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साइबर ठगों का नया हथियार मोबाइल सिम स्वैपिंग, क्राइम का जाल बिछाकर पल भर में करते हैं कंगाल

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Published : Apr 12, 2021, 6:30 PM IST

Updated : Apr 12, 2021, 7:25 PM IST

शांत पहाड़ी राज्य हिमाचल में साल-दर-साल साइबर क्राइम के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. साइबर ठग भी इंटरनेट के इस जमाने में लोगों को ठगने के नए-नए रास्ते खोज रहे हैं. साइबर ठगी के ऐसे कई मामले हैं जिनके सामने फिल्मी कहानी भी फीकी लगने लगेगी. फ्रॉड सिम क्लोनिंग या सिम स्वैपिंग के जरिये आसानी से साइबर क्राइम को अंजाम दे रहे हैं. ऐसे में आपकी सावधानी ही साइबर ठगों को ठेंगा दिखा सकती है.

cyber crime in Himachal
हिमाचल में साइबर क्राइम

शिमला: देश और दुनिया में साइबर क्राइम का जाल लगातार फैलता जा रहा है और इस जाल में रोजाना कई मासूम लोग फंसते हैं. साइबर ठग भी इंटरनेट के इस जमाने में लोगों को ठगने के नए-नए रास्ते खोज रहे हैं. साइबर ठगी के ऐसे कई मामले हैं जिनके सामने फिल्मी कहानी भी फीकी लगने लगती है. हिमाचल प्रदेश में ठगी के ऐसे ही दो मामलों से आपको रू-ब-रू कराते हैं जिसे जानकर आपके पांव तले से जमीन खिसक जाएगी.

दरअसल अब साइबर ठग सिम क्लोनिंग या सिम स्वैपिंग के माध्यम से व्यक्ति को अपना शिकार बना रहे हैं. ताजा मामले में साइबर ठगों ने सिम स्वैपिंग का नया तरीका अख्तियार किया है. इसके तहत साइबर ठग ऐसे व्यक्ति का फोन नंबर इस्तेमाल करते हैं जो कम इस्तेमाल करता है और वह नंबर बैंक अकाउंट से भी जुड़ा होता है. ठग इस सिम का दूसरा सिम बनाकर मासूम लोगों की 'डिजिटल पॉकेट' पर हाथ साफ करते हैं. पहला मामला प्रदेश के मंडी जिले से है और दूसरा मामला राजधानी शिमला से है. ऐसी ही साइबर ठगी का एक मामला शिमला साइबर पुलिस ने सुलझाया था.

क्या था मामला?

मंडी के भवन कुमार के मुताबिक वो एटीएम से 10 हजार रुपये निकालने गए थे लेकिन पूरी प्रक्रिया के बाद भी ATM से पैसे नहीं निकले, जबकि बैंक की तरफ से 10 हजार रुपये एटीएम से निकालने का मैसेज उनके मोबाइल पर आ गया. जिसके बाद उन्होंने इंटरनेट से बैंक का टोल फ्री नंबर लेकर इसकी शिकायत कर दी.

cyber crime in Himachal
क्या था मामला?

अगले दिन एक अज्ञात नंबर से भवन कुमार को फोन आया और ठग ने खुद को बैंक अधिकारी बताकर उनसे बैंक खाते, डेबिट कार्ड और बैंक खाते से लिंक मोबाइल नंबर की जानकारी ले ली. जिसके कुछ दिन बाद भवन को पता चला कि उनके दो बैंक खातों से करीब 25 लाख रुपये गायब हो चुके हैं.

वहीं, दूसरा मामला राजधानी शिमला का है, जहां एक कारोबारी के खाते से 20 लाख रुपये निकाल लिए. इसमें भी शातिरों ने दूसरा सिम कार्ड लेकर ठगी को अंजाम दिया था.

पुलिस ने ऐसे सुलझाई गुत्थी

साइबर सेल के एएसपी नरवीर सिंह राठौर बताते हैं कि शुरुआती जांच में पीड़ित के नंबर को पोर्ट करने का खुलासा हुआ. जिसकी लोकेशन पश्चिम बंगाल की थी. साइबर सेल ने एक टीम पहले पश्चिम बंगाल गई. जहां नंबर के एड्रेस का पीछा करते करते पुरुलिया जिले तक पहुंचे.

जांच के दौरान ही पता चला कि पीड़ित के खाते से निकाला गया पैसा पुरुलिया जिले और इसके आसपास के रहने वाले लोगों के खातों में डाली गई थी और ये सभी खाते फिनो पेमेंट बैंक के थे. 22 फरवरी 2020 को पुलिस ने वोडाफोन का स्टोर चलाने वाले विशाल कुमार नाम के शख्स को गिरफ्तार किया.

क्या कहते हैं साइबर सेल के एएसपी नरवीर सिंह?

किसी व्यक्ति के मोबाइल नंबर से दूसरा सिम लेने की प्रकिया को सिम-स्वैपिंग कहते हैं. ऐसा तब होता है, जब हमारी पुरानी सिम खराब हो गई होती है और उसका मोबाइल नंबर सभी दस्तावेजों में दर्ज होता है. तब सिम ऑपरेटर से उसी नंबर की दूसरी सिम जारी करने को कहते हैं. धोखाधड़ी करने वाले लुटेरे सोशल मीडिया या डार्क वेब जहां बहुत सस्ते में सूचनाएं उपलब्ध हैं वहां से लोगों का मोबाइल नंबर हासिल करते हैंं. इसके बाद साइबर हमला कर व्यक्ति का फोन बंद कर दिया जाता है.

वीडियो.

फोन बंद करने के बाद मोबाइल फोन खोने, हैंडसेट या सिम के टूट जाने का बहाना बनाकर हैकर्स मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर से संपर्क करते हैं और नया सिम जारी करने को कहते हैं. एक बार जब दूरसंचार कंपनी हैकर्स को सिम दे देती है, तब उनके लिए अनजान व्यक्ति के खाते से पैसे निकालना बहुत आसान हो जाता है. हैकर्स रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर की मदद से बैंक की पूरी जानकारी निकाल लेते हैं और ओटीपी की मदद से बैंक से पूरे पैसे भी निकाल लेते हैं.

ठगों ने सिम स्वैपिंग को बनाया हथियार

बता दें कि सिम क्लोनिंग या सिम स्वैपिंग के माध्यम से आसानी से साइबर क्राइम को अंजाम दिया जा सकता है. दरअसल साइबर ठग आपके सिम का डुप्लीकेट तैयार कर लेता है. सिम स्वैप का मतलब वह सिम एक्सचेंज कर लेता है आपके फोन नंबर से एक नए सिम का रजिस्ट्रेशन करवा लिया जाता है और आपका सिम बंद हो जाता है.

cyber crime in Himachal
ठगों ने ऐसे की ठगी.

जिसके बाद बैंक से जुड़े तमाम मैसेज, ओटीपी या अन्य जानकारी उस नए सिम पर पहुंचती है. सिम स्वैपिंग या सिम क्लोनिंग के बाद पीड़ित का मोबाइल नंबर बंद हो जाता है लेकिन शुरुआत में उसे लगता है कि नेटवर्क की दिक्कत है जो ठीक हो जाएगी लेकिन जब तक उसे समझ आता है बहुत देर हो चुकी होती है.

जानकार बनिये, सतर्क रहिये

भारतीय रिजर्व बैंक भी कहता है कि जानकार बनिये, सतर्क रहिये. बैंक खाते से जुड़ी जानकारी ओटीपी, सीवीवी, डेबिट कार्ड की डिटेल किसी को भी ना दें. भवन कुमार के इस मामले को जानने के बाद और भी सावधान रहने की जरूरत है. इंटरनेट से किसी भी टोल फ्री नंबर पर फोन करने से बचने के साथ-साथ किसी को भी बैंक से लिंक्ड मोबाइल नंबर की जानकारी किसी को भी ना दें.

ये भी पढ़ें: त्रिलोकपुर माता बालासुंदरी के दर्शनों के लिए करना होगा कोविड प्रोटोकॉल को फॉलो, गाइडलाइन जारी

शिमला: देश और दुनिया में साइबर क्राइम का जाल लगातार फैलता जा रहा है और इस जाल में रोजाना कई मासूम लोग फंसते हैं. साइबर ठग भी इंटरनेट के इस जमाने में लोगों को ठगने के नए-नए रास्ते खोज रहे हैं. साइबर ठगी के ऐसे कई मामले हैं जिनके सामने फिल्मी कहानी भी फीकी लगने लगती है. हिमाचल प्रदेश में ठगी के ऐसे ही दो मामलों से आपको रू-ब-रू कराते हैं जिसे जानकर आपके पांव तले से जमीन खिसक जाएगी.

दरअसल अब साइबर ठग सिम क्लोनिंग या सिम स्वैपिंग के माध्यम से व्यक्ति को अपना शिकार बना रहे हैं. ताजा मामले में साइबर ठगों ने सिम स्वैपिंग का नया तरीका अख्तियार किया है. इसके तहत साइबर ठग ऐसे व्यक्ति का फोन नंबर इस्तेमाल करते हैं जो कम इस्तेमाल करता है और वह नंबर बैंक अकाउंट से भी जुड़ा होता है. ठग इस सिम का दूसरा सिम बनाकर मासूम लोगों की 'डिजिटल पॉकेट' पर हाथ साफ करते हैं. पहला मामला प्रदेश के मंडी जिले से है और दूसरा मामला राजधानी शिमला से है. ऐसी ही साइबर ठगी का एक मामला शिमला साइबर पुलिस ने सुलझाया था.

क्या था मामला?

मंडी के भवन कुमार के मुताबिक वो एटीएम से 10 हजार रुपये निकालने गए थे लेकिन पूरी प्रक्रिया के बाद भी ATM से पैसे नहीं निकले, जबकि बैंक की तरफ से 10 हजार रुपये एटीएम से निकालने का मैसेज उनके मोबाइल पर आ गया. जिसके बाद उन्होंने इंटरनेट से बैंक का टोल फ्री नंबर लेकर इसकी शिकायत कर दी.

cyber crime in Himachal
क्या था मामला?

अगले दिन एक अज्ञात नंबर से भवन कुमार को फोन आया और ठग ने खुद को बैंक अधिकारी बताकर उनसे बैंक खाते, डेबिट कार्ड और बैंक खाते से लिंक मोबाइल नंबर की जानकारी ले ली. जिसके कुछ दिन बाद भवन को पता चला कि उनके दो बैंक खातों से करीब 25 लाख रुपये गायब हो चुके हैं.

वहीं, दूसरा मामला राजधानी शिमला का है, जहां एक कारोबारी के खाते से 20 लाख रुपये निकाल लिए. इसमें भी शातिरों ने दूसरा सिम कार्ड लेकर ठगी को अंजाम दिया था.

पुलिस ने ऐसे सुलझाई गुत्थी

साइबर सेल के एएसपी नरवीर सिंह राठौर बताते हैं कि शुरुआती जांच में पीड़ित के नंबर को पोर्ट करने का खुलासा हुआ. जिसकी लोकेशन पश्चिम बंगाल की थी. साइबर सेल ने एक टीम पहले पश्चिम बंगाल गई. जहां नंबर के एड्रेस का पीछा करते करते पुरुलिया जिले तक पहुंचे.

जांच के दौरान ही पता चला कि पीड़ित के खाते से निकाला गया पैसा पुरुलिया जिले और इसके आसपास के रहने वाले लोगों के खातों में डाली गई थी और ये सभी खाते फिनो पेमेंट बैंक के थे. 22 फरवरी 2020 को पुलिस ने वोडाफोन का स्टोर चलाने वाले विशाल कुमार नाम के शख्स को गिरफ्तार किया.

क्या कहते हैं साइबर सेल के एएसपी नरवीर सिंह?

किसी व्यक्ति के मोबाइल नंबर से दूसरा सिम लेने की प्रकिया को सिम-स्वैपिंग कहते हैं. ऐसा तब होता है, जब हमारी पुरानी सिम खराब हो गई होती है और उसका मोबाइल नंबर सभी दस्तावेजों में दर्ज होता है. तब सिम ऑपरेटर से उसी नंबर की दूसरी सिम जारी करने को कहते हैं. धोखाधड़ी करने वाले लुटेरे सोशल मीडिया या डार्क वेब जहां बहुत सस्ते में सूचनाएं उपलब्ध हैं वहां से लोगों का मोबाइल नंबर हासिल करते हैंं. इसके बाद साइबर हमला कर व्यक्ति का फोन बंद कर दिया जाता है.

वीडियो.

फोन बंद करने के बाद मोबाइल फोन खोने, हैंडसेट या सिम के टूट जाने का बहाना बनाकर हैकर्स मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर से संपर्क करते हैं और नया सिम जारी करने को कहते हैं. एक बार जब दूरसंचार कंपनी हैकर्स को सिम दे देती है, तब उनके लिए अनजान व्यक्ति के खाते से पैसे निकालना बहुत आसान हो जाता है. हैकर्स रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर की मदद से बैंक की पूरी जानकारी निकाल लेते हैं और ओटीपी की मदद से बैंक से पूरे पैसे भी निकाल लेते हैं.

ठगों ने सिम स्वैपिंग को बनाया हथियार

बता दें कि सिम क्लोनिंग या सिम स्वैपिंग के माध्यम से आसानी से साइबर क्राइम को अंजाम दिया जा सकता है. दरअसल साइबर ठग आपके सिम का डुप्लीकेट तैयार कर लेता है. सिम स्वैप का मतलब वह सिम एक्सचेंज कर लेता है आपके फोन नंबर से एक नए सिम का रजिस्ट्रेशन करवा लिया जाता है और आपका सिम बंद हो जाता है.

cyber crime in Himachal
ठगों ने ऐसे की ठगी.

जिसके बाद बैंक से जुड़े तमाम मैसेज, ओटीपी या अन्य जानकारी उस नए सिम पर पहुंचती है. सिम स्वैपिंग या सिम क्लोनिंग के बाद पीड़ित का मोबाइल नंबर बंद हो जाता है लेकिन शुरुआत में उसे लगता है कि नेटवर्क की दिक्कत है जो ठीक हो जाएगी लेकिन जब तक उसे समझ आता है बहुत देर हो चुकी होती है.

जानकार बनिये, सतर्क रहिये

भारतीय रिजर्व बैंक भी कहता है कि जानकार बनिये, सतर्क रहिये. बैंक खाते से जुड़ी जानकारी ओटीपी, सीवीवी, डेबिट कार्ड की डिटेल किसी को भी ना दें. भवन कुमार के इस मामले को जानने के बाद और भी सावधान रहने की जरूरत है. इंटरनेट से किसी भी टोल फ्री नंबर पर फोन करने से बचने के साथ-साथ किसी को भी बैंक से लिंक्ड मोबाइल नंबर की जानकारी किसी को भी ना दें.

ये भी पढ़ें: त्रिलोकपुर माता बालासुंदरी के दर्शनों के लिए करना होगा कोविड प्रोटोकॉल को फॉलो, गाइडलाइन जारी

Last Updated : Apr 12, 2021, 7:25 PM IST
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