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रिज पर घुड़सवारी करवाने वालों के हालात, न घोड़ों के लिए चारा न खुद के लिए राशन - curfew in shimla

राजधानी शिमला में कर्फ्यू के चलते घुड़सवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है. कर्फ्यू के चलते घुड़सवारों का कारोबार पूरी तरह से बंद हो गया है.

employment problem due to curfew in shimla
कर्फ्यू में रिज मैदान पर घुड़सवारी करवाने वालों के हालात
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Published : Mar 29, 2020, 10:23 PM IST

शिमलाः राजधानी शिमला में कर्फ्यू के चलते घुड़सवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है. कर्फ्यू के चलते घुड़सवारों का कारोबार पूरी तरह से बंद हो गया है. यही वजह है कि अब न तो इनके पास खुद खाने के लिए खाना है और न घोड़ों के लिए. प्रशासन की ओर से भी इनकी कोई सुध नहीं ली गई है

जानकारी के अनुसार ऐतिहासिक रिज मैदान पर करीब 12 घुड़सवार हैं, जो पर्यटकों और बच्चों को घुड़सवारी करवाते हैं. कोरोना वायरस के चलते पूरे हिमाचल में कर्फ्यू लगा है. ऐसे में घुड़सवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है. इनके पास घोड़ों को खिलाने के चारा तक नहीं है. ये लोग अस्थाई तौर पर लॉन्ग वुड के पास रहते हैं.

वीडियो.

घुड़सवारों का कहना है कि कर्फ्यू के चलते आमदनी नहीं है. हमारे पर न राशन है और न ही घोड़ों को खिलाने के लिए चारा. इन लोगों का कहना है कि स्थानीय पार्षद, विधायक या कोई अधिकारी ने भी इनकी कोई सुध नहीं ली है. ऐसे में घुड़सवारों प्रशासन और सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

पढे़ंः बेटे की तेहरवीं पर भोज की जगह बांटे मास्क, असमय हुई थी गुमान सिंह के जवान बेटे की मौत

शिमलाः राजधानी शिमला में कर्फ्यू के चलते घुड़सवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है. कर्फ्यू के चलते घुड़सवारों का कारोबार पूरी तरह से बंद हो गया है. यही वजह है कि अब न तो इनके पास खुद खाने के लिए खाना है और न घोड़ों के लिए. प्रशासन की ओर से भी इनकी कोई सुध नहीं ली गई है

जानकारी के अनुसार ऐतिहासिक रिज मैदान पर करीब 12 घुड़सवार हैं, जो पर्यटकों और बच्चों को घुड़सवारी करवाते हैं. कोरोना वायरस के चलते पूरे हिमाचल में कर्फ्यू लगा है. ऐसे में घुड़सवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है. इनके पास घोड़ों को खिलाने के चारा तक नहीं है. ये लोग अस्थाई तौर पर लॉन्ग वुड के पास रहते हैं.

वीडियो.

घुड़सवारों का कहना है कि कर्फ्यू के चलते आमदनी नहीं है. हमारे पर न राशन है और न ही घोड़ों को खिलाने के लिए चारा. इन लोगों का कहना है कि स्थानीय पार्षद, विधायक या कोई अधिकारी ने भी इनकी कोई सुध नहीं ली है. ऐसे में घुड़सवारों प्रशासन और सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

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