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शिमला में ड्रंक एंड ड्राइव अभियान पर कोरोना का असर, इस साल कटे सिर्फ 572 चालान - social worker in shimla

हिमाचल प्रदेश में आए दिन सड़क हादसे होते रहते हैं. सड़क हादसों की सबसे बड़ी वजह नशे की हालत में गाड़ी चलाना है. सर्वे के अनुसार, राजधानी शिमला के ग्रामीण क्षेत्रों में 70 प्रतिशत सड़क हादसे ड्रंक एंड ड्राइव के कारण होते हैं.

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शिमला में ड्रंक एंड ड्राइव अभियान पर कोरोना का असर, इस साल कटे सिर्फ 572 चालान
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Published : Dec 21, 2020, 11:00 PM IST

शिमला: देवभूमि हिमाचल अपनी असीम प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है. यहां के ऊंचे पहाड़ कल-कल करती नदियों का मनमोहक दृश्य हर किसी को अपना मुरीद बना देते हैं. भौगोलिक परिस्थितियां जहां हिमाचल को सुंदरता प्रदान करती हैं. वहीं, पहाड़ों में चुनौतियां भी हैं.

नशे की वजह से हादसे

यहां की सड़कों पर एक कहावत सटीक बैठती है सावधानी हटी दुर्घटना घटी. पहाड़ों की उबड़-खाबड़ सड़कें, अंधे मोड़ और उस पर मदहोशी की हालत में ड्राइविंग करना हादसों को खुला न्योता है. प्रदेश में आए दिन सड़क हादसे होते रहते हैं. सड़क हादसों की सबसे बड़ी वजह नशे की हालत में गाड़ी चलाना है.

वीडियो रिपोर्ट.

ग्रामीण क्षेत्रों में 70 प्रतिशत सड़क हादसे नशे की हालत में

ट्रैफिक पुलिस के सर्वे के अनुसार राजधानी शिमला के ग्रामीण क्षेत्रों में 70 प्रतिशत सड़क हादसे ड्रंक एंड ड्राइव के कारण होते हैं. पुलिस इन सड़क हादसों को रोकने के लिए अभियान चलाकर ओवर स्पीड व ड्रंक एंड ड्राइव का चालान भी काटती है.

पुलिस की सख्ती जारी

इस साल कोरोना संक्रमण का असर पुलिस के ड्रंक एंड ड्राइव अभियान पर भी पड़ा है. पुलिस ने बीते वर्ष 2019 के मुकाबले इस साल बहुत कम चालान ड्रंक एंड ड्राइव के किए हैं. 2019 में जिला शिमला पुलिस ने 3088 चालान ड्रंक एंड ड्राइव के किए थे जबकि 2020 में कुल 572 चालान ही कटे हैं. इसका मुख्य वजह है पुलिस की सख्ती.

बता दें कि कोरोना महामारी के चलते इस साल पुलिस ने एल्कोसेन्सर का प्रयोग नहीं किया है. इस उपकरण के प्रयोग से पुलिस पता लगाती है कि गाड़ी चलाने वाले व्यक्ति शराब पीकर गाड़ी तो नहीं चला रहा. कोरोना महामरी के फैलने के खतरे के चलते इस उपकरण का प्रयोग फिलहाल के लिए ट्रैफिक पुलिस ने बंद कर दिया है.

शराब पीकर गाड़ी चलाना खतरनाक

एसपी मोहित चावला का कहना है कि ड्रंक एंड ड्राइव यानी शराब पीकर गाड़ी चलाना खतरनाक है. शराब पीकर गाड़ी चलाने से दुर्घटना का खतरा ज्यादा होता है. शराब पीकर गाड़ी चलाना शहर में तो कम है लेकिन ग्रामीण इलाकों में ज्यादा है. उनका कहना है कि पुलिस गश्त के दौरान गाड़ी चेकिंग कर ऐसे लोगों का चालान करती है और उन्हें नशा कर गाड़ी ना चलाने को कहती है. एसपी ने कहा कि अभी तक 1 लाख 20 हजार चालान कटे हैं और 3.26 करोड़ रुपये जुर्माना वसूला है.

वहीं, समाज सेवी राजेश सरस्वती का कहना है कि पहाड़ों में अधिक दुर्घटना शराब के नशे के कारण होती है. ऐसे में सावधानी ही इसका बचाव है. लोगों की शराब पीकर गाड़ी बिल्कुल नहीं चलानी चाहिए.

ये भी पढ़ें: ग्राउंड रिपोर्ट: बेड एक और मरीज दो, कोरोना नियमों की उड़ रही 'सरकारी' धज्जियां

शिमला: देवभूमि हिमाचल अपनी असीम प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है. यहां के ऊंचे पहाड़ कल-कल करती नदियों का मनमोहक दृश्य हर किसी को अपना मुरीद बना देते हैं. भौगोलिक परिस्थितियां जहां हिमाचल को सुंदरता प्रदान करती हैं. वहीं, पहाड़ों में चुनौतियां भी हैं.

नशे की वजह से हादसे

यहां की सड़कों पर एक कहावत सटीक बैठती है सावधानी हटी दुर्घटना घटी. पहाड़ों की उबड़-खाबड़ सड़कें, अंधे मोड़ और उस पर मदहोशी की हालत में ड्राइविंग करना हादसों को खुला न्योता है. प्रदेश में आए दिन सड़क हादसे होते रहते हैं. सड़क हादसों की सबसे बड़ी वजह नशे की हालत में गाड़ी चलाना है.

वीडियो रिपोर्ट.

ग्रामीण क्षेत्रों में 70 प्रतिशत सड़क हादसे नशे की हालत में

ट्रैफिक पुलिस के सर्वे के अनुसार राजधानी शिमला के ग्रामीण क्षेत्रों में 70 प्रतिशत सड़क हादसे ड्रंक एंड ड्राइव के कारण होते हैं. पुलिस इन सड़क हादसों को रोकने के लिए अभियान चलाकर ओवर स्पीड व ड्रंक एंड ड्राइव का चालान भी काटती है.

पुलिस की सख्ती जारी

इस साल कोरोना संक्रमण का असर पुलिस के ड्रंक एंड ड्राइव अभियान पर भी पड़ा है. पुलिस ने बीते वर्ष 2019 के मुकाबले इस साल बहुत कम चालान ड्रंक एंड ड्राइव के किए हैं. 2019 में जिला शिमला पुलिस ने 3088 चालान ड्रंक एंड ड्राइव के किए थे जबकि 2020 में कुल 572 चालान ही कटे हैं. इसका मुख्य वजह है पुलिस की सख्ती.

बता दें कि कोरोना महामारी के चलते इस साल पुलिस ने एल्कोसेन्सर का प्रयोग नहीं किया है. इस उपकरण के प्रयोग से पुलिस पता लगाती है कि गाड़ी चलाने वाले व्यक्ति शराब पीकर गाड़ी तो नहीं चला रहा. कोरोना महामरी के फैलने के खतरे के चलते इस उपकरण का प्रयोग फिलहाल के लिए ट्रैफिक पुलिस ने बंद कर दिया है.

शराब पीकर गाड़ी चलाना खतरनाक

एसपी मोहित चावला का कहना है कि ड्रंक एंड ड्राइव यानी शराब पीकर गाड़ी चलाना खतरनाक है. शराब पीकर गाड़ी चलाने से दुर्घटना का खतरा ज्यादा होता है. शराब पीकर गाड़ी चलाना शहर में तो कम है लेकिन ग्रामीण इलाकों में ज्यादा है. उनका कहना है कि पुलिस गश्त के दौरान गाड़ी चेकिंग कर ऐसे लोगों का चालान करती है और उन्हें नशा कर गाड़ी ना चलाने को कहती है. एसपी ने कहा कि अभी तक 1 लाख 20 हजार चालान कटे हैं और 3.26 करोड़ रुपये जुर्माना वसूला है.

वहीं, समाज सेवी राजेश सरस्वती का कहना है कि पहाड़ों में अधिक दुर्घटना शराब के नशे के कारण होती है. ऐसे में सावधानी ही इसका बचाव है. लोगों की शराब पीकर गाड़ी बिल्कुल नहीं चलानी चाहिए.

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