शिमला: सरकारी अस्पतालों पर लोगों का विश्वाश टूटता जा रहा है और लोग सरकारी तंत्र और सवाल उठा रहे हैं. वहीं, पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह (Former Chief Minister Virbhadra Singh) का आईजीएमसी अस्पताल पर आखिरी सांस तक भरोसा रहा. यही नहीं वीरभद्र सिंह ने आईजीएमसी में विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी में कोरोना संक्रमण से दूसरी बार जंग जीतने में सफल रहे.
वीरभद्र सिंह आईजीएमसी में 30 अप्रैल को दाखिल हुए थे. उन्हें सांस में दिक्कत के चलते आईजीएमसी में दाखिल करवाया गया था. उसके बाद एक बार फिर 10 जून को उनकी तबीयत बिगड़ गई. जिसके बाद उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई, लेकिन वीरभद्र सिंह का आईजीएमसी के चिकित्सकों पर भरोसा कायम रहा और वह पहले से बेहतर हुए, लेकिन सोमवार 5 जुलाई को उनकी तबीयत फिर बिगड़ी जो फिर ठीक नहीं हुई और गुरुवार को उनकी मौत हो गई.
पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह (Former Chief Minister Virbhadra Singh) के साथ कोविड वार्ड में एचओडी एनएसथीसिया, एचओडी कार्डियोलॉजी, एचओडी मेडिसिन, एचओडी कार्डियोथोरेसिक सर्जरी, एचओडी एंडोक्रिनोलोजि और एचओडी नेफ्रोलॉजी विभाग विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम तैनात थी.
आईजीएमसी के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. राहुल गुप्ता ने बताया कि लोगों का हक है सवाल उठाना पर तथ्य पर ही सवाल उठाना चाहिए. उनका कहना था कि अस्पताल में बेहतर सुविधा है तभी वीवीआईपी भी यहां पर भरोसा करते हैं और उनका सफल इलाज होता है. उनका कहना था कि वीरभद्र सिंह का भी चिकित्सकों ने पूरी निष्ठा के साथ इलाज किया.
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