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2024 में 9 हजार फीट की ऊंचाई पर होगी शिकारी माता की पूजा, जानें क्या है मान्यता

शिमला जिले के रामपुर की डंसा पंचायत की पहाड़ियों में बसी शिकारी माता मंदिर में हर 7 साल बाद विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है. अब साल 2024 में पूजा होगी. इस पूजा में क्षेत्र के देवताओं को भी आमंत्रित किया जाता है. (Every seven years traditional worship in Shikari Mata Temple Rampur)

seven years traditional worship in Shikari Mata
रामपुर में स्थित शिकारी माता का मंदिर
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Published : Apr 3, 2023, 12:00 PM IST

Updated : Apr 3, 2023, 4:02 PM IST

2024 में 9 हजार फीट की ऊंचाई पर होगी शिकारी माता की पूजा

रामपुर: हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला के रामपुर उपमंडल की डंसा पंचायत की ऊंची पहाड़ियों पर शिकारी माता का मंदिर मौजूद है. हर साल माता के दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहाड़ी पर लगभग 2 किलोमीटर का पैदल सफर तय करके पहुंचते हैं. शिकारी माता का मंदिर लगभग 9 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है. बता दें की विशेष मान्यता के तहत यहां पर हर सात साल के बाद पारंपरिक पूजा का आयोजन किया जाता है. इस विशेष पूजा में हजारों लोग शामिल होते हैं. वहीं, इस पूजा में क्षेत्र के देवताओं को भी विशेष तौर पर आमंत्रित किया जाता है. मंदिर कमेटी के मुताबिक साल 2024 में अब पूजा जून या जुलाई में होगी.

प्राचीनकाल से है माता का मंदिर: मंदिर कमेटी के कारदार खेल चंद ने बताया कि यहां पर शिकारी माता का निवास स्थान प्राचीन काल से स्थित है. उन्होंने बताया कि यहां पर प्राचीनकाल में आर्य निवास करते थे. जब मंदिर का निर्माण किया गया, उस समय यहां पर कुछ अवशेष भी मिले थे. यहां पर किले का निर्माण किया गया था, जिसके अलग-अलग प्रवेश द्वार मौजूद थे. जिन पत्थरों का प्रयोग उस समय किला बनाने के लिए किया गया था. उन्हीं पत्थरों का प्रयोग सामुदायिक भवन बनाने के लिए किया गया है.

सड़क से जुड़ेगा मंदिर इलाका: पहाड़ी पर एक सुंदर स्थान पर मंदिर स्थित है. जो की हरे-भरे जंगलों और पहाड़ों से घिरा हुआ है. यह इस क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है और हर साल बड़ी संख्या में भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है. मंदिर की सुंदर वास्तुकला और जटिल नक्काशी इसके आकर्षण का मुख्य कारण है. जो पारंपरिक हिमाचली शैली की खासियत है. देवी की मुख्य मूर्ति काले पत्थर से बनी है और चांदी एवं सोने के आभूषणों से सुशोभित है. यह स्थल पर्यटन की दृष्टि से भी बेहद खूबसूरत है. यहां पर सड़क का निर्माण भी किया जा रहा है. जल्द ही सरकार के सहयोग से इस मंदिर को सड़क सुविधा से जोड़ा जाएगा.

इष्ट देवता के रुप में होती है पूजा: यहां के ग्रामीण शिकारी माता को अपने इष्ट देवता के तौर पर पूजते हैं. जिनके घर पर गाय का घी पहली बार तैयार किया जाता है तो पहले माता की पूजा अर्चना की जाती है. हर साल क्षेत्र में सुख -समृद्धि व बेहतरीन फसल के लिए भी माता की पूजा -अर्चना की जाती है. इस दौरान क्षेत्र के लोग एकत्रित होते हैं और माता के मंदिर पहुंचते हैं. यहां के लोगों के साथ-साथ बाहर से आने वाले भक्तों में भी माता के प्रति गहरी आस्था है. हिमाचल प्रदेश के कौने-कौने से श्रद्धालु यहां माता का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचते हैं.

शिकारी माता की मान्यता: शिकारी माता मंदिर की एक मान्यता के अनुसार एक व्यक्ति का बच्चा काफी बीमार हो गया था, जिसका इलाज चंडीगढ़ तक करवाया गया, लेकिन फिर भी वह ठीक नहीं हुआ. डॉक्टर ने बच्चे को घर ले जाने के लिए कह दिया. जब बीमार बच्चे को घर लाया गया तो उसके माता-पिता ने पहाड़ी पर जाकर शिकारी माता से प्रार्थना की कि उनका बेटा जल्द ठीक हो जाए. जिसके बाद किसी चमत्कार के तहत वह बीमार बच्चा ठीक हो गया. जिसके बाद हर नवरात्रों में यहां पर क्षेत्र के अन्य लोगों ने भी आना शुरू किया और आज यहां पर एक बेहतरीन मंदिर का निर्माण किया जा चुका है.

ये भी पढ़ें: अप्रैल में बर्फबारी ने किया माता शिकारी का श्रृंगार, पर्यटन कारोबारियों को अच्छे व्यापार की उम्मीद

2024 में 9 हजार फीट की ऊंचाई पर होगी शिकारी माता की पूजा

रामपुर: हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला के रामपुर उपमंडल की डंसा पंचायत की ऊंची पहाड़ियों पर शिकारी माता का मंदिर मौजूद है. हर साल माता के दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहाड़ी पर लगभग 2 किलोमीटर का पैदल सफर तय करके पहुंचते हैं. शिकारी माता का मंदिर लगभग 9 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है. बता दें की विशेष मान्यता के तहत यहां पर हर सात साल के बाद पारंपरिक पूजा का आयोजन किया जाता है. इस विशेष पूजा में हजारों लोग शामिल होते हैं. वहीं, इस पूजा में क्षेत्र के देवताओं को भी विशेष तौर पर आमंत्रित किया जाता है. मंदिर कमेटी के मुताबिक साल 2024 में अब पूजा जून या जुलाई में होगी.

प्राचीनकाल से है माता का मंदिर: मंदिर कमेटी के कारदार खेल चंद ने बताया कि यहां पर शिकारी माता का निवास स्थान प्राचीन काल से स्थित है. उन्होंने बताया कि यहां पर प्राचीनकाल में आर्य निवास करते थे. जब मंदिर का निर्माण किया गया, उस समय यहां पर कुछ अवशेष भी मिले थे. यहां पर किले का निर्माण किया गया था, जिसके अलग-अलग प्रवेश द्वार मौजूद थे. जिन पत्थरों का प्रयोग उस समय किला बनाने के लिए किया गया था. उन्हीं पत्थरों का प्रयोग सामुदायिक भवन बनाने के लिए किया गया है.

सड़क से जुड़ेगा मंदिर इलाका: पहाड़ी पर एक सुंदर स्थान पर मंदिर स्थित है. जो की हरे-भरे जंगलों और पहाड़ों से घिरा हुआ है. यह इस क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है और हर साल बड़ी संख्या में भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है. मंदिर की सुंदर वास्तुकला और जटिल नक्काशी इसके आकर्षण का मुख्य कारण है. जो पारंपरिक हिमाचली शैली की खासियत है. देवी की मुख्य मूर्ति काले पत्थर से बनी है और चांदी एवं सोने के आभूषणों से सुशोभित है. यह स्थल पर्यटन की दृष्टि से भी बेहद खूबसूरत है. यहां पर सड़क का निर्माण भी किया जा रहा है. जल्द ही सरकार के सहयोग से इस मंदिर को सड़क सुविधा से जोड़ा जाएगा.

इष्ट देवता के रुप में होती है पूजा: यहां के ग्रामीण शिकारी माता को अपने इष्ट देवता के तौर पर पूजते हैं. जिनके घर पर गाय का घी पहली बार तैयार किया जाता है तो पहले माता की पूजा अर्चना की जाती है. हर साल क्षेत्र में सुख -समृद्धि व बेहतरीन फसल के लिए भी माता की पूजा -अर्चना की जाती है. इस दौरान क्षेत्र के लोग एकत्रित होते हैं और माता के मंदिर पहुंचते हैं. यहां के लोगों के साथ-साथ बाहर से आने वाले भक्तों में भी माता के प्रति गहरी आस्था है. हिमाचल प्रदेश के कौने-कौने से श्रद्धालु यहां माता का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचते हैं.

शिकारी माता की मान्यता: शिकारी माता मंदिर की एक मान्यता के अनुसार एक व्यक्ति का बच्चा काफी बीमार हो गया था, जिसका इलाज चंडीगढ़ तक करवाया गया, लेकिन फिर भी वह ठीक नहीं हुआ. डॉक्टर ने बच्चे को घर ले जाने के लिए कह दिया. जब बीमार बच्चे को घर लाया गया तो उसके माता-पिता ने पहाड़ी पर जाकर शिकारी माता से प्रार्थना की कि उनका बेटा जल्द ठीक हो जाए. जिसके बाद किसी चमत्कार के तहत वह बीमार बच्चा ठीक हो गया. जिसके बाद हर नवरात्रों में यहां पर क्षेत्र के अन्य लोगों ने भी आना शुरू किया और आज यहां पर एक बेहतरीन मंदिर का निर्माण किया जा चुका है.

ये भी पढ़ें: अप्रैल में बर्फबारी ने किया माता शिकारी का श्रृंगार, पर्यटन कारोबारियों को अच्छे व्यापार की उम्मीद

Last Updated : Apr 3, 2023, 4:02 PM IST
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