शिमला: पब्लिक व्हीकल ट्रैकिंग कंट्रोल रूम बनाने के काम को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं. सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ कमल सोई ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा सरकार इसको बनाने का काम चंडीगढ़ की एक अनुभवहीन कम्पनी को देने की फिराक में है. यह काम सरकार की अपनी कम्पनी बीएसएनएल को मिलना चाहिए. सोई ने बताया सरकारी गड़ियों में जीपीएस लगाने का काम उड़ीसा, झारखंड और जम्मू में किए जा चुके हैं.
उन्होंने कहा कि वहां कंट्रोल रूम बना है जो बीएसएनएल का है. हिमाचल सरकार अपने चहेते को यह काम देना चाहती है. उन्होंने कहा अगर निजी कम्पनी को यह काम दिया जाता है तो गाड़ियों का सारा डेटा चला जाएगा और उसका गलत उपयोग हो सकता है. बीएसएनएल सरकारी है और उस पर विश्वास किया जा सकता है. सोई के मुताबिक प्रदेश में 4 लाख के लगभग सरकारी गाड़ियां है. अगर 8 हजार के हिसाब से भी कम्पनी जीपीएस लगाएगी तो यह 300 करोड़ के लगभग होगा.
केन्दीय सरकार की योजना के अनुसार पब्लिक वाहनों में यात्रियों की सुरक्षा के लिए जीपीएस व व्हीकल ट्रैफिक सिस्टम लगाने के आदेश है. सभी वाहनों में एक पैनिक बटन लगना है जिससे आपातकाल के समय बटन दबाने से कंट्रोल रूम में संदेश जाएगा और कंट्रोल रूम तुरंत पुलिस और एम्बुलेन्स को सूचित करेगा.
ये भी पढ़ें: शिमला शहर में पानी की किल्लत होगी दूर, सतलुज पेयजल परियोजना की CM जयराम ने रखी आधारशिला
ये भी पढ़ें: उपलब्धि : राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के सफल संचालन के लिए हिमाचल प्रदेश को प्रथम पुरस्कार