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प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को भंग करने के विरोध में कर्मचारी महासंघ, CM से की ये मांग

हिमाचल प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को लेकर कांग्रेस और भाजपा में पहले से खींचतान चलती रही है. बीते माह हुई कैबिनेट मीटिंग में जयराम सरकार ने प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को भंग करने का फैसला किया था.

प्रशासनिक ट्रिब्यूनल
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Published : Aug 24, 2019, 7:34 PM IST

शिमलाः कर्मचारी महासंघ हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को भंग करने के विरोध में उतर आया है. बता दें बीते माह हुई कैबिनेट मीटिंग में जयराम सरकार ने प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को भंग करने का फैसला किया था.

हिमाचल प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को लेकर कांग्रेस और भाजपा में पहले से खींचतान चलती रही है. धूमल सरकार के इसे भंग करने के बाद कांग्रेस सरकार ने बहाल कर दिया था. अब एक बार फिर जयराम सरकार ने इसे भंग कर दिया है.

प्रदेश सरकार के फैसले का विरोध करते हुए कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष एस.एस. जोगटा ने कहा कि प्रदेश सरकार का यह फैसला कर्मचारी विरोधी है. जोगटा ने कहा कि ट्रिब्यूनल से प्रदेश के कर्मचारियों को सस्ता और जल्दी न्याय मिलता था. जोगटा ने दावा किया कि 2015 से 2019 तक प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में लगभग 33,000 मामले दायर किये गए और 22,000 मामलों का निपटारा भी कर दिया गया. यह ट्रिब्यूनल की उपयोगिता और सफलता दोनों ही बताता है.

वीडियो.

कर्मचारी महासंघ ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से आग्रह किया कि ट्रिब्यूनल को फिर से शुरू करने के फैसले पर विचार करें. उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर फिर से ट्रिब्यूनल शुरू करते हैं तो प्रदेश के सैकड़ों कर्मचारियों का साथ सीधे तौर पर उनको मिलेगा.

शिमलाः कर्मचारी महासंघ हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को भंग करने के विरोध में उतर आया है. बता दें बीते माह हुई कैबिनेट मीटिंग में जयराम सरकार ने प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को भंग करने का फैसला किया था.

हिमाचल प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को लेकर कांग्रेस और भाजपा में पहले से खींचतान चलती रही है. धूमल सरकार के इसे भंग करने के बाद कांग्रेस सरकार ने बहाल कर दिया था. अब एक बार फिर जयराम सरकार ने इसे भंग कर दिया है.

प्रदेश सरकार के फैसले का विरोध करते हुए कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष एस.एस. जोगटा ने कहा कि प्रदेश सरकार का यह फैसला कर्मचारी विरोधी है. जोगटा ने कहा कि ट्रिब्यूनल से प्रदेश के कर्मचारियों को सस्ता और जल्दी न्याय मिलता था. जोगटा ने दावा किया कि 2015 से 2019 तक प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में लगभग 33,000 मामले दायर किये गए और 22,000 मामलों का निपटारा भी कर दिया गया. यह ट्रिब्यूनल की उपयोगिता और सफलता दोनों ही बताता है.

वीडियो.

कर्मचारी महासंघ ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से आग्रह किया कि ट्रिब्यूनल को फिर से शुरू करने के फैसले पर विचार करें. उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर फिर से ट्रिब्यूनल शुरू करते हैं तो प्रदेश के सैकड़ों कर्मचारियों का साथ सीधे तौर पर उनको मिलेगा.

Intro:प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बंद करने वाले प्रदेश सरकार के फैसले का विरोध करते हुए कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष एस.एस. जोगटा ने कहा कि प्रदेश सरकार का यह फैसला कर्मचारी विरोधी है।

जोगटा ने कहा कि ट्रिब्यूनल से प्रदेश के कर्मचारियों को सस्ता और जल्दी न्याय मिलता था।जोगटा ने दावा किया कि 2015 से 2019 तक प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में लगभग 33000 मामले दायर किये गए और 22000 मामलों का निपटारा भी कर दिया गया। यह ट्रिब्यूनल की उपयोगिता और सफलता दोनों ही बताता है।


Body:जोगटा ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से आग्रह किया कि ट्रिब्यूनल को फिर से शुरू करने के फैसले पर विचार करें। उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर फिर से ट्रिब्यूनल शुरू करते हैं तो प्रदेश के सैंकड़ों कर्मचारियों का साथ सीधे तौर पर उनको मिलेगा।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा 2 सदस्यों के पदों को भी जल्द भर जाए ताकि मंडी और धर्मशाला में भी प्रशासनिक ट्रिब्यूनल की बेंच स्थापित की जा सके। इससे हिमाचल के कर्मचारियों को शीघ्र और सस्ता न्याय मिल सकेगा। जोगटा ने बीजेपी पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि हरियाणा में बीजेपी की सरकार है और वहां प्रशासनिक ट्रिब्यूनल खोलने की धोषणा की जाती है। लेकिन हिमाचल में इसके विपरीत ट्रिब्यूनल बंद करने का फैसला लिया जाता है। जो कि बिल्कुल गलत है।


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