शिमला: हिमाचल प्रदेश में प्रति वर्ष 5 से 10 हजार ब्रेन स्ट्रोक के नए मरीज आ रहे हैं. जिसमें से 1/3 की मौत हो जाती है. ब्रेन स्ट्रोक यानि लकवा, पक्षाघात और विभिन्न नामों से जानी जाने वाली यह बीमारी प्रदेश में तेजी से फैलती जा रही है. जिसके कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है.
आईजीएमसी में न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ सुधीर शर्मा ने ईटीवी से विशेष बातचीत करते हुए कहा कि अनुमान के अनुसार प्रतिवर्ष 5 से 10 हजार ब्रेन स्ट्रोक के नए मरीज अस्पताल में आते हैं. जिनमें से तीन में से एक की 6 महीने में ही मौत हो जाती है, वहीं एक अपने परिजनों पर निर्भर हो जाते हैं और तीन में से एक मरीज ही पूरी तरह से ठीक हो कर आत्मनिर्भर हो पाता है.
जानिए ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण और निदान
डॉ. सुधीर ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण दिखाई देने पर यदि मरीज को 3 से 4 घंटे में अस्प्ताल पहुंचा दिया जाए तो वह ठीक हो सकता है. उन्होंने कहा कि लोगों में जागरूकता की कमी के कारण मरीज देरी से अस्पताल पहुंचते हैं जिससे मरीज को बचाना मुश्किल हो जाता है.
ये भी पढ़ें: कार से बाबा बालक नाथ से पीरनिगाह मंदिर जा रहे थे श्रद्धालु, थानकलां के पास बस से भिड़ंत
डॉ. सुधीर ने बताया कि यह चिंता का विषय है कि अस्पताल में आने वाले 15 से 20 फीसदी ब्रेन स्ट्रोक के मरीज 40 साल से कम उम्र के होते हैं. उन्होंने कहा कि जिस उम्र में युवा कुछ करने की सोचता है उस उम्र में पक्षाघात के कारण वह दूसरों पर निर्भर हो कर रह जाते हैं. इसलिए प्रदेश के लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने की जरूरत है.