साधन बनाने पर कार्य होना चाहिए, जिसमें विज्ञानी अपने शोध कार्य से महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. इससे भारत आलू उत्पादन में चीन से आगे बढ़ने में सफल हो सकता है. उन्होंने किसानों के लिए बेहतर परिस्थितियां तैयार करने पर बल दिया ताकि वे पूरे विश्वास के साथ अपने खेतों से जुड़ सकें और अपने उत्पाद से छोटे-छोटे व्यवसाय जैसे चिप्स उत्पादन इत्यादि को अपना सकें जिससे 'स्टार्ट-अप' अभियान को भी संबल मिलेगा.


स्थापना दिवस के इस आयोजन के दौरान राज्यपाल ने सराहनीय कार्य करने के लिए विभाग के वैज्ञानिकों और कर्मचारियों को सम्मानित भी किया. इस अवसर पर शिमला संसदीय क्षेत्र से भाजपा के सांसद सुरेश कश्यप भी उपस्थित रहे. कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दी गई.

Intro:देश को आलू की अगल-अलग किस्में देने वाले केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला की स्थापना के 71 वर्ष हो गए है। इस अवसर पर संस्थान में 71वा स्थापना दिवस मनाया गया। स्थापना कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र मुख्यातिथि के रूप में पधारे। इस अवसर पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा की केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला में देश भर से आलू उत्पादक वैज्ञानिक काम कर रहे है। यह सभी आलू की किस्मों को विकसित करने में सराहनीय कार्य कर रहे है। राज्यपाल कलराज मिश्र ने आलू पर गहन वैज्ञानिक शोध पर जोर दिया है ताकि अधिक से अधिक किसानों को आलू की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके और इसकी खेती किसानों की आजीविका का मुख्य साधन बन सके।

Body:उन्होंने वैज्ञानिकों को बीमारी रहित आलू की कुफरी हिमालयनी, कुफरी गिरधारी और कुफरी करण जैसी किस्में व पर्यावरण मित्र विधि और कीटरोधक विधि जैसी तकनीकों को विकसित करने के लिए वैज्ञानिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि संस्थान लाभ देने वाली किस्मों के संरक्षण के लिए सराहनीय प्रयास कर रहा है और 20 पेटेंट हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ा है। उन्होंने चीन के बाद भारत आलू उत्पादन में विश्व में दूसरे स्थान पर है जिसमें सीपीआरआई के शोध कार्य व आधुनिक तकनीकों के विकास की प्रमुख भूमिका है। कलराज मिश्र ने कहा कि वर्ष 1995 और 2012 को इस संस्थान को भारत सरकार के कृषि अनुसंधान परिषद से सर्वश्रेष्ठ संस्थान का आवार्ड मिल चुका है, जो कि इसकी उपलब्धियों को दर्शाता है और इसके लिए संस्थान के सभी वैज्ञानिक और कर्मचारी बधाई के पात्र है।



Conclusion:उन्होंने प्रदेश में आलू के घटते हुए उत्पाद पर चिंता जताते हुए विज्ञानियों से शोध के माध्यम से इसका समाधान खोजने का आह्वान किया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि संस्थान इन सभी चुनौतियों से निपटने में सफल होगा। उन्होंने कहा कि आलू उत्पादन को किसानों की आय का मुख्य साधन बनाने पर कार्य होना चाहिए, जिसमें विज्ञानी अपने शोध कार्य से महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इससे भारत आलू उत्पादन में चीन से आगे बढ़ने में सफल हो सकता है। उन्होंने किसानों के लिए बेहतर परिस्थितियां तैयार करने पर बल दिया ताकि वे पूरे विश्वास के साथ अपने खेतों से जुड़ सकें और अपने उत्पाद से छोटे-छोटे व्यवसाय जैसे चिप्स उत्पादन इत्यादि को अपना सकें जिससे ‘स्टार्ट-अप’ अभियान को भी संबल मिलेगा।
स्थापना दिवस के इस आयोजन के दौरान राज्यपाल ने सराहनीय कार्य करने के लिए विभाग के वैज्ञानिकों और कर्मचारियों को सम्मानित भी किया। इस अवसर पर शिमला संसदीय क्षेत्र से भाजपा के सांसद सुरेश कश्यप भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दी गई।




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