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हिमाचल में सर्दियों में सूखे के हालात, जनवरी और फरवरी महीने में 34 फीसदी कम हुई बारिश

हिमाचल प्रदेश में एक जनवरी से 26 फरवरी तक सामान्य बारिश 177.2 मिलीमीटर होती है, लेकिन इस बार 116.9 मिलीमीटर बारिश ही हुई है. वहीं, 2022-23 में सर्दियों में सामान्य से 92 प्रतिशत अधिक बारिश हुई थी. इस साल विंटर सीजन में अभी तक 34 प्रतिशत कम बारिश हुई. जिसमें सबसे कम बारिश सोलन में हुई है. हिमाचल में गेहूं सहित चेरी और सेब के पेड़ों पर सूखे की मार पड़ रही है. वहीं, मौसम में आए बदलाव के कारण असिंचित इलाकों में गेहूं के उत्पादन में 30-40 फीसदी की कमी आ सकती है.

drought situation himachal
हिमाचल में सर्दियों में सूखे के हालात
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Published : Feb 28, 2023, 7:21 PM IST

शिमला: पहाड़ों पर सर्दियों में इस साल सूखे के हालात हो गए हैं. प्रदेश के ऊपरी क्षेत्रों में जहां इस बार बर्फबारी कम हुई वहीं, मध्यवर्ती और मैदानी इलाकों में बारिश न होने से सूखे के हालात पैदा हो गए हैं. हालांकि सर्दियों में सामान्य से ज्यादा बारिश होती है, लेकिन इस बार जनवरी फरवरी माह में 34 फीसदी कम बारिश हुई है. प्रदेश में एक जनवरी से 26 फरवरी तक सामान्य बारिश 177.2 मिलीमीटर होती है, लेकिन इस बार 116.9 मिलीमीटर बारिश ही हुई है. वहीं, 2022-23 में सर्दियों में सामान्य से 92 प्रतिशत अधिक बारिश हुई थी. इस साल विंटर सीजन में अभी तक 34 प्रतिशत कम बारिश हुई. जिसमें सबसे कम बारिश सोलन में हुई है.

सोलन में सूखे वाली स्थिति है, सोलन में 65 प्रतिशत कम बारिश हुई. वहीं, मंडी में 57 प्रतिशत, बिलासपुर में 49 प्रतिशत, हमीरपुर में 42 प्रतिशत, कांगड़ा में 16 प्रतिशत, किन्नौर में 47 प्रतिशत, कुल्लू में 6 प्रतिशत, लाहौल-स्पीति में 23 प्रतिशत, शिमला में 37 प्रतिशत, सिरमौर में 41 प्रतिशत और ऊना में 30 प्रतिशत सामान्य से कम बारिश हुई. फरवरी महीने में गर्मी ने कई सालों के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. बढ़ते तापमान ने किसानों और भगवानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है.

हिमाचल में गेहूं सहित चेरी और सेब के पेड़ों पर सूखे की मार पड़ रही है. वहीं, मौसम में आए बदलाव के कारण असिंचित इलाकों में गेहूं के उत्पादन में 30-40 फीसदी की कमी आ सकती है. हिमाचल में तापमान बढ़ने से फरवरी के महीने में ही बगीचों में नमी कम होने के कारण सेब के पेड़ों पर गुलाबी कलियां खिलने से बागवानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. सभी फलों की फ्लावरिंग एक महीना जल्दी हो गई है. इससे बागवानों को आगामी दिनों में नुकसान होने का डर सता रहा है. किसानों और बागवानों की निगाहें आसमानों पर ही टिकी हुई हैं कि कब बारिश की बूंदे उनके खेतों में गिरेंगी. इसके अलावा इस साल गर्मियों में भी पानी की किल्लत से भी जूझना पड़ सकता है.

मौसम विभाग के निदेशक सुरेंद्र पाल का कहना है कि जनवरी फरवरी माह में इस बार बीते साल के मुकाबले कम बारिश हुई है. बीते साल के मुकाबले इस बार 34 फीसदी कम बारिश है जिसका असर फसलों और पानी के स्तोत्र पर पड़ रहा है. इस बार फरवरी माह में गर्मी ने भी कई सालों के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं, लेकिन आगामी दो दिन बारिश होने की उम्मीद है.

ये भी पढ़ें- सराज के थुनाग में आवारा कुत्तों का आतंक, HRTC चालक को बस से उतरना पड़ा भारी

शिमला: पहाड़ों पर सर्दियों में इस साल सूखे के हालात हो गए हैं. प्रदेश के ऊपरी क्षेत्रों में जहां इस बार बर्फबारी कम हुई वहीं, मध्यवर्ती और मैदानी इलाकों में बारिश न होने से सूखे के हालात पैदा हो गए हैं. हालांकि सर्दियों में सामान्य से ज्यादा बारिश होती है, लेकिन इस बार जनवरी फरवरी माह में 34 फीसदी कम बारिश हुई है. प्रदेश में एक जनवरी से 26 फरवरी तक सामान्य बारिश 177.2 मिलीमीटर होती है, लेकिन इस बार 116.9 मिलीमीटर बारिश ही हुई है. वहीं, 2022-23 में सर्दियों में सामान्य से 92 प्रतिशत अधिक बारिश हुई थी. इस साल विंटर सीजन में अभी तक 34 प्रतिशत कम बारिश हुई. जिसमें सबसे कम बारिश सोलन में हुई है.

सोलन में सूखे वाली स्थिति है, सोलन में 65 प्रतिशत कम बारिश हुई. वहीं, मंडी में 57 प्रतिशत, बिलासपुर में 49 प्रतिशत, हमीरपुर में 42 प्रतिशत, कांगड़ा में 16 प्रतिशत, किन्नौर में 47 प्रतिशत, कुल्लू में 6 प्रतिशत, लाहौल-स्पीति में 23 प्रतिशत, शिमला में 37 प्रतिशत, सिरमौर में 41 प्रतिशत और ऊना में 30 प्रतिशत सामान्य से कम बारिश हुई. फरवरी महीने में गर्मी ने कई सालों के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. बढ़ते तापमान ने किसानों और भगवानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है.

हिमाचल में गेहूं सहित चेरी और सेब के पेड़ों पर सूखे की मार पड़ रही है. वहीं, मौसम में आए बदलाव के कारण असिंचित इलाकों में गेहूं के उत्पादन में 30-40 फीसदी की कमी आ सकती है. हिमाचल में तापमान बढ़ने से फरवरी के महीने में ही बगीचों में नमी कम होने के कारण सेब के पेड़ों पर गुलाबी कलियां खिलने से बागवानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. सभी फलों की फ्लावरिंग एक महीना जल्दी हो गई है. इससे बागवानों को आगामी दिनों में नुकसान होने का डर सता रहा है. किसानों और बागवानों की निगाहें आसमानों पर ही टिकी हुई हैं कि कब बारिश की बूंदे उनके खेतों में गिरेंगी. इसके अलावा इस साल गर्मियों में भी पानी की किल्लत से भी जूझना पड़ सकता है.

मौसम विभाग के निदेशक सुरेंद्र पाल का कहना है कि जनवरी फरवरी माह में इस बार बीते साल के मुकाबले कम बारिश हुई है. बीते साल के मुकाबले इस बार 34 फीसदी कम बारिश है जिसका असर फसलों और पानी के स्तोत्र पर पड़ रहा है. इस बार फरवरी माह में गर्मी ने भी कई सालों के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं, लेकिन आगामी दो दिन बारिश होने की उम्मीद है.

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