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पब्लिक व्हीकल ट्रैकिंग कंट्रोल रूम पर सियासत तेज, निर्माण का काम निजी के बदले इस कंपनी को देने की मांग - बीएसएनएल पर किया जा सकता भरोसा

पब्लिक व्हीकल ट्रैकिंग कंट्रोल रूम बनाने के काम को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं. सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ कमल सोई ने निजी कंपनी को यह काम नहीं देकर बीएसएनएल को देने की मांग प्रदेश सरकार से की है.

Demand to give work of public vehicle tracking control room to BSNL
पब्लिक व्हीकल ट्रैकिंग कंट्रोल रूम बनाने का काम बीएसएनएल को देने की मांग
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Published : Jan 2, 2020, 9:54 AM IST

शिमला: पब्लिक व्हीकल ट्रैकिंग कंट्रोल रूम बनाने के काम को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं. सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ कमल सोई ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा सरकार इसको बनाने का काम चंडीगढ़ की एक अनुभवहीन कम्पनी को देने की फिराक में है. यह काम सरकार की अपनी कम्पनी बीएसएनएल को मिलना चाहिए. सोई ने बताया सरकारी गड़ियों में जीपीएस लगाने का काम उड़ीसा, झारखंड और जम्मू में किए जा चुके हैं.

उन्होंने कहा कि वहां कंट्रोल रूम बना है जो बीएसएनएल का है. हिमाचल सरकार अपने चहेते को यह काम देना चाहती है. उन्होंने कहा अगर निजी कम्पनी को यह काम दिया जाता है तो गाड़ियों का सारा डेटा चला जाएगा और उसका गलत उपयोग हो सकता है. बीएसएनएल सरकारी है और उस पर विश्वास किया जा सकता है. सोई के मुताबिक प्रदेश में 4 लाख के लगभग सरकारी गाड़ियां है. अगर 8 हजार के हिसाब से भी कम्पनी जीपीएस लगाएगी तो यह 300 करोड़ के लगभग होगा.

पब्लिक व्हीकल ट्रैकिंग कंट्रोल रूम बनाने का काम बीएसएनएल को देने की मांग

केन्दीय सरकार की योजना के अनुसार पब्लिक वाहनों में यात्रियों की सुरक्षा के लिए जीपीएस व व्हीकल ट्रैफिक सिस्टम लगाने के आदेश है. सभी वाहनों में एक पैनिक बटन लगना है जिससे आपातकाल के समय बटन दबाने से कंट्रोल रूम में संदेश जाएगा और कंट्रोल रूम तुरंत पुलिस और एम्बुलेन्स को सूचित करेगा.

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शिमला: पब्लिक व्हीकल ट्रैकिंग कंट्रोल रूम बनाने के काम को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं. सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ कमल सोई ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा सरकार इसको बनाने का काम चंडीगढ़ की एक अनुभवहीन कम्पनी को देने की फिराक में है. यह काम सरकार की अपनी कम्पनी बीएसएनएल को मिलना चाहिए. सोई ने बताया सरकारी गड़ियों में जीपीएस लगाने का काम उड़ीसा, झारखंड और जम्मू में किए जा चुके हैं.

उन्होंने कहा कि वहां कंट्रोल रूम बना है जो बीएसएनएल का है. हिमाचल सरकार अपने चहेते को यह काम देना चाहती है. उन्होंने कहा अगर निजी कम्पनी को यह काम दिया जाता है तो गाड़ियों का सारा डेटा चला जाएगा और उसका गलत उपयोग हो सकता है. बीएसएनएल सरकारी है और उस पर विश्वास किया जा सकता है. सोई के मुताबिक प्रदेश में 4 लाख के लगभग सरकारी गाड़ियां है. अगर 8 हजार के हिसाब से भी कम्पनी जीपीएस लगाएगी तो यह 300 करोड़ के लगभग होगा.

पब्लिक व्हीकल ट्रैकिंग कंट्रोल रूम बनाने का काम बीएसएनएल को देने की मांग

केन्दीय सरकार की योजना के अनुसार पब्लिक वाहनों में यात्रियों की सुरक्षा के लिए जीपीएस व व्हीकल ट्रैफिक सिस्टम लगाने के आदेश है. सभी वाहनों में एक पैनिक बटन लगना है जिससे आपातकाल के समय बटन दबाने से कंट्रोल रूम में संदेश जाएगा और कंट्रोल रूम तुरंत पुलिस और एम्बुलेन्स को सूचित करेगा.

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Intro:पब्लिक व्हीकल ट्रैकिंग कंट्रोल रूम बनाने का काम अनुभवहीन कंपनी को ना देकर बीएसएनएल को दे सरकार,कमल

शिमला।
अंतररास्ट्रीय सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ कमल सोई ने बुधवार को शिमला में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में कहा कि प्रदेश सरकार पब्लिक व्हीकल ट्रैकिंग के लिए कंट्रोल रूम बनाने का काम चंडीगढ़ की एक अनुभवहीन कम्पनी को देने की फिराक में है । जबकि यह काम सरकार की अपनी कम्पनी बीएसएनएल को मिलना चाहिए।


Body:उनका कहना था कि सरकारी गडियो में जीपीएस लगाने का काम उड़ीसा, झारखंड,ओर जम्मू में किये जा चुके है वहा कंट्रोल रूम बना है जो बीएसएनएल का हैं ।लेकिन हिमाचल सरकार अपने चहेते को यह काम देना चाहती है ।उन्होंने कहा कि अगर निजी कम्पनी को यह काम दिया जाता है तो निजी कंपनी के पास गाड़ियो का सारा डेटा चला जायेगा और उसका दुरुपयोग हो सकता है । जबकि बीएसएनएल सरकारी है और उसपर विश्वास किया जा सकता है कि डेटा का दुरुपयोग नही होगा।


Conclusion:कमल ने कहा कि प्रदेश में 4 लाख के लगभग सरकारी गाड़िया है और अगर 8हाजर के हिसाब से भी कम्पनी जीपीएस लगाएगी तो यह 300 करोड़ के लगभग होगा ।उनका कहना था कि यह स्कैम भी हो सकता है इसलिए उनकी।मांग है कि सरकार निजी कम्पनी को जीपीएस लगाने का काम ना देकर बीएसएनएल को दे ।
उन्होंने कहा की केन्दीय सरकार की योजना के अनुसार पब्लिक वाहनों में यात्रियों की सुरक्षा के लिए जीपीएस व व्हीकल ट्रैफिक सिस्टम लगाने के आदेश है । सभी बहनों में एक पैनिक बटन लगना है जिससे आपातकाल के समय बटन दबाने से कंट्रोल रूम में सन्देश जाएगा और कंट्रोल रूम तुरंत पुलिस और एम्बुलेन्स को सूचित करेगा।
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