शिमला: जमीन अधिग्रहण में भूमि के मुआवजे को लेकर हिमाचल हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है. हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण के मुआवजे को लेकर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि जमीन की कीमत उसकी किस्म से नहीं बल्कि सर्किल रेट के आधार पर दी जाए. हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर ने एक सीमेंट कंपनी की अपील को स्वीकार करते हुए ये आदेश दिए. न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर ने अपने आदेश में कहा कि एक ही उद्देश्य के लिए भूमि का अधिग्रहण करने पर जमीन का एक ही मूल्य तय किया जाएगा.
हाई कोर्ट ने कहा की भूमि की किस्म के आधार पर अधिग्रहित की गई जमीन का मुआवजा तय नहीं किया जा सकता है. इसका मुआवजा सर्किल रेट के आधार पर ही तय होगा. अदालत ने ये भी साफ-साफ कहा है कि जब भूमि का अधिग्रहण एक ही उद्देश्य के लिए किया जाता है तो उस स्थिति में भूमि की किस्म के आधार पर मुआवजा देना सही नहीं ठहराया जा सकता है. हाई कोर्ट के समक्ष आए एक मामले के अनुसार भू-अधिग्रहण अधिकारी ने अधिग्रहित भूमि की किस्म के आधार पर मुआवजा प्रदान किया था. इसमें जमीन की किस्में जैसे बाखल, अव्वल, दोयम बंजर और कदीम के लिए अलग-अलग मुआवजा तय किया गया था.
हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि भूमि का उचित मूल्य तय करने के लिए संबंधित सर्कल में हुई उच्चतर सेल डीड को भी देखा जाना चाहिए. उल्लेखनीय है कि हिमाचल में नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा सड़क निर्माण के लिए व उद्योगों द्वारा कारखाने स्थापित करने के लिए जमीन का अधिग्रहण होता है. इसमें मुआवजे को लेकर अकसर विवाद रहते हैं. अब हाई कोर्ट के इस फैसले का असर अन्य अधिग्रहणों पर भी होगा. ये भी संभव है कि अन्य अधिग्रहण में अब किस्म को छोड़कर सर्किल रेट पर ही मुआवजा मिले.
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